बेटे के इलाज के लिए मजदूरी मांगने को ठेकेदार के चक्कर काटती रही महिला, तब तक गोद में मासूम ने तोड़ दिया दम
तीन साल के बच्चे को बेहतर इलाज कराने के लिए ठेकेदार से मजदूरी के पैसे मांगने के लिए एक मां दिन भर भटकती रही। ठेकेदार बार बार उसे टालता रहा। इस बीच मासूम ने उपचार के अभाव में मां की गोद में ही दम तोड़ दिया।
बताया जा रहा है कि पाली जिले की रहने वाली आशा रावत जोजावर से तीन साल के बीमार बेटे को लेकर भीलवाड़ा जिले के बदनौर कस्बे आई थी। आशा गुजरात के जाम नगर में कुआं खोदने वाले ठेकदार भंवर सिंह के पास मजदूरी करती थी। भंवर सिंह बदनौर के पास मोगर गांव का रहने वाला है। आशा के बेटे की तबीयत अधिक बिगड़ी तो उसने ठेकेदार भंवर सिंह को फोन कर मजदूरी के बकाया रुपये देने की मांग की। आरोप है कि ठेकेदार भंवर ने उससे बेटे को लेकर बदनौर आने को कहा था
यही नहीं जोजावर से बदनौर तक जाने के लिए आशा के पास बस का इतना किराया भी नहीं था कि पति साथ चलता। उसके पास आने जाने के मात्र तीन सौ रुपये थे। ये राशि भी उसने ठेकेदार भंवर सिंह के रुपये देने के आश्वासन पर किसी से उधर लिए थे। वह अकेले आई और पति गोम सिंह रावत मजबूरन नहीं आ पाए। आशा को उम्मीद थी कि ठेकेदार भंवर सिंह से उसको अपनी बकाया मजदूरी मिल जाएगी और वो अपने बीमार बेटे को अच्छे डॉक्टर से दिखाकर दवा लेकर वापस अपने गांव लौट जाएगी।
मजबूर मां बीमार लाल को सीने से लगाए ठेकेदार को बार-बार फोन करती रही। आरोप है कि ठेकेदार रुपये लेकर जल्द पहुंचने की बात कहता रहा। इस बीच बच्चे की हालत लगातार बिगड़ती रही और मजबूर मां ठेकेदार की राह ताकती रही। ठेकेदार तो नहीं पहुंचा लेकिन मासूम ने मां की गोद में दम तोड़ दिया। महिला के पास वापसी के लिए किराए के पैसे भी नहीं बचे थे कि वो वापस अपने घर जा सके। बच्चे को गोद में लिए मां बिलखती रही।
बताया जा रहा है कि जब लोगों को महिला की कहानी पता चली तो उन्होंने पुलिस को सूचित किया। राजस्थान पुलिस का रवैया भी सहयोगात्मक नहीं रहा। जिस महिला का दुख देखकर हर एक पसीज गया, वहीं पुलिस ने भी कोई सहयोग नहीं किया। पुलिस ने लोगों को कहा कि ये काम हमारा नहीं है। पैसे जमाकर वो महिला को गांव तक पहुंचा दो। इसके बाद बदनौर गांव के गोविंद पुरी, इदरिश, भागचंद सोनी, सुखदेव माली, इस्लाम मोहम्मद ने गांव के लोगों से चंदे के रूप में तीन हजार रुपये का इंतजाम किया और एक वाहन से महिला और उसके बच्चे का शव उसके गांव पाली जिले के जोजावर भिजवाने की व्यवस्था की।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।