बिजली की दरों में भारी बढ़ोत्तरी के प्रस्ताव का होगा विरोध, बेहतर होता तो व्यवस्थाएं सुधारतेः लालचंद शर्मा
1 min readगौरतलब है कि उत्तराखंड में एक बार फिर से बिजली की दरों में भारी बढ़ोत्तरी की तैयारी चल रही है। नियामक आयोग से प्रस्ताव वापस आने के बाद सोमवार को यूपीसीएल ने फिर से आयोग को संशोधित प्रस्ताव भेजा है। इसमें बढ़ोतरी 7.72 प्रतिशत से बढ़ाकर 16.95 प्रतिशत बढ़ोतरी करने की मांग की है। नियामक आयोग अब इसका अध्ययन करने के बाद इसे सुनवाई के लिए स्वीकार करेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
लालचंद शर्मा ने कहा कि यहां ये बात भी गौर करने वाली है कि ऊर्जा निगम एक साल में तीन बार बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी कर चुका है। ये बढ़ोत्तरी 26 पैसे से लेकर 1.11 रुपये प्रति यूनिट तक की गई है। एक अप्रैल से बिजली की दरों में 2.68 फीसद की वृद्धि हुई। सितंबर में 3.85 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के बाद अक्टूबर में सात पैसे प्रति यूनिट बढ़ाए गए। यदि इस बार फिर से बढ़ोत्तरी होती है तो ये एक वित्तीय वर्ष में चौथी बार बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी होगी। ऐसे में अब लोगों को पूरी तरह से निचौड़ने की तैयारी की जा रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि सरकार उत्तराखंड ऊर्जा प्रदेश के रूप में प्रचारित करती है। यहां कई जल विद्युत परियोजनाओं के नाम पर ताली बजाई जाती है। इसके बावजूद प्रदेश में बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी समझ से परे है। यदि घाटा पूरा करना है तो बिजली चोरी के मामलों में अंकुश लगाया जाए। उन्होंने कहा कि सर्दियों में भी कई इलाकों के लोग बिजली कटौती को बार बार झेल रहे हैं। ऐसा पहले नहीं देखा गया। अब प्रदेश में बीजेपी की सरकार है, तो सब कुछ संभव हो रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
लालचंद शर्मा ने कहा कि वर्ष 2020 और 2021 में लोगों ने कोरोना की मार झेली। राज्य में हजारों लोग बेरोजगार हुए। लॉकडाउन के चलते व्यापार चौपट रहा। फिर रसोई के सामान में गैस से लेकर तेल, दाल, मसालों सब में वृद्धि की मार लोग झेल रहे हैं। ऐसे में उत्तराखंड सरकार चौथी बार बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी कर लोगों को और आहत करने की तैयारी कर रही है। इसका हर स्तर पर कड़ा विरोध किया जाएगा।
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।