Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

September 11, 2025

शिक्षा नहीं, शौक से लिखना सीख गया ये युवा साहित्यकार, पढ़िए सुरेन्द्र प्रजापति की कविता-प्रेम

शिक्षा नहीं, शौक से लिखना सीख गया ये युवा साहित्यकार, पढ़िए सुरेन्द्र प्रजापति की कविता-प्रेम।

प्रेम

मेरा प्रेम संगीत
मंदिरों में गुंजते
पवित्र मंत्रोचारण और
घण्टियों की ध्वनियों के साथ
हर दिशाओं में गुंज रही है

मेरे प्यार की निर्मल सुगन्ध,
बसन्त के फुलों सी
चारों ओर फैल रही है

अचानक मेरे हृदय में,
इच्छाओं की हरियाली
उगने लगी है।

मेरा प्रेम मेरे पास नहीं है
पर उसका कोमल स्पर्श
मेरे केशों पर है।

और उसकी सुमधुर आवाज
कोकिल की तान सी
अप्रैल के सुहावने मैदानों से
संवाद करती आ रही है।

उसका चुम्बन, हवाओं में तैरता है
मैं कसमसा रहा हूँ
चुमना चाहता हूँ उसे
पर उसका होंठ कहाँ है ?

उसकी टकटकी लगाई आँखे
यहाँ की वादियों से
मुझे देख रही है।
पर वह है कहाँ ?
उसकी दृष्टि कहाँ है?
एक कोरी नीरवता के साथ

कवि का परिचय
नाम-सुरेन्द्र प्रजापति
पता -गाँव असनी, पोस्ट-बलिया, थाना-गुरारू
तहसील टेकारी,जिला गया, बिहार।
मोबाइल न० 6261821603, 9006248245
शिक्षा – मैट्रिक
मैं, सुरेन्द्र प्रजापति बचपन से साहित्यिक पुस्तक पढ़ने का शौकीन हूँ। पाँचवी पास कर मैं पढ़ाई को छोड़ चुका था, लेकिन अपने स्वभाव के अनुसार, कहानी, लेख उपन्यास के पठन पाठन में मेरी रुचि जोर पकड़ती रही। लेखन कब शुरू कर दिया पता नही चला। फिर तो लगातार लिखना शुरू कर दिया। मेरे लिखे कविता, लेख, कहानी को मेरे दोस्त पढ़ते और उत्साहित करते। कई वर्षों बाद मैं मैट्रिक किया। लिखने का सिलसिला लगातार चलता रहा। अभी तक किसी भी साहित्यिक उपलब्धि से वंचित। कुछ पत्र-पत्रिकाओं एवं बेव पत्रिकाओं में कविताएँ प्रकाशित।
एक कहानियों का संग्रह सूरज क्षितिज में प्रकाशित।
सम्प्रति:- एक अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ मिशन में स्वास्थ्य सलाहकार।

Bhanu Bangwal

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

1 thought on “शिक्षा नहीं, शौक से लिखना सीख गया ये युवा साहित्यकार, पढ़िए सुरेन्द्र प्रजापति की कविता-प्रेम

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *