Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

August 7, 2025

उत्तराखंड कांग्रेस में जारी है खींचतान, अब पीएल पुनिया को पर्यवेक्षक की कमान, आएंगे उत्तराखंड, क्या निपटा पाएंगे विवाद

एक तरफ जहां बीजेपी सहित अन्य राजनीतिक दल स्थानीय निकायों की तैयारी में जुट गए हैं। वहीं, उत्तराखंड कांग्रेस में खींचतान जारी है। कब कौन नेता या विधायक पार्टी की गाइडलाइन से परे बयान दे देता है, ये कहा नहीं जा सकता है। हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से चलाए जा रहे लैंड जिहाद के खिलाफ धार्मिक स्थल तोड़ने (खासकर मजार) को लेकर अल्मोड़ा के द्वाराहाट से कांग्रेस विधायक मदन बिष्ट ने समर्थन कर दिया। इससे कांग्रेस असहज हो गई। वहीं, प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं चकराता विधायक प्रीतम सिंह के 36 का आंकड़ा किसी से छिपा नहीं है। यही नहीं, पूरे प्रदेश में कांग्रेस कई गुटों में विभाजित है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कांग्रेस नेताओं के बयानों से कई बार संगठन असहज होने पर प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा भी लोगों को अनर्गल बयानबाजी से बचने की सलाह दे चुके हैं। इसके बावजूद उत्तराखंड में नगर निकाय और लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में रार थमने का नाम नहीं ले रही है। प्रदेश संगठन और प्रभारी वरिष्ठ नेताओं के निशाने पर हैं। सूत्र बताते हैं कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने पार्टी के अंदरूनी परिस्थितियों की जानकारी पार्टी हाईकमान को पहुंचा दी है। ऐसे में पार्टी क्षत्रपों में समन्वय बनाने और बढ़ते असंतोष को थामने को पार्टी हाईकमान की ओर से वरिष्ठ नेता पीएल पुनिया को पार्टी आलाकमान की तरफ से पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। सूत्रों की मानें तो पीएल पुनिया 14 अप्रैल के बाद कभी भी देहरादून आ सकते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पर्यवेक्षक पार्टी के भीतर बढ़ती अनुशासनहीनता की थाह भी लेंगे। प्रदेश में बीते वर्ष विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस में पार्टी नेताओं के बीच दूरियां कम होने के स्थान पर बढ़ी हैं। पार्टी हाईकमान की ओर से प्रदेश संगठन और विधानमंडल दल में किए गए परिवर्तन के बाद भी असंतोष थम नहीं पाया है। लंबे समय से नाराज चल रहे नेता गाहे-बगाहे प्रदेश संगठन के साथ ही प्रदेश प्रभारी को निशाने पर ले रहे हैं। हाल ही में किच्छा से विधायक एवं पूर्व मंत्री तिलकराज बेहड़ और पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह प्रदेश प्रभारी की भूमिका पर प्रश्न खड़े कर चुके हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

अब इस कड़ी में एक और नाम विधायक मदन बिष्ट का भी जुड़ चुका है। उन्होंने भी विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद प्रदेश प्रभारी को नहीं हटाने के पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्णय पर सवाल दागे। यही नहीं उन्होंने अवैध रूप से मजार हटाने के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बयान का समर्थन कर पार्टी को असहज कर दिया। कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में अपना प्रदर्शन सुधारने की है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ये स्थिति तब है जब पिछले दो लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को प्रदेश की पांच में से एक भी सीट नसीब नहीं हो पाई है। लोकसभा चुनाव से पहले नगर निकाय चुनाव भी होने हैं। इन दोनों ही चुनाव से पहले पार्टी के भीतर जिस प्रकार बयानबाजी का दौर चल रहा है, उससे मुश्किलें बढ़ना तय है। पार्टी संगठन और बड़े नेताओं के बीच तनातनी लगातार बनी हुई है। पार्टी के नेता उपेक्षा का आरोप लगाते हैं लगाते है, तो पार्टी संगठन के भी अपने तर्क है। ऐसे में देखना ये है कि अब पीएल पुनिया क्या तमाम बड़े नेताओं के बीच की दूरिया कम करवा पाएंगे या नहीं।

Bhanu Prakash

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *