इस बार लोगों ने झेली भीषण गर्मी, अब कड़ाके की सर्दी को रहो तैयार, टूट सकता है 25 साल का रिकॉर्ड, जानिए उत्तराखंड का मौसम
उत्तराखंड से लेकर भारत के मैदानी इलाकों में गर्मी ने कहर बरपाया। जब बरसात शुरू हुई तो जुलाई अगस्त से ज्यादा सितंबर बरसा। वहीं, अक्टूबर सूखा चला गया। ऐसे में सर्दी का आगमन समय से नहीं हुआ है। बात यदि उत्तराखंड की की जाए तो फिलहाल पर्वतीय जिलों में तो सर्दी है। वहीं, मैदानी जिलों में दिन में गर्मी, सुबह, शाम और रात को हल्की सर्दी है। नवंबर माह का एक सप्ताह बीतने के बाद भी अभी ज्यादा सर्दी नहीं पड़ी है। हालांकि, माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में धीरे धीरे देहरादून में सर्दी बढ़ने लगेगी। वहीं, इस बार देशभर में सर्दी 25 साल के रिकॉर्ड को तोड़ सकती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रोफेसर ने किया कड़ाके की सर्दी का दावा
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर इस बार ज्यादा गर्मी होने के बावजूद आने वाले समय में कड़ाके की सर्दी पड़ने का दावा किया है। प्रोफेसर के मुताबिक इस बार सर्दी का 25 साल का रिकॉर्ड टूट सकता है। इसके साथ ही उन्होंने मौसम में तमाम तरह के बदलाव के संकेत भी दिए हैं। उन्होंने कहा कि इस बार उम्मीद से ज्यादा गर्मी रही, लेकिन जल्द ही हाड़ कंपाने वाली सर्दी भी पड़ेगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रोफेसर ने दी ये दलीलें
एएमयू के भूगोल विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सलेहा जमाल ने अपने दावे को लेकर कई तरह की दलीलें भी दी हैं। उन्होंने कहा कि ये प्रशांत महासागर में ला-नीना का असर है। उन्होंने बताया कि ला-नीना के कारण हमारे क्षेत्र में तापमान में गिरावट और उच्च दबाव वाली ठंडी हवाएं बढ़ेंगी, जो उत्तर भारत में ठंड का प्रकोप लाएंगी। उन्होंने कहा कि यह एक जलवायु चक्र है, जो मौसम में अप्रत्याशित बदलाव लाता है। जैसे कि बारिश पहले कम हुई, लेकिन फिर काफी ज्यादा बारिश से बाढ़ की स्थिति बनी। यही अस्थिरता ठंड में भी देखने को मिल सकती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
फसलों पर पड़ेगा ठंड का असर
प्रोफेसर जमाल ने बताया कि ला-नीना का सीधा असर रबी और खरीफ की फसलों पर भी दिखेगा। अगले साल मार्च और अप्रैल में असामान्य ठंड और बारिश से किसानों को नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा कि प्रशांत महासागर की हवाएं भूमध्य रेखा के समानांतर पश्चिम की ओर बहती हैं, जो गर्म पानी को दक्षिण अमेरिका से एशिया की ओर ले जाती हैं। अल-नीनो और ला-नीना जैसे प्रभाव न केवल मौसम बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था और पर्यावरण पर भी असर डालते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जलवायु परिवर्तन का चक्र और भारत पर प्रभाव
डॉ. जमाल के अनुसार, अल-नीनो और ला-नीना के प्रभाव आमतौर पर 9 से 12 महीने तक रहते हैं, लेकिन इनके आने का कोई तय समय नहीं होता। ये चक्र हर 2 से 7 साल में आते हैं और इनका असर दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जलवायु को प्रभावित करता है। विशेष रूप से भारत का मानसून प्रशांत महासागर की जलवायु पर निर्भर रहता है, जिससे जलवायु में कोई भी बदलाव भारत के मौसम पर सीधा प्रभाव डालता है। डॉ. जमाल ने कहा कि ला-नीना की वजह से भारत में अत्यधिक ठंड के अलावा सूखा और अनियमित बारिश जैसी घटनाएं भी देखने को मिल सकती हैं। इस बार ठंड का प्रकोप ज्यादा होने की उम्मीद है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड का मौसम
फिलहाल उत्तराखंड में पहाड़ से लेकर मैदान तक मौसम शुष्क है। हालांकि, राज्य मौसम विज्ञान केंद्र ने आठ और नौ नवंबर को पिथौरागढ़ और बागेश्वर जिले में कहीं कहीं बहुत हल्की से हल्की बारिश की संभावना जताई है। शेष जिले शुष्क रहेंगे। 10 से 14 नवंबर तक राज्यभर में मौसम शुष्क रहने का अनुमान है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
देहरादून का मौसम
राजधानी देहरादून में फिलहाल तापमान में अब गिरावट देखी जा रही है। सुबह, शाम और रात को अब पंखों की जरूरत महसूस नहीं हो रही है। आज आठ नवंबर की सुबह करीब साढ़े दस बजे देहरादून का तापमान 23 डिग्री सेल्सियस के करीब था। इसके अधिकतम 26 डिग्री और न्यूनतम 17 डिग्री रहने का अनुमान है। नौ से 15 नवंबर तक देहरादून का अधिकतम तापमान 26 डिग्री ही रहने की संभावना है। वहीं, न्यूनतम तापमान 10 नवंबर तक 17 डिग्री, 11 से 15 नवंबर तक क्रमशः 16, 16, 15, 16, 15 डिग्री रह सकता है। इस बीच आठ से 10 नवंबर, 14 व 15 नवंबर को देहरादून में कहीं कहीं बादल भी रहेंगे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।