Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

June 27, 2025

ललित मोहन गहतोड़ी की तीन लघु कुमाऊंनी कविता

धुंगार…
चार दिनैकि ज्यूदि पराणि
द्वि दिन दुखाका दुख्यारि
बचि खुचि बीचै द्वि दिन
राजिखुशि जिया पिठि भाई
उठि बैठी पेटकोवा पड़ै
होस लौटछि छौंकै छाई
घ्यूं समझ सरसों तेलकि
धुंगार सबलै लगाई हाई (अगले पैरे में देखें दूसरी कविता)

कूनैयु…
मीठो बोल अनमोल कुनैयु…
हीरा मोती, मोल कूनैयु…
आदमी छै तू, आदमी रैये…
आदमी रौलै, फैद कूनैयु…
अकड़ देखौन हद रैज कूनैयु…
मिलिजुलि रयो भल मैंस कूनैयु…
एकल्वै भाजलै, जानि दुख पालै…
एकलै चानैकि, कभै नै खैर कूनैयु… (अगले पैरे में देखें तीसरी कविता)

कल्लीण…
मतारि बाबू कै, फुटि आंख नै देखन
भाई बंधु रिश्त आब, क्वै लै नै पुछन
अपना मनैक कस, मैंस है गयी बलौ
कुलों में कल्लीण, जस पैद हैगीं बलौ
रचनाकार का परिचय
नाम-ललित मोहन गहतोड़ी
शिक्षा :
हाईस्कूल, 1993
इंटरमीडिएट, 1996
स्नातक, 1999
डिप्लोमा इन स्टेनोग्राफी, 2000
निवासी-जगदंबा कालोनी, चांदमारी लोहाघाट
जिला चंपावत, उत्तराखंड।

 

 

Bhanu Prakash

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page

2 chyby za 7 sekund: Velmi obtížný IQ Dva lvi: Jak rychle 71. číslo - pouze ti nejpozornější uvidí mezi 77 Jen géniové Pouze ti nejchytřejší námořníci budou Blog/2025/06/26/každý vidí kuřata, ale vy musíte najít