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March 10, 2025

रसोई में जहर के समान हैं ये वस्तुएं, भूलकर भी ना करें इनका उपयोग, ऐसा आलू भी खतरनाक, पढ़िए काम की खबर

किचन में सबका प्रयास होता है कि खानपान की वस्तुओं से भरा हो। याहे फ्रीज हो या फिर किचन में रखे डिब्बों में सामग्री। ऐसे में क्या आप जानते हैं कि आपके किचन में रोजाना इस्तेमाल होने वाली बहुत सारी चीजें ऐसी होती है, जिनको अगर आप ध्यान से इस्तेमाल नहीं करेंगे तो ये चीजें आपकी सेहत के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं। ये चीजें जहर का रूप भी ले सकती हैं। ऐसे में इस तरह की सामग्री को खाने से परहेज करना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बादाम से भी हो सकता है नुकसान
बादाम खाने के फायदे तो हम सभी जानते हैं, लेकिन शायद आप यह नहीं जानते होंगे कि अगर रसोई में रखें बादाम पुराने हैं और इनमें थोडा सा भी कडवापन आ गया है, तो यह आपकी सेहत के लिए जहर साबित हो सकते हैं। बादाम के स्वाद में जब कड़वापन आ जाता है तो उनमें हाइड्रोजन साइनाइड की मात्रा बढ़ जाती है जो आपकी सेहत पर बुरा असर डालती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अंकुरित आलू
हर रसोई में सब्जियों का राजा आलू तो आराम से मिल ही जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कई बार आलू के कुछ दिन पड़े रहने के बाद उस पर जो अंकुर निकलने शुरू हो जाते हैं। इन आलू को आप दूसरे आलू की तरह ही सब्जी में इस्तेंमाल करने लगते हैं। आप इस बात से अंजान है कि ये आलू आपकी सेहत पर बहुत बुरा असर डालते हैं। ऐसे में अंकुरित आलू को खाने से बचना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

शहद
अक्सर लोग शुद्ध शहद के चक्कर में सीधे मधुमक्खी के छत्ते से सीधे निकला गया शहद खरीद लेते हैं। इसकी शुद्धता की कोई गारंटी नहीं होती है। यह शहद हमारी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है, क्योंकि इसमें मौजूद छोटे-छोटे जीव हानिकारक हो सकते हैं। इसके सेवन से उल्टी आना, चक्कर आना जैसे कई परेशानियां हो सकती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

फलों के बीज
कुछ फलों जैसे सेब, चैरी, प्लम, नाशपाती और आड़ू के बीजों में हाइड्रोजन साइनाइड की मात्रा बहुत अधिक होती है, जिसे प्रोसीयिक एसिड कहा जाता है। भूलकर भी इनके बीज का सेवन न करे और न ही इन्हे चबाएं। इसके सेवन से सेहत से जुड़ी परेशानिया हो सकती हैं। सेब के बीजों में मौजूद साइनाइड का सेवन तेजी से सांस लेने, दौरे और संभवतः मृत्यु का कारण बन सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जायफल
घरों में जायफल का इस्तेमाल मसाले के तौर पर किया जाता है। इसका इस्तेमाल बहुत सी दवाईयों को बनाने के लिए भी किया जाता है। आयुर्वेद में इसका बहुत महत्व है, लेकिन इसका जरूरत से ज्यादा सेवन करना हानिकारक हो सकता है। अधिक मात्रा में इसके सेवन से हार्ट अटैक, नसों में कमजोरी, घबराहट, हाइपोथर्मिया जैसे कई परेशानियों का खतरा बन सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

चेरी की गुठली
चेरी के बीच में पाई जाने वाली कठोर गुठली प्रूसिक एसिड (एक प्रकार का विष) से भरी होती है, जिसे साइनाइड कहा जाता है, जो कि जहरीली होती है। अगर आप गलती से एक गुठली निगल भी जाते हैं तो आपको घबराने की कोई जरूरत नहीं है। यह गुठली आसानी से आपके पाचन तंत्र से गुजरती हुई दूसरे छोर से बाहर निकल जाएगी। बस ध्यान रखें कि आप चेरी खाते वक्त इसे चबाएं नहीं और न ही चबाने के बाद उसे निगले। क्योंकि यह आपकी लिए घातक साबित हो सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सफ़ेद चीनी
रसोई का यह आवश्यक पदार्थ चाय, कॉफी, शेक या मीठे व्यंजनों में मिठास जोड़ता है, लेकिन आप यह जानकर चौंक जाएंगे कि इस सामान्य घटक का अत्यधिक सेवन धीरे-धीरे इंसुलिन में असंतुलन पैदा कर सकता है, जिससे मधुमेह हो सकता है। एक अध्ययन के अनुसार, परिष्कृत चीनी के अत्यधिक सेवन से मोटापा, सूजन, हृदय संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, पुरुषों के लिए चीनी का अधिकतम सेवन प्रति दिन लगभग 150 कैलोरी और प्रति दिन लगभग 100 कैलोरी होना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

