इस बार पड़ सकती है कड़ाके की ठंड, ऊर्जा संकट भी भी संभावना, उत्तरी इलाकों में तीन डिग्री से नीचे हो सकता है तापमान
इस बार सर्दी भी रुलाने वाली पड़ सकती है। उत्तरपूर्व एशिया में कड़ाके की ठंड़ पड़ने का अनुमान है। इससे क्षेत्र में उर्जा संकट बढ़ने की भी आशंका जताई जा रही है।
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ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, कई देश खासकर चीन ईंधन की ऊंची कीमतों और बिजली के संकट से जूझ रहे हैं। कोयले और गैस के दाम पहले से ऊंचाई पर हैं. ऐसे में कड़ाके की ठंड से इन चीजों की मांग और बढ़ेगी। डेटा प्रोवाइडर डीटीएन में मौसम गतिविधियों के उपाध्यक्ष रेनी वांडेवेगे ने कहा कि हम उम्मीद कर रहे हैं कि पूरे उत्तरपूर्व एशिया में इस बार सर्दी में तापमान सामान्य से कम रहेगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में जनवरी-फरवरी में कुछ उत्तरी इलाकों में तापमान 3 डिग्री सेल्सियस तक जाने की संभावना है। अन्य देशों के विपरीत, ठंडा मौसम यहां आमतौर पर कम ऊर्जा खपत दर्शाता है, क्योंकि एयर कंडीशनिंग की मांग हो जाती है। सबसे अहम बात यह कि मानसून सीजन के समाप्त होने के बाद देश में शुष्क अवधि का अनुमान लगाया जा रहा है। हाल के महीनों में प्रमुख कोयला खनन क्षेत्रों का बाढ़ का सामना करना पड़ा। जिससे देश की 70 प्रतिशत बिजली के उत्पादन के लिए सप्लाई होने वाले ईंधन (कोयले) की आपूर्ति में गिरावट आई।
Atmospheric G2 में मौसम विज्ञान के निदेशक टॉड क्रॉफर्ड के अनुसार, ला नीना की घटनाओं के अलावा अन्य कारक भी हैं जो उत्तरपूर्व एशिया के सर्दियों के मौसम को प्रभावित कर सकते हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण आर्कटिक के कारा सागर में समुद्री बर्फ की कमी हो गई है, जो क्षेत्र में उच्च दबाव से छुटकारा पाने में योगदान दे सकता है। यह पूरे उत्तरपूर्व एशिया में कड़ाके की ठंड की ओर इशारा करता है जैसे पिछले साल सर्दियों में हुआ था।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।