केदारनाथ में फिर से तोड़ी गई परंपरा, सीएम धामी की गर्भ गृह की पूजा की फोटो को लेकर कांग्रेस ने किया हमला
केदारनाथ धाम के कपाट आज से आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। आगामी छह माह तक इस धाम में ही भगवान भोले की पूजा होगी। इस बार भी उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने गर्भ गृह में पूजा की तो उसकी फोटो भी जारी कर दी गई।
केदारनाथ धाम के कपाट आज से आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। आगामी छह माह तक इस धाम में ही भगवान भोले की पूजा होगी। इस बार भी उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने गर्भ गृह में पूजा की तो उसकी फोटो भी जारी कर दी गई। इस पर कांग्रेस ने गर्भ गृह में फोटो खिंचवाना दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। पिछले साल पीएम नरेंद्र मोदी ने भी जब गर्भ गृह में पूजा की थी तो उसका लाइव प्रसारण किया गया था। वहीं, उत्तराखंड के चारों धामों में मंदिर के भीतर की फोटो और वीडियो बनाने की परंपरा नहीं है। आम श्रद्धालु ऐसा करें तो उन्हें तीर्थ पुरोहितों के कोप का भाजन होना पड़ता है, लेकिन प्रदेश के मुखिया के लिए उन्होंने भी नियमों को नजरअंदाज कर दिया।उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस की गढ़वाल मंडल की मीडिया प्रभारी गरिमा मेहरा दसोनी ने कहा कि पूरे देश में बिजली संकट बना है। जल संकट से लोग परेशान हैं। बेरोजगारी, महंगाई से जूझ रहे प्रदेश की सुख शांति के बजाय पहली पूजा प्रधानमंत्री मोदी के नाम की कराई गई। फिर भी इस पर भी कोई आपत्ति नहीं है। वहीं, जिस तरह से गर्भ गृह में पूजा के दौरान फोटो खिंचवाई गई। इतना ही नहीं सोशल मीडिया पर उसे वायरल भी किया गया। वह घोर आपत्तिजनक है।
दसोनी ने कहा केदारनाथ धाम में गर्भ गृह में बड़ी बड़ी तख्तियों में साफ शब्दों में अंकित है कि अंदर कैमरा ले जाना और उसका फोटो खींचना पूर्णतया वर्जित है। फिर जो नियम सबके लिए हैं, उनका पालन मुख्यमंत्री ने क्यों नहीं किया। यहा सत्तारूढ़ दल का अहंकार दिखाता है। मुख्यमंत्री के ऊपर और भी बड़ी जिम्मेदारी है कि वह उत्तराखंड के धार्मिक स्थलों के नियम व कायदों का ख्याल रखें।
दसौनी ने कहा अगर धाम के तीर्थ पुरोहितों ने कोई नियम बनाए हैं तो सोच समझकर ही बनाए होंगे। ऐसे में इन नियमों का अपमान करने का मुख्यमंत्री को कोई अधिकार नहीं। दसोनी ने कहा कि वोट बैंक की होड़ में भारतीय जनता पार्टी हिंदू धर्म और धर्म स्थलों की आस्था की भी ब्रांडिंग और मार्केटिंग करने की कोई कसर नहीं छोड़ रही है। यह राजनीति का निचला स्तर ही दिखाता है।
दसोनी ने कहा के प्रदेश 2013 की आपदा को झेल चुका है। ऐसे में उस मंजर को याद करते ही हर किसी की रूह कांप उठती है। फिर आखिर बाबा केदार शिव शंकर के अवतार हैं। त्रिनेत्रा बाबा केदार क्षणे रूष्टा क्षणे तुष्टा के रूप में जाने जाते हैं। ऐसी में दसौनी ने अनहोनी होने की आशंका जताई। दसोनी ने कहा मुख्यमंत्री से पाप हुआ है और वह भोलेनाथ से प्रार्थना करेंगी कि शिव शंभू बाबा केदार मुख्यमंत्री को नादान समझ कर उनकी भूल को क्षमा करेंगे।
दसोनी ने कहा प्रदेश के चारों धाम हिंदू सनातन धर्म के मानने वालों की आस्था के प्रतीक हैं। ऐसे में आस्था के साथ छेड़छाड़ या खिलवाड़ बर्दाश्त से बाहर है। मुख्यमंत्री को चाहिए कि वह पश्चाताप स्वरूप अपनी भूल के लिए बाबा केदार से क्षमा याचना करने जाएं।