फ्रोजेन सब्जियां
ज्यादातर लोग फ्रेश सब्जियों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन कुछ सब्जियां खास मौसम में ही मिलती हैं। ऐसे फ्रोजन वेजिटेबल का ऑप्शन का हर मौसम में रहता है, जिसे कभी भी आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर फ्रोजन सब्जियों को सही तरीके से स्टोर किया गया हो तो वह लंबे वक्त तक इस्तेमाल किया जा सकता है। फ्रोजन सब्जियां जैसे गोभी, मटर, गाजर आदि को इस्तेमाल करने से पहले उनपर जमे बर्फ को पिघल जाने दें। ऐसे में आप फ्रोजन सब्जियों को एक प्लेट में रखकर कुछ वक्त के लिए छोड़ दें। हालांकि ज्यादातर लोग फ्रोजन सब्जियों को डायरेक्ट पकाने लगते हैं, इससे कुकिंग टाइम बढ़ जाता है। ये भी ध्यान रखना जरूरी है कि जब आपने फ्रोजन सब्जियों के बैग को एक बार खोल दिया हो, तो इसे एक या दो हफ्ते में इस्तेमाल कर लें। नहीं हो ये जहर बन सकती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कटे हुए फलों को खाने से हो सकता है नुकसान
साथ ही कटे हुए फलों में संक्रमण पैदा होने का खतरा हो सकता है। साथ ही इसे खाने से आपके पेट में सूजन, ऐंठन या जलन हो सकती है। इसी के साथ फल को ज्यादा समय तक काटकर खाने से फूड पॉइजनिंग की समस्या हो सकती है। इसीलिए कोशिश करें कि फ्रूट्स को काटने के तुरंत बाद ही खाएं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कम मात्रा में नमक खाने की डालें आदत
सफेद ज़हर-नमक के बिना हमारे दैनिक भोजन की कल्पना करना असंभव है। करी से लेकर सब्जी, तले हुए स्नैक्स से लेकर स्वस्थ सूप तक, नमक रोजमर्रा के खाना पकाने का एक अनिवार्य तत्व है। अधिक मात्रा में सेवन करने पर यह अविभाज्य घटक धीमा जहर भी है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि नमक में सोडियम होता है और नमक का अधिक सेवन रक्तचाप के स्तर को प्रभावित कर सकता है। इससे हृदय संबंधी बीमारियों और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, नमक का दैनिक सेवन प्रति सर्विंग 5 मिलीग्राम सोडियम से कम होना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

तेल का करें कम मात्रा में इस्तेमाल
तेल के बिना खाना बनाना असंभव है, लेकिन दिन-प्रतिदिन खाना पकाने में तेल के अत्यधिक उपयोग से हृदय रोग, फैटी लीवर और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है। तले हुए और तैलीय खाद्य पदार्थों के अत्यधिक सेवन से मोटापा, उच्च रक्तचाप और उच्च रक्त शर्करा हो सकता है। 3 चम्मच से अधिक का सेवन नहीं करना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

रिफाइंड आयल के इस्तेमाल से बचें
तेल का शुद्ध रूप चिपचिपा और गंध वाला होता है। ऐसे में रिफाइंड ऑयल को बनाने के दौरान इसमें मौजूद गंध को पूरी तरह से निकाल दिया जाता है। इसमें मौजूद ये गंध ही प्रोटीन कंटेंट होती है, जिसे निकालने की वजह से रिफाइंड ऑयल में प्रोटीन की मात्रा खत्म हो जाती है। ऐसे में नियमित तौर पर इसके सेवन से शरीर में प्रोटीन की कमी हो सकती है। रिफाइंड ऑयल को बनाने की प्रोसेसे के दौरान इसमें से सिर्फ गंध ही नहीं, बल्कि इसकी प्राकृतिक चिकनाई भी निकाल दी जाती है। ऐसे में बिना चिकनाई वाला तेल इस्तेमाल करने से त्वचा संबंधी परेशानियां होने लगती हैं, जिसमें झर्रियां, रूखापन और मुंहासे आदि शामिल है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

