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December 13, 2024

क्रिकेट में जिसने बनाई उत्तराखंड की पहचान, उन्हें ही गोल्ड कप के आयोजन से किया बाहर, पहले मैच के दौरान देंगे धरना

उत्तराखंड क्रिकेट में सबकुछ ठीक ठाक नहीं घट रहा है। आपसी खींचतान और गुटबाजी इस हद तक पहुंची कि क्रिकेट के क्षेत्र में उत्तराखंड की पहचान बनाने वाले पूर्व मंत्री हीरा सिंह बिष्ट को ही उत्तराखंड गोल्ड कप के आयोजन से दरकिनार कर दिया गया है।

उत्तराखंड क्रिकेट में सबकुछ ठीक ठाक नहीं घट रहा है। आपसी खींचतान और गुटबाजी इस हद तक पहुंची कि क्रिकेट के क्षेत्र में उत्तराखंड की पहचान बनाने वाले पूर्व मंत्री हीरा सिंह बिष्ट को ही उत्तराखंड गोल्ड कप के आयोजन से दरकिनार कर दिया गया है। इससे हीरा सिंह बिष्ट के समर्थकों के साथ ही खेल प्रेमियों में रोष है। वहीं, उपेक्षा से नाराज हीरा सिंह बिष्ट ने गोल्ड कप के उद्घाटन के पहले दिन स्टेडियम के बाहर धरने की चेतावनी दी है।
इस बार 20 मई से शुरू होगा गोल्ड कप
उत्तरांचल गोल्ड कप का इतिहास करीब 41 साल पुराना है। टूर्नामेंट की शुरुआत 1981 में सबसे पहले सर्वे मैदान में हुई थी।वर्ष 2008 में पाक की क्वेट क्लब टीम, 2013 में बांग्लादेश व नेपाल की टीमें भी आई थी। इसके बाद बांग्लादेश की टीम में शामिल प्लेयर्स का व‌र्ल्ड कप के लिए चयन तक हुआ। करीब 41 साल के इस सफर में एकाध साल टूर्नामेंट नहीं हो पाया। इस बार 38वां आल इंडिया गोल्ड कप क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन किया जा रहा है। इसका उद्घाटन 20 मई 2022 को कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल करेंगे। इसमें खास बात ये है कि गोल्ड कप को इस मुकाम तक पहुंचाने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं वयोवृद्ध कांग्रेस नेता हीरा सिंह बिष्ट को आयोजन समिति से ही दरकिनार कर दिया गया।
मदन कोहली को बनाया समिति का अध्यक्ष
उत्तराखंड क्रिकेट में जो योगदान पूर्व मंत्री और क्रिकेट एसोसिएशन आफ उत्तराखंड के पूर्व अध्यक्ष एवं संरक्षक हीरा सिंह बिष्ट का रहा है, उसकी बराबरी कोई नहीं कर सकता है। बीसीसीआइ की मान्यता मिलने के बाद इसके पूर्व सचिव पीसी वर्मा और उनके बेटे माहिम वर्मा का एसोसिएशन में कब्जा हो गया। इसके बाद उन्होंने एक एक करके हीरा सिंह बिष्ट और उनके समर्थकों को एसोसिएशन से बाहर करना शुरू कर दिया। अब गोल्ड कप क्रिकेट टूर्नामेंट से भी पूरी तरह निकाल बाहर कर उनकी जगह वयोवृद्ध मदन कोहली को आयोजन समिति का अध्यक्ष बना दिया है। वर्मा लॉबी पर तमाम संगीन आरोप क्रिकेट चयन और आयोजन के लगते रहे हैं। उत्तराखंड के हेड कोच वासिम जाफ़र के साथ विवाद के लिए भी वर्मा परिवार को देश भर में जाना जाता है।
मनमानी के चलते बिष्ट और शुक्ला हुए अलग
उत्तराखंड को बीसीसीआइ से मान्यता मिलने से पहले वर्मा लॉबी के संरक्षकों में हीरा सिंह बिष्ट और बोर्ड के राजीव शुक्ला को शुमार किया जाता रहा। मान्यता मिलने के बाद से ही क्रिकेट एसोसिएशन में कई विवाद उठे। इनमें ये विवाद भी उठा कि वर्मा लॉबी अपने ही परिवार के लोगों को वोटिंग अधिकार वाले सदस्य बना रही है। एसोसिएशन की बदनामी शुरू होने पर बिष्ट और शुक्ला ने इस मनमानी के बाद से ही एसोसिएशन से कन्नी काटनी शुरू कर दी।
क्रिकेट एसोसिएशन उत्तराखंड की कार्यप्रणाली पर उठते रहे सवाल
देश में सीएयू अकेली ऐसी एसोसिएशन है, जिसके जन्म के दो साल के भीतर ही चयन में धांधली-चयन को लेकर आरोप लगते रहे। गुड़गांव पुलिस की एफआइआर के बाद जांच-खरीद में घोटाला, नियुक्तियों में मनमानी, पूर्व हेड कोच के साथ धार्मिक किस्म के विवाद एसोसिएशन के बंद कमरों की बैठक से बाहर निकलकर सोशल मीडिया तक पहुंचे। Appex बॉडी के सदस्य और उपाध्यक्ष संजय रावत, कोषाध्यक्ष पृथ्वी सिंह नेगी, संयुक्त सचिव अवनीश वर्मा समेत कई Executive सदस्य खुलेआम अध्यक्ष जोत सिंह गुनसोला और सचिव माहिम के खिलाफ लगातार एपेक्स बैठकों में बोलने के साथ ही फेसबुक, व्हाट्सएप सरीखे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी खुल के आवाज उठाते रहे हैं। जीरो क्रिकेट सत्र होने के बावजूद टीमों का चयन और ट्रायल करने को ले के भी खूब सवाल और आरोप सीएयू पर लगते रहे हैं।

