ऐसे कराते हैं नारियल से नृत्य, विधि है अत्याचारी, आप ना करना ऐसा
कई बार साधु या बाबा लोगों को चमत्कार दिखाने के लिए ऐसी विधि करते हैं, जो लोगों को चमत्कार से कम नहीं लगती है। वहीं, सच्चाई ये भी है कि ऐसी विधि बेजुबान पर अत्याचार करके ही दर्शायी जाती है। जैसे एक नारियल के आगे जब अगरबत्ती आदि जलाकर या हवन करके उसकी पूजा करने का स्वांग रचा जाता है तो नारियल नाचने लगता है। इस नाचने के लिए सच्चाई से ही हम आपको अवगत कराने का रहे हैं। ज्ञान बढ़ाने के लिए ऐसी विधि को जान लेना चाहिए, लेकिन इसे करने से सदैव बचना चाहिए।सामग्री और विधि
इस काम के लिए सूखा नारियल, ब्लेड (लोहे की आरी), भूखा मेंढक, मोम, हवन सामग्री की जरूरत पड़ती है। सबसे पहले हम सूखे नारियल को बीच से निशान लगाकर तेज धार वाली आरी से काट देते हैं। फिर उसके भीतर से गिरी को निकाल लेते हैं। फिर आंख वाले हिस्सों में हम छेद कर देते हैं। फिर दो टुकड़ों के बीच एक भूखा मेंढक रखकर नारियल के दोनों टुकड़ों आपस में जमाकर उसे सीलिंग मोम की सहायता से चिपका देते हैं। ऐसे में नारियल पूरा हो जाएगा।
इसके बाद जोड़ छिपाने के लिए नारियल में हल्दी लगा देते हैं। साथ ही जोड़ पर ही पूजा का धागा बांध देते हैं। इस तैयारी को पूरा करने के बाद यहां से हम खेल शुरू करते हैं। अब एक गड्ढे में हवन करते हुए अग्नि प्रज्ज्वलित करते हैं। मंत्रोच्चार के साथ ही नारियल की आंख वाला हिस्सा हवन के धुएं के पास ले जाते हैं, जिससे धुआं भीतर जाए। स्वांग रचाने को हम कहते हैं कि नारियल में प्रेतात्मा है। हम हवन की आग में मिर्च भी डाल सकते हैं। ऐसे में धुआं जब नारियल के भीतर जाएगा तो वहां मेंढक उछल कूद मचाने लगता है। नारियल को जमीन में रखते हैं तो वह काफी देर तक नाचता रहता है। सामने वाला इसे चमत्कार समझेगा।
तथ्य और सावधानी
ये प्रयोग मेंढक के उछलकूद पर आधारित है। इसके लिए नारियल की आंख में छेद करना जरूरी होता है। ताकी भीतर धुआं जाए और मेंढक परेशान होकर उछलकूद मचाने लगे। ध्यान रखना चाहिए कि नारियल के दोनों टुकड़े मजबूती से जुड़े हों। इसलिए उन्हें सही तरीके से चिपकाना जरूरी है।