साथ ही रिफाइंड ऑयल के इस्तेमाल से शरीर में फैटी एसिड की कमी हो सकती है। नियमित रूप से इसका सेवन करने से आपको छोटी उम्र में जोड़ों और कमर में दर्द की समस्या हो सकती है। इतना ही नहीं इसकी वजह से आप में आंख, दिल और दिमाग से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी कई गुना बढ़ जाता है। रोजाना खाने में रिफाइंड ऑयल का इस्तेमाल करने से शरीर को एचडीएल यानी के हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन नहीं मिल पाता है। इसकी वजह से लोगों में हार्ट संबंधी बीमारियों की संभावनाएं काफी बढ़ जाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सफ़ेद आटा
सफेद आटा जिसे मैदा के नाम से भी जाना जाता है। ये आपकी रसोई की शेल्फ में छिपा एक और सफेद जहर है। कुरकुरे भटूरे से लेकर पूरी से लेकर केक तक, यह एक घटक सदियों से सर्वोत्कृष्ट रहा है, लेकिन क्या होगा अगर हम आपको बताएं कि यह घटक आपके पाचन समस्याओं जैसे कब्ज, अपच, सूजन और यहां तक ​​​​कि सीलिएक रोग का कारण भी है। आटे में ग्लूटेन की मौजूदगी आंतों की दीवारों से चिपक जाती है, जो अंततः मल त्याग की प्रक्रिया को प्रभावित करती है और पाचन और आंत संबंधी बीमारियों का कारण बनती है।
नोटः यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा विशेषज्ञ से संपर्क करें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

एल्युमिनियम फॉयल से कैंसर का खतरा
एक्सपर्ट बताते हैं कि ज्यादातर घरों में खाने को गर्म रखने के लिए एल्युमिनियम फॉयल यूज किया जाता है। इससे एल्युमिनियम की थोड़ी मात्रा पकाए गए भोजन में मिल जाती है। जो खाने को विषाक्त बनाती है। शरीर में ज्यादा मात्रा में एल्युमिनियम आपके मस्तिष्क, हड्डियों, मांसपेशियों और अन्य ऊतकों के लिए खतरनाक हो सकता है। इसके अलावा, यह अल्जाइमर रोग, गुर्दे की बीमारी जैसे अन्य स्वास्थ्य जोखिमों को जन्म दे सकता है और कैंसर के खतरे को भी बढ़ा सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

प्लास्टिक लंच बॉक्स और किचन टूल्स
बिस्फेनॉल ए (बीपीए) एक रसायन है, जिसका उपयोग प्लास्टिक को सख्त करने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग उपभोक्ता उत्पाद जैसे प्लास्टिक पीने के कंटेनर, लंच बॉक्स और शिशु फार्मूला और भोजन के डिब्बे के अस्तर बनाने के लिए किया जाता है। BPA एस्ट्रोजन रिसेप्टर्स α और β के साथ मिलने के लिए एस्ट्रोजन हार्मोन की नकल कर सकता है, जिससे सेल प्रसार, एपोप्टोसिस या माइग्रेशन में परिवर्तन होने की संभावना बढ़ जाती है। जिससे कैंसर होने का खतरा हो सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

टी बैग्स
टी बैग में आमतौर पर नैनो प्लास्टिक, पीसीवी, फूड ग्रेड नायलॉन होता है। जब इन टी बैग्स को गर्म पानी में डुबोया जाता है, तो ये यौगिक पानी में टूटने लगते हैं। पेपर टी बैग्स कभी-कभी एपिक्लोरोहाइड्रिन के साथ मिल जाता है,और कार्सिनोजेन (एक पदार्थ जो कैंसर का कारण बन सकता है) को एक्टिव करता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

नॉन स्टिक बर्तन
रसोई के कुछ बर्तनों में ‘Forever Chemicals’ होते हैं, जिन्हें परफ्लुओक्टेन सल्फेट भी कहा जाता है। यह केमिकल यकृत कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। ये रसायन उपभोक्ता और औद्योगिक उत्पादों जैसे नॉन-स्टिक कुकवेयर, वाटरप्रूफ कपड़ों, सफाई उत्पादों और यहां तक कि शैम्पू में पाए जाते हैं।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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