Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

September 17, 2025

सड़क दुर्घटना में युवक की रुक गई थी धड़कन, फरिश्ता बने ग्राफिक एरा के चिकित्सक गौतम, मौके पर ही बचाई जान

यदि सांसें रुक जाएं और दिल धड़कना बंद हो जाए, तो किसी को मृत समझने की गलती ना करें। क्योंकि धड़कन को दोबारा से शुरू किया जा सकता है। कुछ मिनट के भीतर सीपीआर देकर जिंदगी बचाई जा सकती है। देहरादून में कल चकराता रोड पर एक दुर्घटना के बाद ऐसा ही वाकया पेश आया। भीड़ से घिरे युवक को सड़क पर पड़ा देखकर उधर से गुजरते एक डॉक्टर ने सीपीआर देकर मौत की ओर कदम बढ़ा चुके युवक को नई जिंदगी की सौगात दे दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

देहरादून के चकराता रोड पर सुद्धोवाला के पास कल शुक्रवार की सुबह करीब साढ़े दस बजे यह घटना हुई। बाईक दुर्घटना के बाद करीब 28 साल का युवक जमीन पर पड़ा था और चारों तरफ तमाशबीन जैसे अंदाज में तमाम लोग खड़े थे। उधर से गुजरते डॉ. एसपी गौतम भीड़ देखकर वहां पहुंचे और वहां पड़े युवक की जांच की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

डॉ. गौतम ने पाया कि युवक का शरीर कोई हरकत नहीं कर रहा था। उसकी सांसें बंद हो चुकी हैं और दिल का धड़कना रुक गया है। पेशे से कार्डियक एनेस्थिया के विशेषज्ञ डॉ. गौतम ने वहीं बैठकर उस युवक की सीपीआर शुरू कर दी। डॉ गौतम ने बताया कि भीड़ में से किसी के मदद न करने के कारण उन्हें अकेले सीपीआर (सीने को एक खास विधि से बार बार दबाने) में दिक्कत आ रही थी। तभी एक कार में सवार व्यक्ति मदद के लिए आगे आया और सीपीआर देते हुए उन्होंने युवक को कार में चढ़ा दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इसके बाद युवक को ग्राफिक एरा अस्पताल पहुंचाकर इलाज शुरु कर दिया गया। युवक को कई गंभीर चोटें आई हैं। अभी वह वेंटिलेटर पर है, लेकिन रिस्पॉंस करने लगा है। ग्राफिक एरा अस्पताल के कार्डियक एनेस्थिसिया विशेषज्ञ डॉ एस पी गौतम के प्रयासों ने इस युवक को मौत के क्रूर जबड़ों से छीन लिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ गौतम ने कहा कि सांस और धड़कन बंद होने के तीन से पांच मिनट के बाद दिमाग की कोशिकाएं मरने लगती हैं।

इससे पहले सीपीआर मिल जाए, तो मस्तिष्क को क्षति पहुंचने से बचाया जा सकता है। यही इस मामले में हुआ। घायल युवक का नाम रजत है। उसके पिता सुनील कुमार आईटीबीपी में सेवारत हैं। आज उन्होंने कहा कि समय पर सीपीआर मिलने के कारण उनका बेटा बच गया। शायद इसी लिए डॉक्टर को भगवान कहते हैं।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

Bhanu Prakash

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *