मेरे तीखे भाषण से हुए थे नाराज, बाद में बोले चलता है (स्मृति शेष)
उत्तराखंड विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष और पूर्व विधायक डॉ.अनुसूया प्रसाद मैखुरी का आकस्मिक देहावसान बहुत ही दुखद है। उन्हें श्रद्धांजलि। वे गाँव के विद्यालय के प्रबंधक, ग्राम प्रधान, कर्णप्रयाग के ब्लॉक प्रमुख, बद्रीनाथ और कर्णप्रयाग से काँग्रेस के विधायक रहे। बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के वे अध्यक्ष तथा चार धाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष रहे। बचपन से अपने गाँव के जिन बड़े लोगों का नाम मैंने उत्तराखंड से बाहर रहते हुए सुना। उनमें डॉ. अनुसूया प्रसाद मैखुरी प्रमुख थे।
सन 2000 में कर्णप्रयाग में महविद्यालय के लिए चल रहे धरने में पहली बार उनसे प्रत्यक्ष मुलाकात हुई। जहां उन्होंने खुद ही अपना परिचय दिया। यह व्यवहारगत विनम्रता ही उनकी यूएसपी थी।
अलग-अलग राजनीतिक राजनीतिक पार्टियों में होने के चलते चुनाव के मामले में, मैं भी उनका सामने खड़ा रहा। व्यक्तिगत रूप से कभी तल्खी उनके व्यवहार में नहीं रही।
पिछले विधानसभा चुनाव के समय जरूर, जब मैंने जनसभा में तीखा भाषण दिया तो वे थोड़ा नाराज हुए। पर फिर कुछ समय बाद सामान्य हो गए। कुछ महीनों बाद हुई मुलाकात में बोले– कुछ दिन जरूर मैं नाराज रहा पर अब कोई बात नहीं। ठीक है,चलता रहता है।
होली, दिवाली, नए साल आदि के मौके पर वे मुझे नियमित ही फोन करते थे। कोरोना काल के दौरान भी दो मौकों पर उन्होंने मुझे फोन किया। मेरा हालचाल पूछा। अपनी भी सुनाई कि इस बीच कहाँ गए और कितना गोपेश्वर में ही रहे। दूसरी बार जब उन्होंने मुझे फोन किया तो ऐसा लगा कि बात तो कुछ बहुत नहीं थी पर, फिर भी उन्होंने बात करने के लिए फोन कर लिया था। यह नहीं मालूम था कि उनसे फोन पर वह बातचीत अंतिम बातचीत हो जाएगी। राजनीतिक मतभिन्नता जो थी। सो थी ही, आलोचना ,बहस सब थी। पर उनका अचानक इस तरह चले जाना दुखद है।
पुनः श्रद्धांजलि, अंतिम नमन भाई साहब।
इन्द्रेश मैखुरी
गढ़वाल सचिव भाकपा (माले)
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।