पहली बार बिष्ट नहीं हैं आयोजन समिति में
गोल्ड कप क्रिकेट टूर्नामेंट 38वीं बार हो रहा, लेकिन ऐसा पहली बार होगा, जब बिष्ट इसके साथ जुड़े नहीं होंगे। उनको अध्यक्ष के ओहदे से हटा दिया गया है। उनकी जगह कभी बिष्ट के ही करीबी रहे 85 साल से अधिक उम्र वाले मदन कोहली को लाया गया है। बिष्ट जब तिवारी सरकार में कैबिनेट मंत्री हुआ करते थे तो वह पीसी वर्मा को वह अपने मंत्रालय में लाल बत्ती दिला के लाए थे। टूर्नामेंट का आयोजन 20 मई से महारणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में किया जा रहा है।
फैसला कब हुआ पता नहीं
हीरा सिंह बिष्ट को किस तरह और किस लिए आयोजन समिति के अध्यक्ष की कुर्सी से हटाया गया। ये फैसला किस मीटिंग में हुआ, ये भी साफ नहीं हुआ है। हैरानी की बात ये है कि बिष्ट को तो हटा दिया गया, लेकिन पीसी वर्मा खुद सचिव बने रहे। उनकी उम्र खुद भी 85 साल के करीब है। सुप्रीम कोर्ट की लोढ़ा कमेटी के मुताबिक वह सीएयू में सदस्य भी नहीं रह सकते हैं। उनके साथ ही अमर सिंह मेंगवाल और उनकी ही लॉबी के तमाम वृद्ध सुप्रीम कोर्ट को धता बता के सीएयू में वोटिंग अधिकार लिए बैठे हैं।
सरकार में भी उठी थी आवाज, सीएम नहीं पहुंचे थे उद्घाटन में
सीएयू और एक ही परिवार के सदस्यों की मनमानियों के साथ ही तमाम आरोपों और उत्तराखंड का नाम बदनाम होने के बाद काँग्रेस के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने विधानसभा में सवाल उठाया था। इसी बीजेपी सरकार ने सीएयू के खिलाफ जांच बिठाई हुई है। बदनामी से बचने के लिए सीएम पुष्कर सिंह धामी एसोसिएशन के एक प्रमुख कार्यक्रम में पिछले साल सितंबर में मुख्य अतिथि बनाए जाने के बावजूद नहीं गए थे। आरोप ये भी है कि एसोसिएशन और सचिव ने बिना सीएम की मंजूरी के उनका नाम निमंत्रण कार्ड में बतौर मुख्य अतिथि छाप दिया था।
इस बार भी सीएम ने काटी कन्नी
बताया गया है कि इस बार भी गोल्ड कप के उद्घाटन समारोह के लिए सीएम पुष्कर सिंह धामी उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में टूर्नामेंट के उद्घाटन के लिए वन मंत्री सुबोध उनियाल को बुलाया गया है। ये देखा जा रहा है कि क्या मंत्री उन लोगों के आयोजन में जाएंगे, जिनकी सरकार ने जांच बैठाई थी। सीएयू में भ्रष्टाचार के खिलाफ खुद कोषाध्यक्ष पृथ्वी सिंह नेगी खुल के आवाज उठाते रहे हैं और अदालत में मुकदमा चल रहा है। सुबोध के मुख्य अतिथि बन के जाने से काँग्रेस इस मसले पर आक्रामक हो सकती है। वह इसे दागियों को सरकार की तरफ से अनाधिकारिक तौर पर कथित क्लीन चिट देने का आरोप उछाल सकती है।
