आंदोलन को सड़क पर उतरे पुलिस कर्मियों की परिजन, लगाया जाम, नहीं सुनी अधिकारियों की अपील
उत्तराखंड के इतिहास में शायद ये पहली बार हो कि उत्तराखंड पुलिस कर्मियों की मांग को लेकर सड़क पर लोग उतरे हों। कई बार आंदोलन की सुगबुहाहट हो हुई, लेकिन हर बार पुलिस कर्मियों को चुप करा दिया गया। दो साल पहले भी कर्मियों ने आपरेशन आक्रोश का नाम देकर मौन आंदोलन किया गया था। इसके तहत पुलिस कर्मियों ने काली पट्टी बांधी थी और मैस के भोजन का बहिष्कार किया था। इस बार फिर पुलिस कर्मियों में एक माह से आंदोलन की सुगबुहाट थी। इसे दबाने के लिए पुलिस मुख्यालय की ओर से भरसक प्रयास किए गए। सरकार की ओर से आश्वासन दिए गए, लेकिन बात नहीं बनी और ग्रेड पे के मामले में पुलिस अधिकारियों की अपील के बावजूद पुलिसकर्मियों के परिवार देहरादून स्थित गांधी पार्क पर धरना देने के लिए पहुंच गए। भारी संख्या में पहुंचे पुलिस परिवार के सदस्यों ने सरकार से मांग की है कि पुलिस कर्मियों को 4600 ग्रेड पे दिया जाए। वहीं, पुलिस परिवार ने गांधी पार्क के बाहर जाम भी लगा दिया।
पुलिस कर्मियों के परिवार की महिलाएं अपने हाथों में तख्तियां लेकर ‘पुलिस परिवार की यही पुकार, 4600 ग्रेड पर हमारा अधिकार’ आदि के नारे लगाती नजर आईं। इस दौरान भारी मात्रा में पुलिस बल गांधी पार्क के बाद तैनात किया गया है। गांधी पार्क का गेट बंद होने के कारण पुलिस कर्मियों के परिवार ने गेट पर ही बोर्ड लगाकर धरना प्रदर्शन किया।
हालांकि, पुलिस के खुफिया विभाग को यह सूचना मिल रही थी कि कम संख्या में ही परिवार के लोग आ सकते हैं। ये सूचना भी गलत मिली। भारी संख्या में परिवार के महिलाएं सड़क पर उतरने से राजपुर रोड का एक तरफ का ट्रैफिक पूरी तरह से जाम हो गया। पुलिस अधिकारी उन्हें समझाने की कोशिश करते रहे, लेकिन महिलाएं हटने को तैयार नहीं हुईं। इसके साथ ही वही राजनीतिक दल भी गांधी पार्क के बाहर पहुंच गए। पुलिस परिवार की महिलाओं ने एसडीएम को ज्ञापन सौंपकर मांग की है कि यदि 27 तारीख तक उनकी डिमांड पूरी नहीं होती तो वह बच्चों के साथ सचिवालय के बाहर धरने पर बैठ जाएंगे। इसकी सारी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
इस दौरान एसपी सिटी सरिता डोबाल, सीओ सिटी शेखर सुयाल, सीओ सदर अनुज कुमार, कोतवाल रितेश शाह सहित कई अधिकारी घटनास्थल पर मौजूद रहे। वहीं, पुलिस परिवार को समर्थन देने के लिए कई राजनीतिक संगठन के लोग मौजूद रहे।
ये है मांग, ये हुए प्रयास
दरअसल, सातवें वेतनमान में एसीपी की व्यवस्था समाप्त कर 10, 20 और 30 साल की सेवा पर तीन पदोन्नति देने या पदोन्नति के पद न होने की दशा में ग्रेड-पे बढ़ाने का प्रविधान है। इस हिसाब से पुलिस कर्मियों को 20 वर्ष की सेवा में 4600 ग्रेड पे मिलना चाहिए, लेकिन उन्हें 2800 ग्रेड पे दिया जा रहा है। इसे लेकर पुलिस कर्मियों में खासा असंतोष है। इसे देखते हुए सरकार ने मामले के निस्तारण को कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में एक उप समिति का गठन किया था। मंगलवार 23 जुलाई को उप समिति की बैठक हुई। ये कमेटी भी क्या कर रही है, कुछ पता नहीं।
इससे पहले भी करीब एक माह माह पूर्व भी पुलिस कर्मियों के आंदोलन की सुगबुगाहट शुरू हुई थी। पुलिस के खुफिया विभाग ने मुख्यालय को रिपोर्ट दी है कि पुलिस जवान, उनके स्वजन और सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी विरोध में 15 अगस्त को एक बड़ी रैली निकाल सकते हैं। इसे लेकर तब पुलिस मुख्यालय की ओर से उनकी समस्या के समाधान के लिए कमेटी गठित करने की बात कही गई।
इस बार ‘पुलिस की आवाज’
पुलिस की आवाज नाम से फिर पुलिस कर्मियों की मांग को लेकर सोशल मीडिया में मंगलवार से इंटरनेट मीडिया में कई दिनों से पोस्टर वायरल हो रहा था। इसमें पोस्टर में 25 जुलाई को गांधी पार्क में पुलिसकर्मियों की सामूहिक सभा के आयोजन का जिक्र किया गया था। साथ ही इसमें शामिल होने के लिए पुलिसकर्मियों के परिवारों से गांधी पार्क पहुंचने की अपील की गई है। इससे पहले इंटरनेट मीडिया में ही पुलिसकर्मियों के 15 अगस्त को रैली निकालने का संदेश भी वायरल हुआ था।




