ये हैं सांसद अनिल बलूनी, जो कहते हैं कर दिखाते हैं, अब इस घने जंगल में किया ये तोहफा देने का वादा
उत्तराखंड से राज्यसभा सदस्य एवं भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी ऐसा नाम है, जो मुख्यमंत्रियों की तरह ऐसी घोषणाएं नहीं करते, जो कभी पूरी न हो। अनिल बलूनी बताते हैं कि मैं इस विषय पर प्रयास कर रहा हूं।
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उत्तराखंड से राज्यसभा सदस्य एवं भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी ऐसा नाम है, जो मुख्यमंत्रियों की तरह ऐसी घोषणाएं नहीं करते, जो कभी पूरी न हो। अनिल बलूनी बताते हैं कि मैं इस विषय पर प्रयास कर रहा हूं। फिर उनके प्रयास सफल हो जाते हैं। इसका लाभ भी लोगों को मिल जाता है। ऐसा एक नहीं कई बार हो चुका है। पौड़ी जिले के कौटद्वार से दिल्ली के लिए सिद्धबलि जन शताब्दी एक्सप्रेस हो या फिर दिल्ली टनकपुर के बीच पूर्णागिरि जन शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन का संचालन। दोनों ही उनके प्रयास से शुरू किए गए। हालांकि कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच ये दोनों ट्रेन का संचालन स्थगित हो चुका है। इसी तरह कोरोना की लड़ाई के लिए उन्होंने ऑक्सीजन, कंसंट्रेटर के लिए भी समय समय पर उत्तराखंड की मदद की।
अब उन्होंने दिल्ली-देहरादून राजमार्ग पर आशारोड़ी से लेकर मोहंड तक के 12 किलोमीटर के हिस्से को मोबाइल कनेक्टिविटी से जोड़ने का बीड़ा उठाया है। उनके प्रयास सफल हुए तो इस जंगल में लोगों को तोहफा मिलने जा रहा है। अनिल बलूनी के प्रयासों से भारतीय दूरसंचार विभाग और रिलायंस टेलीकाम ने इस क्षेत्र में सात स्थल मोबाइल टावर की स्थापना को चिह्नित किए हैं। इनमें चार उत्तर प्रदेश और तीन उत्तराखंड की सीमा में हैं। इसके लिए वन भूमि हस्तांतरण की दिशा में दोनों राज्यों ने कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। इससे उम्मीद जगी है कि जल्द ही इस क्षेत्र में मोबाइल कनेक्टिविटी उपलब्ध हो जाएगी।
आशारोड़ी से लेकर डाटकाली और मोहंड तक का क्षेत्र उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड वन विभाग की सीमा के अंतर्गत आता है। इस क्षेत्र में संचार सुविधा न होने के कारण यात्रियों के साथ ही स्थानीय निवासियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसे देखते हुए राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी ने यहां मोबाइल कनेक्टिविटी के लिए मुहिम छेड़ी हुई है। मोबाइल टावरों की स्थापना के लिए बलूनी के अनुरोध पर अब इसके लिए उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारें भी सक्रिय हो गई हैं।
बलूनी ने उत्तर प्रदेश की सीमा के अंतर्गत आने वाले चार स्थलों के लिए वन भूमि हस्तांतरण के सिलसिले में उप्र के वन मंत्री दारा सिंह चौहान से वार्ता की। चौहान ने इस पर सहमति जताई। साथ ही उप्र वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे अपनी सीमा के अंतर्गत मोबाइल टावरों के लिए वन भूमि हस्तांतरण को त्वरित कार्रवाई करें। उन्होंने कहा कि बहुत जल्द उत्तर प्रदेश सरकार की अनापत्ति समेत अन्य औपचारिकताएं पूरी कर ली जाएंगी। इधर, उत्तराखंड वन मुख्यालय के मुख्य वन संरक्षक पराग मधुकर धकाते ने कहा कि उत्तराखंड की सीमा में मोबाइल टावर स्थापना को वन भूमि हस्तांतरण के प्रस्ताव जल्द भेजे जाएंगे।
इस स्थान पर मोबाइल कनेक्टिविटी होगी उपयोगी साबित
आशारोड़ी से लेकर मोहंड तक मोबाइल कनेक्टिविटी का कई दृष्टि से लाभ मिलेगा। यहां पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण कई बार दुर्घटनाएं भी होती हैं। ऐसे में सही समय पर सूचना न भेजे जाने से एंबुलेंस और मदद भी देरी से पहुंचती है। साथ ही कई बार बस के जरिये सफर करने वाले लोग गणतव्य तक पहुंचने के कुछ किलोमीटर पहले ही परिजनों को सूचना देते हैं। यहां कनेक्टिविटी न होने से या तो मोहंड से पहले सूचना देते हैं या फिर देहरादून पहुंचने पर ही लोग परिजनों और परिचितों को बुला पाते हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।