टोक्यो पैरालंपिकः भाला फेक में सुमित अंतिल ने वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ जीता गोल्ड, शूटिंग में अवनि लखेड़ा ने सोना जीत रचा इतिहास
पहली बार पैरालंपिक खेलों में खेलते हुए सुमित ने जेवलिन थ्रो के F-64 इवेंट के अपने दूसरे प्रयास में 68.08 मीटर का थ्रो किया और विश्व रिकॉर्ड बना डाला। बता दें कि अबतक पैरालंपिक में सुमित के अलावा अवनि लेखरा ने शूटिंग में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है. पैरालंपिक में भारतीय खिलाड़ी मेडल की बारिश कर रहे हैं। सड़क हादसे में अपना एक पैर गंवाने वाले सुमित ने पैरालंपिक में भाला फेंक में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास बना दिया है। सुमित हरियाणा से हैं, जब सुमित 7 साल थे तभी उनके पिता की बीमारी से मौत हुई थी।
शूटिंग में अवनि लखेड़ा ने स्वर्ण पदक जीत कर रचा इतिहास, जैवलिन थ्रो में दो पदक
टोक्यो पैरालंपिक्स में भारत की अवनि लखेड़ा ने शूटिंग में गोल्ड मेडल जीत लिया है। 19 साल की इस शूटर ने महिलाओं के 10 मीटर एयर राइफल के क्लास एसएच1 में में पहला स्थान हासिल किया। उन्होंने 249.6 का स्कोर बनाया और अव्वल रहीं। पैरालंपिक्स के इतिहास में भारत का शूटिंग में यह पहला स्वर्ण पदक है। जयपुर की अवनि ने इस स्पर्धा के क्वालिफिकेशन राउंड में 21 निशानेबाजों के बीच सातवें स्थान पर रहकर फाइनल्स में प्रवेश किया था। उन्होंने 60 सीरीज के छह छह शॉट के बाद 621.7 का स्कोर बनाया, जो शीर्ष आठ निशानेबाजों में जगह बनाने के लिए पर्याप्त था। इस भारतीय निशानेबाज ने शुरू से आखिर तक निरंतरता बनाए रखी और लगातार 10 से अधिक के स्कोर बनाए। चीन की झांग कुइपिंग और यूक्रेन की इरियाना शेतनिक 626.0 के पैरालंपिक क्वालीफिकेशन रिकार्ड के साथ पहले दो स्थान हासिल किए।
12 साल की उम्र में हुआ हादसा और आ गई व्हील चेयर में
साल 2012 में महज 12 साल की उम्र में अवनी लेखड़ा एक्सीडेंट के चलते सीधे व्हीलचेयर पर आ गई थी। इस दौरान पैरालाइज की दंश झेलने वाली अवनी यहां रुकने वाली नहीं थी। एक्सीडेंट के महज तीन साल बाद ही अवनी ने शूटिंग को अपनी जिंदगी बनाया और महज 5 साल के अंतराल में ही अवनी ने गोल्डन गर्ल का तमगा हासिल कर लिया। राजस्थान की राजधानी जयपुर की रहने वाली अवनी टोक्यो पैरालंपिक में देश का गौरव बढ़ाया।
विश्व गोल्डन गर्ल के नाम से प्रचलित अब कर दिखाया
अवनी को विश्व गोल्डन गर्ल के नाम से जानता है। शूटिंग प्रतियोगिताओं में मानो गोल्ड पर निशाना साधना अवनी की आदत बन गई है। 6 साल के अपने करियर में अवनी ने कितने गोल्ड पर निशाना साधा है ये अवनी तक को पता नहीं है और इसी खेल के दम पर अवनी ने पैरालंपिक का टिकट कटवाया था।
कोरोना से प्रभावित हुई थी प्रैक्टिस
कोरोना के चलते पिछले एक साल से अवनी की प्रैक्टिस पर काफी असर डाला, लेकिन उनके पिता ने घर में टारगेट सेट कर अवनी की प्रैक्टिस में कोई कसर नहीं छोड़ी। वह घर पर ही टारगेट पर प्रैक्टिस करती रही। साथ ही इस समय पूरा ध्यान पैरा ओलम्पिक में गोल्ड पर निशाना साधना ही लक्ष्य रहा। वो नियमित रूप से जिम और योगा पर ध्यान देती रही।
जैवलिन थ्रो में दो और मैडल
टोक्यो पैरालिंपिक्स इवेंट में भारत रियो वाली कामयाबी तो नहीं दोहरा सका, पर दो मेडल जीतने में कामयाब जरूर रहा। जैवलिन थ्रो में भारत के तीन एथलीट ने शिरकत की, इनमें रियो के गोल्ड मेडलिस्ट देवेंद्र झाझड़िया के अलावा अजीत सिंह और सुंदर सिंह गुर्जर शामिल थे। इनमें दो जैवलिन थ्रोअर भारत के लिए मेडल जीतने में कामयाब रहे। देवेंद्र झाझड़िया ने 64.35 मीटर की दूरी तक भाला फेंकते हुए देश के लिए सिल्वर मेडल जीता तो सुंदर सिंह गुर्जर ने 64.01 मीटर तक भाला फेंककर कांसा जीता। मतलब रियो की तरह गोल्ड तो जैवलिन में भारत की झोली में टोक्यो में नहीं गिर सका। पर डबल धमाल जरूर देखने को मिला।
पुरुषों के जैवलिन थ्रो इवेंट का गोल्ड मेडल श्रीलंका के हेराथ के नाम रहा, जिन्होंने 67.79 मीटर की दूरी नापते हुए नया वर्ल्ड रिकॉर्ड और पैरालिंपिक्स रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने इस मामले में भारत के देवेंद्र झाझड़िया का रियो पैरालिंपिक्स में कायम किया वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ा। हेराथ का जीता गोल्ड टोक्यो पैरालिंपिक्स में श्रीलंका की झोली में गिरा पहला मेडल भी है।
रविवार को भाविनाबेन पटेल ने महिलाओं की एकल टेबल टेनिस स्पर्धा क्लास 4 में और निषाद कुमार ने पुरुषों की टी 47 ऊंची कूद स्पर्धा में रजत पदक जीते थे। इससे पहले योगेश कथुनिया ने भारत को डिस्कस थ्रो में सिल्वर मेडल दिलाया। डिस्कस थ्रो एथलीट विनोद कुमार ने रविवार को टोक्यो पैरालंपिक में एशियाई रिकॉर्ड के साथ पुरुषों की एफ 52 स्पर्धा में कांस्य पदक जीता, लेकिन उनके विकार के क्लासिफिकेशन पर विरोध के कारण वह जीत का जश्न नहीं मना पाए। पदक समारोह भी 30 अगस्त के शाम के सत्र तक स्थगित कर दिया गया है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।