सांस्कृतिक नगरी में मल्ला महल के निरीक्षण को पहुंचे पर्यटन मंत्री, जानिए कब बना था ये महल, इसकी खासियत

वर्तमान में पर्यटन मंत्री पुरानी विरासतों को संवारकर उसे पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि अल्मोड़ा के मल्ला महल का इतिहास काफी पुराना है। इसे हैरिटेज के रूप से संरक्षित कर पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनाया जाएगा। निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी नितिन सिंह भदोरिया, पर्यटन अधिकारी राहुल चौबे, उप जिला अधिकारी सीमा विश्वकर्मा सहित अन्य विभागों के अधिकारी उपस्थित थे। इसके बाद सतपाल महाराज एनआईसी में कैबिनेट बैठक में प्रतिभाग करने के लिए चले गए। इधर उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी ने पर्यटन और संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज से बातचीत की और उन्हें मल्ला महल में हो रहे निर्माण कार्य के संबंध में एक ज्ञापन भी सौंपा।
शाही सल्तनत का गवाह है मल्ला महल
सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में शाही सल्तनत के गवाह रहे मल्ला महल को धरोहर के रूप संजोने और यहां संग्रहालय बनाने के सपने में एक बार फिर से काम शुरू हो चुका है। एक दौर में राजशाही सल्तनत का गवाह रहे इस मल्ला महल में वर्तमान में कलक्ट्रेट संचालित है। हालांकि, पिछले कई साल से कलक्ट्रेट शिफ्ट करने की योजना है। अब कलक्ट्रेट को शिफ्ट करने के प्रयास हो रहे हैं। इसके लिए नया भवन बनाया जा रहा है। वहीं, मल्ला महल की मरम्मत की जा रही है।
रुद्र चंद ने की थी मल्ला महल की स्थापना
मल्ला महल की बात करें तो इसका इतिहास काफी पुराना है। पत्थर और लकड़ियों से बने इस महल में सदियों पुराना इतिहास बसता है। अल्मोड़ा के इतिहास पर गौर करें तो यह कस्बा स्थापना से पूर्व कत्यूरी राजा बैचलदेव के अधीन था। उस समय इस शहर को राजपुर नाम से जाना जाता था। 17 वीं शताब्दी में चंद राजाओं ने इस शहर पर अपना कब्जा जमाया था। तत्कालीन राजा रूद्र चंद ने अल्मोड़ा के मध्य में मल्ला महल की स्थापना की। वर्ष 1971 में नेपाल के गोरखाओं ने अपने राज्य के विस्तार के लिए अल्मोड़ा पर आक्रमण किया और इस पर अपना कब्जा जमा लिया।
अंग्रेजों ने रखा था महल को अपने कब्जे में
19 वीं शताब्दी में अंग्रेजों ने अल्मोड़ा पर हमला किया और इसे अपने कब्जे में ले लिया। 1815 में पहले जिलाधिकारी के तौर पर ई डब्ल्यू गार्डनर ने पहले जिलाधिकारी के तौर पर यहां कुर्सी संभाली और जिसके बाद कई सालों तक अंग्रेजों ने यहां राज किया। अतीत की इन यादों को जहां कई सल्तनतों ने अपने दरबार सजाए उसका मौन गवाह मल्ला आज भी यहां की रियासतों का अकेला गवाह है। इस मल्ला महल में 1588 में चंद राजाओं द्वारा बनाया गया रामशिला मंदिर आज भी लोगों की आस्था का केंद्र है। नागर शैली में स्थानीय सामग्री से बने इस महल में वर्तमान में कलक्ट्रेट संचालित है।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
वाह बहुत सुन्दर जगह