जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर पहुंची आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी, अब शुरू हुई शीतकालीन यात्रा
बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद आज आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर पहुच गई। इसके साथ ही चारधाम यात्रा का समापन हो गया। अब शीतकालीन यात्रा शुरू हो गई। इसके तहत चार धामों के स्थान पर इन धामों के पूजा स्थलों तक श्रद्धालु पहुंचकर भगवान की पूजा अर्चना कर सकेंगे। गौरतलब है कि गंगात्री धाम के कपाट 15 नवंबर को, गंगोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट 16 नवंबर को बंद हो चुके हैं। इन धामों से भी उत्सव डोली शीतकालीन पूजा स्थल पर पहुंच चुकी है। वहीं, बदरीनाथ धाम के कपाट 19 नवंबर की अपराह्न 3.35 बजे बंद हुए थे। बदरीनाथ धाम मंदिर से उद्धवजी की डोली बाहर निकालकर रात को रावल निवास और कुबेरजी की डोली ने बामणी गांव स्थित नंदा देवी मंदिर में विश्राम किया।
अगले दिन 20 नवंबर को दोनों डोली के साथ ही आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी बदरीनाथ से रवाना होकर पांडुकेश्वर स्थित योग ध्यान मंदिर पहुंची थी। वहीं, उद्धवजी और कुबेरजी की मूर्ति को स्थापित कर दिया गया। अब बदरी विशाल की आगामी छह माह तक शीतकाल में पूजा इसी योगध्यान मंदिर में की जाती है। वहीं, शंकराचार्य की गद्दी ने कल रात इसी मंदिर में विश्राम किया था। आज गद्दी लेकर श्रद्धालु जोशीमठ रवाना हुए। यहां पूजा अर्चना और विधि विधान के साथ नृसिंह मंदिर में गद्दी को स्थापित कर दिया गया।
इस दौरान शंकराचार्यजी की डोली का भव्य स्वागत किया गया। इस मौके पर रावल ईश्वरीप्रसाद नंबूदरी, चारधाम देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीडी सिंह, धर्माधिकारी भुवन उनियाल, ज्योतिपीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सहित अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।
नवीन कठैत की रिपोर्ट।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।