मणिपुर में हालात लगातार हो रहे बेकाबू, अब नेताओं के घरों को निशाना, केंद्रीय मंत्री का घर जलाया
मणिपुर में हालात लगातार बेकाबू होते दिख रहे हैं, दो समुदायों के अधिकारों को लेकर शुरू हुई इस लड़ाई में लगातार हिंसा हो रही है। राज्य में कुकी और मैतेई के बीच तीन मई के शुरू हुए संघर्ष में अब तक कुल 115 लोगों की मौत हो चुकी है। 300 से ज्यादा लोग घायल हुए। हिंसा में 1700 घर जले 50,000 लोग विस्थापित हो चुके है। तीन मई को इंफाल घाटी में प्रमुख समुदाय मेइती, आदिवासी कुकी, जो ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं, के बीच हिंसा हुई थी। मेइती समाज को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के बाद से ये हिंसा भड़क गई थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
तमाम सुरक्षा व्यवस्था और हजारों सुरक्षाबलों की तैनाती के बावजूद हालात पर काबू नहीं पाया जा सका है। रोजाना मणिपुर के अलग-अलग इलाकों से हिंसा की खबरें सामने आ रही हैं। उपद्रवी अब नेताओं के घरों को निशाना बना रहे हैं और उन्हें आग के हवाले किया जा रहा है। गुरुवार 15 जून को मणिपुर के इंफाल में कुछ लोगों ने केंद्रीय मंत्री आरके रंजन सिंह के घर पर हमला कर दिया और आग लगा दी। हालांकि इस दौरान केंद्रीय मंत्री अपने घर पर नहीं थे। उपद्रवियों ने न्यू चेकऑन में दो और घरों में भी आग लगाई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इससे पहले इंफाल पश्चिम जिले के लाम्फेल इलाके में अज्ञात लोगों ने मणिपुर की महिला मंत्री नेमचा किपगेन के आधिकारिक आवास में आग लगा दी थी। पुलिस की भारी तैनाती के बावजूद इस घटना को अंजाम दिया गया। वहीं, बुधवार 14 जून को जातीय संघर्ष से प्रभावित मणिपुर के खमेनलोक इलाके के एक गांव में संदिग्ध बदमाशों के हमले में नौ लोगों की मौत हो गई और 10 घायल हो गए। इसी के बाद कुकी समुदाय की नेता किपगेन के आवास में जब आग लगाई गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मणिपुर में बीजेपी की सरकार है। बीजेपी दूसरे दलों पर आरोप लगाती रहती है कि उनकी सरकारों में दंगे भड़कते हैं और हिंसा होती है। अब बीजेपी के ऐसे आरोप मणिपुर में हिंसा को लेकर उल्टे पड़ गए हैं। ऐसे में मणिपुर में लगातार हो रही हिंसा के बीच विपक्ष भी केंद्र सरकार पर हमलावर है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर पीएम मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाया। खड़ेगे ने कहा कि पूर्वोत्तर के लिए लुक ईस्ट की बात करने वाले पीएम की मणिपुर में जारी हिंसा पर खामोशी लोगों के घाव पर नमक रगड़ने जैसा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मणिपुर हिंसा को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से मणिपुर के राज्यपाल की अध्यक्षता में शांति समिति का गठन किया गया था। समिति के सदस्यों में मुख्यमंत्री, राज्य सरकार के कुछ मंत्री, सांसद, विधायक और तमाम राजनीतिक दलों के नेता शामिल हैं। इस कमेटी में रिटायर्ड ब्यूराक्रेट, शिक्षाविद्, साहित्यकार, कलाकार, सामाजिक कार्यकर्ता और जातीय समूहों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मणिपुर के 16 में से 11 जिलों में कर्फ्यू लागू है, जबकि पूरे राज्य में इंटरनेट पर पूरी तरह से पाबंदी लगाई गई है। चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है और उपद्रवियों से सख्ती के साथ निपटने के निर्देश दिए गए हैं। मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद हिंसा शुरू हुई थी। इसके बाद से ही गोलीबारी और आगजनी की घटनाएं हर दूसरे दिन हो रही हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मेइती समुदाय का आरोप है म्यांमार से आने वाले लोग आदिवासी समुदायों के साथ मिलकर आतंकवाद फैला रहे हैं। वहीं आदिवासी संगठनों का कहना है कि राज्य सरकार मेइती समुदाय के साथ मिलकर उन्हें प्रताड़ित कर रही है। मणिपुर हिंसा में दोनों पक्षों के सैकड़ों घरों को फूंक दिया गया है, जबकि कई निर्दोषों की निर्मम हत्या भी हुई है। मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदाय की आबादी करीब 40 प्रतिशत है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।