मसूरी गोलीकांड के बाद आज के दिन बाटाघाट में हुई थी पुलिस की बर्बरता, याद में आंदोलनकारियों ने दिया धरना, चिह्नीकरण की मांग
दो सितंबर 1994 को मसूरी गोलीकांड के बाद जब इसके विरोध में आंदोलनकारियों की ओर से जगह जगह प्रदर्शन किए जा रहे थे। गोलीकांड के विरोध में मसूरी जा रहे आंदोलनकारियों पर आज के ही दिन मसूरी के बाटाघाट में पुलिस ने बर्बर लाठीचार्ज किया था।
दो सितंबर 1994 को मसूरी गोलीकांड के बाद जब इसके विरोध में आंदोलनकारियों की ओर से जगह जगह प्रदर्शन किए जा रहे थे। गोलीकांड के विरोध में मसूरी जा रहे आंदोलनकारियों पर आज के ही दिन मसूरी के बाटाघाट में पुलिस ने बर्बर लाठीचार्ज किया था। 2 सितंबर को गोलीकांड में शहीद हुए छह राज्य आंदोलनकारियों की तेरहवीं में शिरकत करने के लिए हजारों की तादाद में उत्तरकाशी और टिहरी से आंदोलनकारियों ने मसूरी का रुख किया था। पुलिस ने उन्हें धनौल्टी के पास सुवाखोली में रोकने का प्रयास किया. लेकिन जब राज्य आंदोलनकारी नहीं माने तो पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया। इसी दिन की याद में मसूरी में राज्य आंदोलनकारियों ने धरना दिया।बाटाघाट दमनकांड की 28 वीं बरसी पर उत्तराखंड आंदोलनकारी मंच ने आज मसूरी के झूलाघर स्थित शहीद स्थल पर धरना दिया। इस दौरान मुख्यमंत्री की ओर से राज्य आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण की घोषणा पर तत्काल शासनादेश जारी करने की मांग की गई। साथ ही चेतावनी दी कि यदि चिह्नीकरण का शासनादेश जल्द नहीं किया गया तो मंच संघर्ष तेज करेगा।
आज के इस धरने का नेतृत्व उत्तराखंड आंदोलनकारी मंच के संरक्षक जयप्रकाश उत्तराखंडी और अध्यक्ष देवी गोदियाल ने किया। इस अवसर पर पूर्व सभासद केदार चौहान, सुंदर सिंह कैन्तुरा, डाक्टर मुकुल बहुगुणा, ऐजाज अहमद अन्सारी, सुंदर लाल, नवीन सिंह, मोहन सिंह, राजेश शर्मा, कुन्दन सिंह पंवार, मंगसीर सिंह पंवार आदि उपस्थित रहे।
उधर, चयनित राज्य आंदोलनकारी समिति के केंद्रीय संरक्षक धीरेंद्र प्रताप ने मसूरी के आंदोलनकारियों को भेजे एक संदेश में कहा कि बाटाघाट और मसूरी दमन कांड के दोषियों को आज तक सजाना मिलना एक तरह से उत्तराखंड की अस्मिता पर कलंक है। उन्होंने कहा कि हमें इसके विरुद्ध लगातार संघर्ष करना है और दोषियों को सजा दिलाए बिना हम चैन से नहीं बैठेंगे।