अध्यक्ष को पत्र लिखकर पुनर्विचार करने की अपील
क्रिकेट एसोसिएशन आफ उत्तराखंड के सदस्य और टूर्नामेंट कमेटी के पूर्व सचिव ओपी सूदी ने गुनसोला को चिट्ठी भेज के बिष्ट की जगह 85 साल से अधिक उम्र के कोहली को अध्यक्ष बनाने के फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है। सूदी को भी सीएयू में होने वाले उल्टे-सीधे फैसलों और वर्मा खानदान की तानाशाही के खिलाफ लगातार आवाज उठाने वालों में शुमार किया जाता है।
मैच के पहले दिन बिष्ट स्टेडियम के बाहर देंगे धरना
गोल्ड कप आयोजन समिति से नाम हटाए जाने को लेकर हीरा सिंह बिष्ट खासे नाराज हैं। हालांकि उन्होंने सीएयू के कामों में दखल देना पहले ही बंद कर दिया था, लेकिन कहा जा रहा है कि सम्मान भी कोई चीज होती है। जिस व्यक्ति ने उत्तराखंड क्रिकेट को एक मुकाम तक पहुंचाने में मदद की, उन्हें ही यदि अलग कर दिया जाए, तो पीड़ा समझना स्वाभाविक है। अब बताया जा रहा है कि हीरा सिंह बिष्ट मैच के पहले दिन स्पोर्ट्स स्टेडियम रायपुर के गेट के बाहर धरना देंगे।
बिष्ट के समर्थक विक्टर थामस से फेसबुक पोस्ट के जरिये इसकी जानकारी दी। उन्होंने लिखा कि विशेष सूत्रों से पता चला है कि सोची समझी साजिश के तहत गोल्ड कप क्रिकेट एसोसिएशन देहरादून के अध्यक्ष हीरा सिंह जी को जो कई वर्षों से इस पद पर सुशोभित हैं, जिन्होंने यह सब कर प्रदेश में उत्तराखंड का नाम रोशन किया है। उनको क्रिकेट माफियाओं की साजिश से बिना मीटिंग के बिना जानकारी के हटा कर अपमानित करने का काम किया है। इससे उनकी भावनाओं और मान-सम्मान को बहुत भारी ठेस पहुंची है। इसलिए बिष्ट जी गोल्ड कप टूर्नामेंट के मैच के पहले दिन रायपुर स्टेडियम में एक दिवसीय धरना देंगे। इसकी जानकारी उन्होंने उस दिन के मुख्य अतिथि माननीय मंत्री  सुबोध उनियाल जी को भी दे दी गई है।

गोल्ड कप में इन खिलाड़ियों ने भी देहरादून में आजमाए हाथ
क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी, सुरेश रैना, भूपेंद्र सिंह, गौतम गंभीर, मोहम्मद कैफ, पंकज धर्माणी, योगेंद्र शर्मा, पवन सुयाल, पवन नेगी, वीरेंद्र सहवाग, विक्रम राठौर, चेतन शर्मा, एमएसके प्रसाद, न्यूल डेविड, उन्मुक्त चंद, पियूष चावला व प्रवीन कुमार सहित कई नाम ऐसे हैं, जिन्होंने उत्तरांचल गोल्ड कप में अपने हाथ आजमाए हैं। क्रिकेट प्लेयर उत्तरांचल गोल्ड कप को लक्की मानते हैं। कुछ क्रिकेटर इस बात को कह चुके हैं कि जिन क्रिकेटर्स ने गोल्ड कप खेला है, उन्होंने इंडियन टीम में अपनी जगह बनाई है।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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