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September 25, 2024

कहानी में है दम, कठपुतली को भी अच्छे दिनों की उम्मीद, झूठे सपने देख फंसा भैंस के सींग पर, फिर वीडियों में देखें क्या हुआ

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कठपुतली की कहानी में एक सच्चाई जुड़ी होती है। कठपुतलियां हमेशा से समाज में ज्वलंत मुद्दों को लेकर एक संदेश देने का काम करती आई हैं। कठपुतली देश की ज्वलंत समस्या को उजागर करती है। इस बार कठपुतली संदेश दे रही है कि झूठे सपने मत देखो। नहीं तो भगतराम की तरह फंस जाओगे। अच्छे दिन आने के झूठे सपने देख कर भगतराम भैंस के सींग पर फंस जाता है। संदेश ये भी है कि फंसने के बाद भी तुम चर्चा का विषय बनोगे, लेकिन मीडिया के मजे लेने के लिए। हम आपके लिए हर सप्ताह एक इसी तरह की कहानी लेकर आ रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कहानी बताती है कि भगतराम को भी अच्छे दिनों की चाह है। वह भैंस को लेकर सपने देखता है। भैंस के बच्चे होंगे और उसके अच्छे दिन आ जाएंगे। इसी झूठे सपने देखकर वह उत्साहित होता है और वह भैस को पुचकारता है, लेकिन उसकी सींग पर फंस जाता है। उसे निकालने के लिए रेस्क्यू चलता है। मीडिया अपना रोल निभाता है। चारों तरफ वह चर्चा में आ गया भगतराम। इस बीच एक ज्ञानी पुरुष भगतराम को भैंस की चंगुल से बचाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)


उससे मीडिया पूछता है कि आपका ज्ञान काम आया। भैस को निकालने के लिए इस ज्ञान को लोग भूल रहे हैं। सरकार को कुछ करना चाहिए। इस पर तपाक से जनता का ये नुमाइंदा बोलता है सरकार तो कर रही है, लेकिन लोगों की मंशा नहीं है। काम हो रहा है। भगतराम आजाद हुआ। भैंस के सींग पर फंस कर वह फंस गया था। भगतराम का कहना है कि वह अपने आप फंसा हूं। सोचने समझने में उसे वर्षो लग गए। फंसा तो आज हूं। फालतू हूं, ऐसे में सोचना कि फंसकर देखता हूं। कहानी संदेश देती है दूसरे के बहकावे में मत आना। अपने विवेक का इस्तेमाल करो। झूठे सपने ना देखो। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सची बात तो यह है कठपुतली की हर कहानी के भीतर कोई न कोई सच्चाई होती है। उस सच को नकारा नहीं जा सकता है। कठपुतली बार बार हमें सावधान करती है। आजकल हमारे देश की राजनीति से पैदा हुए जिन हालातों से हम जी रहे हैं, वह हमारी विविधता डायवर्सिटी के लिए ठीक नहीं है। कठपुतली का संदेश लेकर आप भी सोचिए। क्योंकि मूल मुद्दों से मीडिया आपको भटकाएगा। आपके भैंस के सींग पर फंसने के कारणों पर नहीं जाकर वह दूसरे मुद्दों को उछालेगा। वहीं, आप राजनीतिक लोगों की ओर से दिखाए गए सपनों को असल समझकर राजनीति की भैंस की सींग पर फंसते चले जाओगे।  अब बोलेगी कठपुतली आगे बढ़ने के रास्ते को सुझाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

रामलाल कर रहे हैं नए प्रयोग
देहरादून के ठाकुरपुर निवासी रामलाल भट्ट 12 साल की उम्र के कठपुतली पर प्रयोग रहे हैं। करीब 40 साल से वह कठपुतली खुद बनाते हैं और नचाते हैं। स्कूलों में प्रोग्राम देते हैं। गांव में, संस्थाओं के लिए, युवाओं के लिए प्रोग्राम देते हैं। उनका कहना है कि कठपुतली शिक्षा में भी सहायक है। कठपुतलियों की मदद से किसी विषय को आसानी पढ़ाया जा सकता है। गणित जैसे मुश्किल विषय को भी खेल खेल में आसानी से समझाया जा सकता है। रामलाल ने पर्यावरण बचाने के लिए भी कठपुतली के माध्यम से कई प्रयोग किए। सोशल मीडिया का जमाना आया तो यू ट्यूब के माध्यम से भी कठपुतली नचा रहे हैं। कठपुतली के शो में कठपुतली नचाने के साथ ही बेजान कठपुतलियों को आवाज देना भी अहम काम है। अलग अलग कठपुतलियों को अलग अलग आवाज देना कोई आसान काम नहीं है। इस काम में रामलाल के साथ की दूसरी कलाकार धनवीरा देवी बखूबी करती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए) (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

कलाकार का परिचय
देहरादून के ठाकुरपुर निवासी रामलाल भट्ट करीब चालीस साल के कठपुतलियों को लेकर प्रयोग कर रहे हैं। वह स्कूलों में शिक्षाप्रद वर्कशॉप भी आयोजित करते हैं। उनके पपेट शो में चार तरह की कठपुतलियों का इस्तेमाल होता है। इनमें वह धागेवाली पपेट, रॉड पपेट, मोपेड पपेट और दस्ताना पपेट के जरिये अपना शो करते हैं। यदि किसी को स्कूलों या संस्थानों में पपेट शो या वर्कशाप करानी हो तो वे इन नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं। संपर्क सूत्र—9412318880, 7017507160

 

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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