उत्तराखंड को आध्यात्मिक राजधानी घोषित करने के सपने को जमीन में उतारने का समय
लोकतांत्रिक मोर्चा के तत्वावधान में आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने उत्तराखंड को आध्यात्मिक राजधानी बनाने के सपने को धरातल पर उतारने के लिए निरंतर प्रयास करने पर जोर दिया।
देहरादून में महिला पॉलिटेक्निक में आयोजित गोष्ठी में मोर्चा के अध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह पांगती ने कहा कि आध्यत्म की शास्त्रों में दी गयी व्याख्या मानव मुख से उच्चारित वाणी है। उन्होंने कहा कि सृष्टि की रचना के पांच कारक तत्वों का सार जान लेने वाले व्यक्ति को आध्यात्मिक सुख की प्राप्ति होती है। गोष्ठी मे मौजूद विजय शंकर शुक्ला ने कहा कि किसी भी देश को तभी एक जुट रखा जा सकता है, जब लोकतंत्र, समाजवाद , फेडरल व सेक्युलर रूपी चार खम्बे मजबूत हो। इसमें आध्यत्म की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
गोष्ठी के संयोजक व लोकतांत्रिक मोर्चा के पीसी थपलियाल ने शक्ति पुंज की महत्ता व इसके उद्देश्यों में प्रकाश डालते हुए कहा कि व्यास घाट को अध्यात्म का मुख्य केंद्र बताया। साथ ही राज्य को विश्व की आध्यत्मिक राजधानी की घोषित करने की मांग को लेकर संघर्ष को दोहराया। बैठक में भैरव सेना के अध्यक्ष संदीप खत्री, संजीव टांक, मनीष ओली, नमिता ममगाईं, जयवीर पुंडीर, हर्षमणी व्यास, रंजना रावत व हरिशंकर जोशी ने विचार व्यक्त किए।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।