टरबाइन बंद, बड़े इलाके में पेयजल संकट, धूल फांक रहा 45 लाख का टैंक, नलकूप की सप्लाई भी टूटी, दून की यही कहानी
पानी के लिए लाखों रुपये पानी में बहाने के बाद भी देहरादून के एक बड़े इलाकों में पेयजल आपूर्ति के लिए उत्तराखंड जल संस्थान ने विद्युत निगम पर निर्भरता बनाई हुई है। अब देखिए गुरुवार को पावर हाउस की टरबाइन बंद हुई और पानी की आपूर्ति भी बंद हो गई।
ये हैं जलापूर्ति के स्रोत
दून में वर्तमान में 279 ट्यूबवेल के साथ ही तीन नदी व झरने के स्रोत हैं, लेकिन ज्यादातर पेयजल आपूर्ति ट्यूबवेल से ही की जाती है। गर्मी बढ़ते ही भूजल स्तर गिर जाता है। ट्यूबवेल की क्षमता भी घटने लगती है। अन्य स्रोतों से भी पानी का प्रवाह घटना शुरू हो जाता है। जिस कारण पेयजल संकट गहराने लगता है। आमतौर पर दून में पेयजल की मांग 162.17 एमएलडी है, जबकि उपलब्धता 162 एमएलडी है। इस हिसाब से दूनवासियों को पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराया जा सकता है, लेकिन गर्मी में उपलब्धता कम होने लगती है। कारण बिजली की अनियमित आपूर्ति और जल स्तर का गिरना बताया जाता है। लीकेज और वितरण व्यवस्था की खामियों के कारण वर्षों से यह समस्या बनी हुई है।
ग्लोगी पावर हाउस स्रोत की कहानी
देहरादून शहर के उत्तरी भाग के एक बड़े हिस्से में ग्लोगी पावर हाउस से जलापूर्ति की जाती है। ये ग्रेविटी वाला स्रोत है। यानी कि यहां से पेयजल लेने के लिए बिजली के पंप की जरूरत नहीं पड़ती है। पानी अपने आप ही ढलान वाले क्षेत्र में पाइप लाइनों में बहता है और एक बड़े क्षेत्र में जलापूर्ति होती है। ग्लोगी पावर हाउस में जल विद्युत निगम की चार टरबाइनें हैं। इसे चलाने के लिए जो पानी नदी के स्रोत से लिया जाता है, वही आगे चलकर जल संस्थान की पाइप लाइनों में डाल दिया जाता है। इन टरबाइन में मात्र दो ही नियमित चलती हैं। ऊर्जा निगम यदि किसी खराबी के चलते इन टरबाइन से बिजली पैदा करना बंद करता है तो वह स्रोत से पानी लेना भी बंद कर देता है। ऐसे में जल संस्थान को भी जलापूर्ति के लिए पानी नहीं मिलता है। बताया जा रहा है कि गुरुवार 28 मई की दोपहर को टरबाइन बंद कर दी गई। इससे एक बड़े क्षेत्र में पानी की किल्लत पैदा हो गई।
ये किए गए थे उपाय
जल विद्युत निगम से पानी की निर्भरता को समाप्त करने के लिए जल संस्थान ने पिछले साल एक योजना बनाई थी। बताया जा रहा है कि करीब 45 लाख रुपये की ये योजना है। इसके तहत एक वाटर टैंक स्रोत पर बनाया गया है। स्रोत के पानी को इस टैंक से जोड़ने के लिए चैनल का निर्माण और पाइप लाइन आदि बिछाने का काम भी होना है। एक साल पहले टैंक तो बना दिया गया, लेकिन अन्य काम एक ईंच भी नहीं हुए। ऐसे में इस टैंक का उपयोग नहीं हो पा रहा है और पानी जल विद्युत निगम की टरबाइन चलने पर ही मिल रहा है।
ये आ रही है समस्या
अब टरबाइन बंद होने पर जल संस्थान कई बार सीधे स्रोत से ही पेयजल आपूर्ति करता है। ऐसे में नदी की बजरी और रेत भी पाइप लाइनों में चली जाती है। इससे लाइनें चोक हो जाती हैं। चैनल के माध्यम से यदि टैंक में पानी पहुंचाया जाता तो शायद समस्या का समाधान हो सकता था। इसके बावजूद एक साल तक इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
इन इलाकों में मचा हाहाकार
दो दिन से टरबाइन बंद होने से कई इलाकों में जलापूर्ति बाधित पड़ी है। देहरादून में पुरकुल गांव, भगवंतपुर, गुनियाल गांव, चंद्रोटी, जौहड़ी गांव, मालसी, सिनौला, कुठालवाली, अनारवाला, गुच्चूपानी, नया गांव, विजयपुर हाथी बड़कला, किशनपुर, जाखन, कैनाल रोड, बारीघाट, साकेत कालोनी, आर्यनगर, सौंदावाला, चिड़ौवाली, कंडोली सहित कई इलाकों में दो दिन से पेयजल आपूर्ति ठप पड़ी है।
स्मार्ट सिटी के कार्यों से भी आपूर्ति ठप
देहरादून के आर्यनगर क्षेत्र में एक हिस्से पर नालापानी चौकी के समीप बने नलकूप से पेयजल आपूर्ति की जाती है। इस क्षेत्र पिछले छह माह से स्मार्ट सिटी के नाम पर खुदाई की जा रही है, जो कि आज तक पूरी नहीं हो पाई है। सीवर लाइन बिछाने के कार्य के चलते गुरुवार को नलकूप से पेयजल की सप्लाई होने वाली मुख्य लाइन ही टूट गई। इससे डीएल रोड, आर्यनगर, अंबेडकर कालोनी सहित कई इलाकों में पेयजल संकट पैदा हो गया है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।