कॉलेजों की संबद्धता के मसले पर उत्तराखंड सरकार की चुप्पी छात्र हितों पर भारीः डॉ. सुनील अग्रवाल
अखिल भारतीय अन एडिट विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. सुनील अग्रवाल ने कहा कि उत्तराखंड के जिन 10 राज्य पोषित कॉलेजों की संबद्धता को समाप्त करने का प्रस्ताव विश्वविद्यालय ने अपनी कार्यपरिषद में पास किया है, उनकी संबद्धता के संबंध में राज्य सरकार की चुप्पी हजारों छात्रों के भविष्य पर भारी पड़ रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ. सुनील अग्रवाल ने कहा कि इन राज्य पोषित कॉलेजों में हजारों छात्र प्रवेश का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन उन्हें यह नहीं मालूम कि उनका प्रवेश किस विश्वविद्यालय के अंतर्गत होगा और वर्तमान सत्र में होगा भी या नहीं। गौरतलब है कि केंद्रीय एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय ने प्रदेश के 10 अशासकीय डिग्री कॉलेजों की संबद्धता खत्म कर दी है। अब विवि से जुड़े 72 प्राइवेट कॉलेजों की संबद्धता को समाप्त करने का प्रस्ताव है। विवि की कार्यकारी परिषद ने इन कॉलेजों की संबद्धता अगले साल से खत्म करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय पिछले साल 20 जून को हुई शिक्षा मंत्रालय, राज्य सरकार व यूजीसी की संयुक्त बैठक के परिप्रेक्ष्य में लिया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस संबंध में डॉ. सुनील अग्रवाल ने कहा कि यह सर्वविदित है कॉलेजों की संबद्धता विश्वविद्यालय से केंद्रीय विश्वविद्यालय एक्ट के तहत है और विश्वविद्यालय के केंद्रीय विश्वविद्यालय में अपग्रेड होने पर संबद्धता का हस्तांतरण हुआ था। ऐसे में इन कॉलेजों की राज्य सरकार की सहमति के बिना संबद्धता समाप्त नहीं की जा सकती है। विश्वविद्यालय द्वारा अपनी कार्य परिषद में प्रस्ताव पास करने के बाद भी राज्य सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि अब जब छात्र अपने भविष्य के प्रति आशंकित हैं। लगातार इस संबंध में समाचार चल रहे हैं राज्य सरकार की तरफ से अभी तक विश्वविद्यालयों की संबद्धता के संबंध में कोई अधिकृत बयान नहीं आया कि इन कॉलेजों की संबद्धता किस विश्वविद्यालय से है। यह मुद्दा उठते ही राज्य सरकार को स्वयं छात्र हित में अधिकृत घोषणा करनी चाहिए थी कि इन कॉलेजों की संबद्धता किस विश्वविद्यालय से है। वहीं, इस प्रकरण को 25 दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक राज्य सरकार का कोई अधिकृत बयान नहीं आया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि हजारों छात्रों को इन कॉलेजों में कम फीस में प्रवेश करने का मौका मिलता है। वे भी राज्य सरकार के अधिकृत घोषणा का इंतजार कर रहे हैं। सरकार को चाहिए कि तुरंत इस विषय पर स्थिति स्पष्ट कर छात्रों के बीच फैले भविष्य के प्रति भ्रम और आशंकाओं को दूर करें। यह राज्य सरकार का कर्तव्य भी और दायित्व भी है। उन्होंने कहा कि एक्ट में संशोधन किए बिना कॉलेजों की या केंद्र अथवा राज्य सरकार की सहमति के बिना संबद्धता समाप्त नहीं की जा सकती है। इस संबंध में 2014 में उच्च न्यायालय नैनीताल का निर्णय स्पष्ट है।
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Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।