रूसी क्रांति के जनक लेनिन का जन्मदिवस आज, आज भी सुरक्षित है उनका शव, विस्तार से पढ़िए उनके बारे में
रुसी क्रांति के जनक और मार्क्सवादी विचारक व्लादिमीर लेनिन का आज जन्मदिवस है। वह एक एक रूसी क्रांतिकारी और राजनीतिज्ञ थे। उन्होंने 1917 से 1924 तक सोवियत रूस और 1922 से 1924 तक सोवियत संघ की सरकार के पहले और संस्थापक प्रमुख के रूप में कार्य किया। वह विश्व इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध नेताओं में से एक हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
20वीं सदी के सबसे प्रभावशाली नेताओं में एक
व्लादिमीर लेनिन रूसी कम्युनिस्ट पार्टी (बोल्शेविक) के संस्थापक, बोल्शेविक क्रांति (1917) के प्रेरक और नेता और सोवियत राज्य के वास्तुकार, निर्माता और पहले प्रमुख (1917–24) थे। व्लादिमीर लेनिन को सोवियत संघ के संस्थापक के रूप में याद किया जाता है। मार्क्सवाद और साम्यवाद पर उनके विचारों को लेनिनवाद के रूप में जाना जाता है। वह 20वीं सदी के सबसे प्रभावशाली राजनीतिक नेताओं में से एक थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जीवन परिचय
रूसी क्रांति के जनक माने जाने वाले व्लादिमीर लेनिन का जन्म 22 अप्रैल 1870 में सिम्बीर्स्क (अब उल्यानोवस्क), रूसी साम्राज्य में हुआ था। उनका असली नाम व्लादिमीर इलिच उल्यानोव था, लेकिन आगे चलकर वो लेनिन नाम से प्रसिद्ध हुए। उनके पिता इल्या निकोलायेविच उल्यानोव क्षेत्र की शिक्षा प्रणाली में एक उच्च अधिकारी थे। उनकी माता का नाम मारिया अलेक्जेंड्रोवना ब्लैंक था। उनके सभी भाई-बहन क्रांतिकारी थे। उनके बड़े भाई, अलेक्जेंडर को जार निकोलस द्वितीय की हत्या की साजिश में भाग लेने के लिए फांसी पर लटका दिया गया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अपने भाई-बहनों में लेनिन अपनी बहन ओल्गा के सबसे करीब थे। जनवरी 1886 में, जब लेनिन 15 वर्ष के थे, उनके पिता की ब्रेन हैमरेज से मृत्यु हो गई। इसके बाद, उन्होंने भगवान में अपनी आस्था को त्याग दिया और वो एक नास्तिक बन गए। उस समय, लेनिन के बड़े भाई अलेक्जेंडर, जिन्हें वे प्यार से साशा के नाम से बुलाते थे। वह सेंट पीटर्सबर्ग विश्वविद्यालय में पढ़ रहे थे। अलेक्जेंडर को ज़ार निकोलस II की हत्या की साजिश में उसके हिस्से के लिए फाशी लटका दिया गया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अपने पिता और भाई की मृत्यु के भावनात्मक आघात के बावजूद, लेनिन ने पढ़ाई जारी रखी। असाधारण प्रदर्शन के लिए स्वर्ण पदक के साथ अपनी कक्षा में हाई स्कूल रैंकिंग से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और कज़ान विश्वविद्यालय में कानून का अध्ययन करने का फैसला किया। उन्होंने अगस्त 1887 में कज़ान विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। एक छात्र के रूप में, लेनिन ने राजनीतिक रूप से कट्टरपंथी विचार विकसित किए; एक प्रदर्शन में भाग लेने के लिए उन्हें कज़ान विश्वविद्यालय से निष्कासित कर दिया गया। लौटने के बाद उन्होंने अंततः बार परीक्षा उत्तीर्ण की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मार्क्सवादी सिद्धांत के समर्थक
1893 में, लेनिन सेंट पीटर्सबर्ग में स्थानांतरित हो गए. इस समय तक वे मार्क्सवादी बन चुके थे। लेनिन के अनुसार मार्क्सवादी सिद्धांत सर्वशक्तिमान है क्योंकि यह सत्य हैं। सेंट पीटर्सबर्ग में रहते हुए लेनिन ने श्रमिकों को संगठित करने के इरादे से कई विवादास्पद पत्र और लेख लिखे। विशेष रूप से उन्होंने श्रम की मुक्ति के लिए संघर्ष के लिए सेंट पीटर्सबर्ग यूनियन को संगठित करने में मदद की। जिसने रूसी मार्क्सवादी आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए किए गए गिरफ्तार
