तिपाई में इस तरह से प्रवेश करने लगती है आत्मा, उठने लगती है अपने स्थान से, आप भी कर सकते हैं ऐसा
सामग्री व विधि
इस खेल के लिए एक तिपाई और चार कुर्सियों की जरूरत पड़ती है। चारों कुर्सी को तिपाई की चारों तरफ रखा जाता है। इस खेल को दिखाने के लिए दो व्यक्ति होते हैं। या यूं कहें कि वे खेल को करने का रहस्य जानते हैं। बाकी दो अनजान व्यक्ति होते हैं। जिनको ये मालूम नहीं होता है कि ये खेल कैसे दिखाया जा रहा है।
अब खेल दिखाने वाले दोनों व्यक्ति आमने सामने की कुर्सी पर बैठ जाएंगे। बाकी दो व्यक्तियों को भी दूसरी कुर्सियों पर आमने सामने बैठा दिया जाता है। फिर खेल शुरू होता है। प्रयास ये होना चाहिए कि तिपाई ज्यादा भारी न हो। उसके नीचे चारों तरफ सपोर्टिंग के लिए लकड़ी की पट्टी लगी हो। तिपाई को चादर के भी ढक सकते हैं, ताकि हमारी चालाकी पकड़ में ना आए और छिपी रही।
अब चारों को अपने एक हाथ की दो तो अंगुली से तिपाई के ऊपर रखने को कहा जाता है। साथ ही उन्हें नीचे की ओर दबाव बनाने को कहा जाता है। फिर खेल दिखा रहे व्यक्ति में से एक आत्मा को बुलाने का आह्वान करता है। साथ ही चुपके से वह और उसका साथी नीचे की ओर लगी सपोर्टिंग लकड़ी की पट्टी पर नीचे से पैर फंसा लेते हैं। फिर जोर जोर से आवाज निकालकर आत्मा का आह्वान करते हुए नीचे से पैर के जरिये लकड़ी की पट्टी को दोनों तरफ बैठे खेल दिखाने वाले हल्का से ऊपर को ऊठाने का प्रयास करेंगे। ऊपर से अंगुलियों का दबाव रहेगा और नीचे से पैरों से जोर लगेगा। ऐसे में तिपाई में हलचल होगी। हल्की कंपन्न के साथ उठती और नीचे गिरती दिखेगी। ऐसे में दूसरे लोगों को भ्रम में डाला जा सकता है।
तथ्य और सावधानियां
इस खेल में मंच पर बुलाए गए दोनों दर्शकों को आत्मा के बारे में इतना प्रभावित किया जाता है कि वे आत्मा के ही बारे में सोचें। बातों से उन्हें उलझाया जाता है। तभी खेल करने वाले दोनों व्यक्ति पैरों से तिपाई को हल्के हल्के ऊपर को उठाते हैं। इसमें ध्यान रखना होता है कि आमने सामने वाले दोनों का बल एक साथ लगे। ताकी संतुलन बना रहे। यह अनुभव भ्रम है। आत्मा आने का भ्रम तभी होगा, जब दोनों तरफ से एक साथ तिपाई को उठाया जाए।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।