मंगल में हो सकते हैं एलियंन, नासा के रोबर को मिले सबूत, जानिए लेटेस्ट रिसर्च के बारे में
दुनिया भर के वैज्ञानिक ब्रह्मांड की जानकारी जुटाने में लगातार रिसर्च कर रहे हैं। इस रिसर्च में सबसे अहम बात ये है कि वैज्ञानिक जानना चाहते हैं कि क्या दूसरे ग्रहों में भी धरती की तरह जीवन संभव है। ऐसे में ब्रह्मांड में जीवन की खोज तो की जा रही है, लेकिन अभी तक कहीं भी ठोस सबूत नहीं मिले हैं। मंगल ग्रह वैज्ञानिकों और खगोलविदों की खोज के लिए यह धरती के सबसे नजदीकी ग्रहों में से एक है। जहां पर वैज्ञानिकों को जीवन की उम्मीद है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों ने इस लाल ग्रह के अध्ययन के लिए कई मिशन भेजे हैं। नासा के ऐसे ही मिशन के तहत भेजा गया पर्सिवरेंस रोवर 2021 से मंगल की सतह का दौरा कर रहा है। हाल ही में इस रोवर ने लाल ग्रह की एक तस्वीर भेजी है, जिसने वैज्ञानिकों के बीच भ्रम पैदा कर दिया है। ऐसे में एक नई रिसर्च इशारा करती है कि शायद मंगल ग्रह पर जीवन मौजूद हो सकता है। यह रिसर्च अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA की जेट प्रपल्शन लैबोरेटरी (JPL) से जुड़े रिसर्चर आदित्य खुल्लर ने सामने रखी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एडवांस रोबोटिक तकनीक का इस्तेमाल
सौरमंडल में पृथ्वी का सबसे करीबी पड़ोसी ग्रह मंगल में व्यापक शोधों के बावजूद अभी तक किसी जीवन की पुष्टि नहीं हुई है। अब नासा और दूसरी अंतरिक्ष एजेंसियां इसकी जांच के लिए एडवांस रोबोटिक तकनीकों का इस्तेमाल कर रही हैं। ऐसे में नासा को कुछ ऐसी तस्वीरें मिली, जिससे मंगल में जीवन को लेकर एक बार फिर से रिसर्च को तेज किया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस तरह का दिखा नजारा
साइंस अलर्ट पत्रिका के अनुसार, पर्सिवरेंस रोवर की हाल ही में भेजी गई तस्वीर में एक चट्टान दिखाई दी। जो पहली नजर में कटे हुए इंसानी सिर की तरह लगती है। यह चट्टान एक सूखे मानव सिर की तरह दिखती है, जो किसी शरीर से अलग हो गया है। सूरज की कठोर रोशनी में मुरझा रहा है। रोवर के मास्टकैम-जेड कैमरे ने बीती 27 सितम्बर को इस तस्वीर को खींचा था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कभी बहता था पानी
साइंस अलर्ट के अनुसार, चट्टान बलुआ पत्थर के टुकड़े की तरह दिखती है, जो इसके आसपास की अन्य चट्टानों से अलग नहीं है। यह मंगल ग्रह के लिए असामान्य नहीं है, क्योंकि कभी यहां कभी पानी बहता था। पत्रिका ने कहा है कि यह तस्वीर रोवर द्वारा खींची गई अब तक की सबसे भयावह तस्वीरों में से एक है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये कहती है नई रिसर्च
नई रिसर्च के मुताबिक, मंगल के मध्य अक्षांश क्षेत्रों में धूल भरी बर्फ के नीचे प्रकाश संश्लेषण के लिए परिस्थितियां मौजूद हो सकती हैं। मंगल का मध्य अक्षांश, दोनों गोलार्धों में 30 डिग्री और 60 डिग्री अक्षांश के बीच के इलाके हैं। माना जाता है कि इन इलाकों में सतह के नीचे बहुत सारी पानी की बर्फ है, जो कई मीटर तक मोटी हो सकने वाली पत्थर की सामग्री के नीचे संरक्षित है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मंगल पर प्रकाश संश्लेषण
प्रकाश संश्लेषण वह प्रक्रिया है, जिससे पृथ्वी पर वानस्पतिक जीवन संभव हो पाता है। इसके जरिये पौधे, शैवाल और कुछ बैक्टीरिया सूर्य के प्रकाश को कार्बन डाइऑक्साइड में और पानी को ऑक्सीजन और ग्लूकोज में बदल देते हैं। प्रकाश संश्लेषण ही पृथ्वी के वायुमंडल में मौजूद ऑक्सीजन के अधिकांश भाग को पैदा करने के लिए जिम्मेदार है। ऐसे में माना जा रहा है कि मंगल में प्रकाश संश्लेषण के लिए परिस्थितियां मौजूद हो सकती हैं।
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