1897 में लेनिन को उनकी क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए गिरफ्तार किया गया और साइबेरिया में तीन साल के निर्वासन की सजा सुनाई गई। 1898 में, उन्होंने नादेज़्दा क्रुपस्काया से शादी की। साइबेरिया से रिहा होने के बाद, लेनिन ने अगले 17 साल पूरे यूरोप की यात्रा में बिताए। वह 1905 की असफल क्रांति में भाग लेने के लिए सिर्फ एक बार रूस लौटे। वह रूस में केंद्रीय मार्क्सवादी समाचार पत्र इस्क्रा के संपादकीय बोर्ड में भी शामिल हुए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रथम विश्व युद्ध और विद्रोह के लिए रुसी तैयार
1914 में जब प्रथम विश्व युद्ध छिड़ा तो लाखों रूसी कामगारों और किसानों को सेना में शामिल होने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्हें भयानक परिस्थितियों में युद्ध में भेजा गया था। उनके पास अक्सर बहुत कम प्रशिक्षण था, कोई भोजन नहीं था, कोई जूते नहीं थे। कभी-कभी उन्हें बिना हथियारों के लड़ने के लिए मजबूर किया जाता था। ज़ार के नेतृत्व में लाखों रूसी सैनिक मारे गए। रूसी लोग विद्रोह के लिए तैयार थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रूसी क्रांति में भूमिका
1917 में रूस में क्रांति हुई। ज़ार को उखाड़ फेंका गया और रूस को अनंतिम सरकार द्वारा चलाया गया। जर्मनी की सहायता से लेनिन रूस लौट आए। उन्होंने अनंतिम सरकार के खिलाफ बोलना शुरू कर दिया। वह जनता द्वारा शासित सरकार चाहते थे। अक्टूबर 1917 में लेनिन और उनकी बोल्शेविक पार्टी ने सरकार संभाली। इस अधिग्रहण को अक्टूबर क्रांति या बोल्शेविक क्रांति भी कहा जाता है। लेनिन ने रूसी समाजवादी संघीय सोवियत गणराज्य की स्थापना की और वह नई सरकार के नेता थे। नई सरकार की स्थापना के बाद लेनिन ने कई बदलाव किए। उन्होंने तुरंत जर्मनी के साथ शांति स्थापित की और प्रथम विश्व युद्ध से सोवियत संघ को बाहर निकल लिया। उन्होंने अमीर जमींदारों से जमीन भी ली और उसे किसानों के बीच बांट दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रूसी गृहयुद्ध
लेनिन ने कई सालों तक गृहयुद्ध लड़ा। उन्होंने किसानों को अपनी सेना में शामिल किया। अपने सैनिकों को खिलाने के लिए किसानों से भोजन भी लिया। गृहयुद्ध ने रूस की अधिकांश अर्थव्यवस्था को नष्ट कर दिया और लाखों लोग भूखे मरने लगे। गृहयुद्ध के बाद, लेनिन ने नई आर्थिक नीति शुरू की। इस नई नीति ने कुछ निजी स्वामित्व और पूंजीवाद की अनुमति दी। इस नई नीति के तहत रूसी अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ। जब बोल्शेविकों ने अंततः गृहयुद्ध जीत लिया, लेनिन ने 1922 में सोवियत संघ की स्थापना की। यह दुनिया का पहला कम्युनिस्ट देश था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
लेनिन का शव आज भी है सुरक्षित
साल 1918 में लेनिन पर एक जानलेवा हमला हुआ और उनकी हत्या का प्रयास किया गया। हालांकि वह इस दौरान बाल-बाल बच गए लेकिन वह इस हत्या के प्रयास में गंभीर रूप से घायल हो गए। लेनिन पर हुए हमले के बाद उनकी स्वास्थ्य में लगातार गिरावट होती गई और साल 1922 में उन्हें एक स्ट्रोक आया, जिससे वह उबर नहीं पाए और बहुत कमजोर हो गए। 21 जनवरी 1924 को उनकी मृत्यु हो गई। लेनिन की मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार नहीं किया गया और शव को संरक्षित कर मॉस्को के रेड स्क्वायर में रख दिया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
विश्वविद्यालय से हुए थे निष्कासित
विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई करने के दौरान रूसी क्रांति के जनक लेनिन को अपनी कट्टरपंथी नीतियों के लिए विश्वविद्यालय से निष्कासित होना पड़ा था। वह अपने पढ़ाई के दौरान जार शासन के खिलाफ विद्रोह कर रहे थे। इस दौरान उनके बड़े भाई एलेक्जेंडर उल्यानोव को साल 1887 में जार की हत्या की साजिश में फांसी दे दी गई। हालांकि, लेनिन ने इन सबके बावजूद हार नहीं माने और साल 1891 में एक बाहरी छात्र के रूप में कानून की डिग्री पूरी की। लेनिन ने साल 1893 में सेंट पीटर्सबर्ग में चले गए और वहां एक वरिष्ठ मार्क्सवादी कार्यकर्ता बन गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कई देश कर रहे हैं लेनिन के विचारों का झंडा बुलंद
मालूम हो कि रूस में मार्क्सवाद का झंडा बुलंद करने वाले ये विचारक आज भी दुनिया के कई देशों में जिंदा हैं। चीन और उत्तर कोरिया इसकी जीती जागती मिसाल हैं, जहां कम्यूनिस्ट सरकारों का वर्षों से राज है। लेनिन ने रूस को अपने शासन में मजबूती प्रदान करने के साथ-साथ वो उस सोच को विकसित करने में कामयाब रहे, जिसकी बदौलत रूस लगातार तरक्की करता रहा। लेनिन ने रूसी अर्थव्यवस्था को एक समाजवादी मॉडल में बदलने का प्रयास किया। हालांकि, उनका यह प्रयास धरा का धरा ही रह गया, जिसके बाद उन्होंने नई आर्थिक नीति पेश की। इस नीति के कारण से उन्होंने उद्यम को बढ़ावा दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
निर्वासिन के दौरान की थी शादी
लेनिन के पिता की मौत 1886 में हो गई, जिसके बाद घर की जिम्मेदारी उनके ऊपर आ गई। इस दौरान 1887 में उनके बड़े भाई को जार की हत्या का षडयंत्र रचने में शमिल होने के आरोप में फांसी दे दी गई। इसके बाद लेनिन रूस की क्रांतिकारी समाजवादी राजनीति के करीब आए। जार शासन के खिलाफ झंडा बुलंद करने की सजा के तौर पर उन्हें कजन इंपीरियल यूनिवर्सिटी से निकाल दिया गया। वह 1893 में सेंट पीटर्सबर्ग में चले गए और वहां एक वरिष्ठ मार्क्सवादी कार्यकर्ता बन गए। 1897 में उन्हें देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर तीन वर्षों के लिए निर्वासित कर दिया गया था। इसी दौरान उन्होंने नाडेज्डा कृपकाया से शादी की। इसी निर्वासन के दौरान वे पश्चिमी यूरोप गए और मार्क्सवादी रूसी सामाजिक डेमोक्रेटिक लेबर पार्टी (आरएसडीएलपी) में एक प्रमुख सिद्धांतकार बन कर उभरे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
विश्व युद्ध के दौरान चलाया था अभियान
रूस की 1905 की असफल क्रांति के दौरान लेनिन ने शासन के खिलाफ विद्रोह के आगे बढ़ाया। उन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के समय एक अभियान चलाया। इसका मकसद यूरोप में व्यापी सर्वहारा वर्ग के खिलाफ क्रांति का सूत्रपात करना था। लेनिन का मानना था कि इस क्रांति के कारण पूंजीवाद को उखाड़ फेंकने और समाजवाद की स्थापना करने में मदद मिलेगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अंतरिम सरकार के गठन के दौरान लौटे रूस
रूस में जार शासन का अंत फरवरी 1917 में हुआ। इस दौरान रूस में अंतरिम सरकार को स्थापित किया गया। इसके साथ ही वो रूस वापस लौटे और देश की कमान संभाली। 1917 में उनके नेतृत्व में जो क्रांति हुई थी उसको बोल्शेविक क्रांति भी कहा जाता है। लेनिन 1917 से 1924 तक सोवियत रूस के और 1922 से 1924 तक सोवियत संघ के हेड ऑफ गवर्नमेंट रहे। उनके प्रशासन काल में रूस, और उसके बाद व्यापक सोवियत संघ भी, रूसी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा नियंत्रित एक-पक्ष साम्यवादी राज्य बन गया।

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।