जिनको माँ गंगा ने बुलाया है, उन्होंने गंगा में गटर का पानी मिलाया है
उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने राज्य की धामी सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। दसौनी ने कहा कि क्या अब राज्य के गंगा तट पर अमृत नहीं विषाक्त जल का आचमन होगा। उन्होंने कहा माँ गंगा में गटर का पानी श्रृद्धालुओं की आस्था का अनादर है। भाजपा सरकारें हमारी ईश्वरीय और वैदिक आस्थाओं से खिलवाड़ कर रही हैं। इतना ही नहीं हिंदुत्व की आड़ में हमारी सनातन संस्कृति पर कुठाराघात कर रही हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गरिमा ने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि हाल ही में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने देश की भाजपा सरकारों पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि यदि गंगा में सीवेज़ को रोकने के लिए तुरंत सख़्त कदम नहीं उठाया गया, तो स्नान व आचमन करने वाले लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा कि उत्तराखंड में गंगा का उद्गम स्थल ही प्रदूषित पाया गया। एनजीटी ने उत्तराखंड के जिम्मेदार अधिकारियों पर एफआईआर करने तक के आदेश दिए। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में असी और वरुणा नदी की दुर्दशा से जुड़ी दो याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान एनजीटी ने काशी में गंगाजल की शुद्धता को लेकर कलेक्टर को फटकार लगाते हुए पूछा कि क्या आप गंगाजल पी सकते हैं? क्यों नहीं बोर्ड लगा देते हैं कि गंगा का पानी नहाने और पीने योग्य नहीं है? (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT)ने उत्तराखंड को लेकर भी बहुत सख्त टिप्पणी की है। उसके मुताबिक उत्तराखंड में गंगा को उद्गम स्थल से ही अपवित्र कर दिया गया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पांच नवंबर 2024 को उत्तराखंड राज्य में माँ गंगा में मिलाए जा रहे नालों पर गंभीर चिंता व्यक्त की। एनजीटी के सम्मुख यह तथ्य भी सामने लाया गया कि गंगा के उद्गम स्थल गंगोत्री में जो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट है, जिसमें से गंगा में जल छोड़ा जा रहा है। उसमें एक एमएलडी पानी की जाँच करने पर यह तथ्य प्रकाश में आया है कि इस पानी में FC 540MPN/100ml पाया गया है। इससे ज्ञात होता है कि यहाँ गंगा उद्गम स्थल से ही प्रदूषित है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गरिमा कहा कि उत्तराखंड सरकार द्वारा दिए गए शपथ पत्र से यह ज्ञात होता है कि उत्तराखंड में कुल 512.23 एमएलडी गंदा पानी निकलता है। कुल 69 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगे हैं, जिनकी क्षमता 316.87 एमएलडी पानी को ट्रीट करने की है। अर्थात 195.36 एमएलडी नालों का पानी सीधा गंगा में छोड़ा जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इतना ही नहीं, सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट में यह चौंकाने वाला खुलासा भी हुआ कि गंगा से लगे शहरों के 48 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट ऐसे हैं, जो मानक स्तर के हैं ही नहीं। कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने पूरे परिदृश्य पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तराखंड में भी गंगा में नालों के पानी को मिलाए जाने की भयावहता ऐसी है कि एनजीटी ने 09 फरवरी 2024 के आदेश में यह लिख दिया कि संबंधित जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए और एफआईआर के आदेश दे दिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह कहते हैं कि मुझे माँ गंगा ने बुलाया है, पर उसके उलट पिछले दस वर्षों में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और देश की डबल इंजन की भाजपा सरकारों ने माँ गंगा की पवित्रता और श्रृद्धालुओं की आस्था पर दोहरा आघात किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गरिमा ने राज्य सरकार से पूछे चार सवाल
1. क्या उत्तराखंड के मुख्यमंत्री, करोड़ों श्रृद्धालुओं को यह आश्वासन देंगे कि गंगा का जल स्नान और आचमन के योग्य होगा?
2. क्या राज्य सरकार हाई पॉवर कमिटी गठित कर पूरे प्रदेश के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और नालों को गंगा में मिलाए जाने की तथ्यात्मक रिपोर्ट तुरंत एनजीटी में प्रस्तुत करेंगे?
3.क्या पूरी प्रतिबद्धता और दृढ़ इच्छाशक्ति से देश के श्रृद्धालुओं और कांग्रेस की उक्त चिंताओं का सरकार तुरंत संज्ञान लेगी व उनका निराकरण करेगी?
4. क्या राज्य सरकार प्रदेश की जनता को यह बताएगी कि नमामि गंगे के तहत गंगा सफाई के लिए अभी तक पिछले 10 सालों में उत्तराखंड राज्य को कितना बजट मिल चुका है?
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।