सर्वाइकल कैंसर के खुद की मौत की फर्जी खबर फैलाई अभिनेत्री पूनम ने, डॉ. सुजाता संजय से जानिए सर्वाइकल कैंसर के बारे में
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अभिनेत्री पूनम पांडे
दो फरवरी को मॉडल और अभिनेत्री पूनम पांडे की सर्वाइकल कैंसर से मौत की खबर सोशल मीडिया में फैली तो इस मॉडल के फेंस सकते में आ गए। अब खबर ये है कि पूनम पांडे जिंदा निकलीं। शुक्रवार दो फरवरी को पूनम पांडे ने अपने मैनेजर के हवाले से खुद की मौत का फर्जी पोस्ट सोशल मीडिया पर डाला था। पूरे दिन उनके मौत पर रहस्य बना रहा। न तो उनके परिवार की ओर से इसे लेकर कोई बयान दिया गया। न ही उनका शव कहीं दिखा। आखिरकार शनिवार को पूनम पांडे ने एक वीडियो जारी करके कहा कि उनका निधन नहीं हुआ है। उन्होंने दावा किया कि यह सब उन्होंने सर्वाइकल कैंसर से जागरुकता पैदा करने के लिए किया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अपनी मौत की झूठी खबर फैलाना बॉलीवुड एक्ट्रेस और मॉडल पूनम पांडे को महंगा पड़ा है। उन्हें कुछ दिनों के लिए लाइमलाइट को मिल गई, लेकिन अब लोग न केवल सोशल मीडिया पर उनकी फजीहत कर रहे हैं। मुंबई में उनके खिलाफ पुलिस शिकायत भी की गई है। लोग इसे सुर्खियों में आने के लिए पूनम पांडे का हथकंडा बता रहे हैं। यह पहला मौका नहीं है जब पूनम ने सुर्खियां बंटोरने के लिए कोई अजीबोगरीब हरकत की हो। इससे पहले भी उनके ऊपर नग्नता फैलाने से लेकर कई तरह के आरोप लग चुके हैं। ताजा घटनाक्रम पर लोग अभिनेत्री पर कानूनी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जागरूकता ही बचाव हैं सरवाइकल कैंसर सेः डॉ. सुजाता संजय
आज 4 फरवरी है। इस दिन को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। इसके पीछे उद्देश्य यह है कि आम लोगों को कैंसर के खतरों के बारे में जागरूक और इसके लक्षणों से लेकर जानकारी दी जा सके। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर 100 वीमेन्स अचीवर्स ऑफ इंडिया से सम्मानित एवं संजय ऑर्थोपीडिक, स्पाइन एवं मैटरनिटी सेंन्टर, जाखन देहरादून की डॉ. सुजाता संजय सर्वाइकल कैंसर के बार में बता रही हैं। डॉ. सुजाता स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ हैं। उनका कहना है कि इस रोग के प्रति जागरूकता ही इससे बचाव है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
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ये होता है कैंसर
डॉ. सुजाता संजय के मुताबिक, शरीर के किसी भी भाग की कोशिका का असामान्य विकास कैंसर है। शरीर के किसी भी भाग में लम्बे समय तक सूजन, जख्म और रसौली का होना कैंसर हो सकता है। भारत में 2023 की एक रिपोर्ट के अनुसार सर्वाइकल कैंसर के 3.4 लाख से अधिक महिलाऐं प्रभावित हैं। ऐसा अनुमान है कि प्रतिवर्ष 9 से 27 प्रतिशत भारतीय महिलाऐं सरवाईकल कैंसर से पीड़ित होती है। सरवाइकल कैंसर के सर्वाधिक मामले 15-44 आयु वर्ग की स्त्रियों में देखने को मिल रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एचपीवी संक्रमण के कारण होता है सर्वाइकल कैंसर
डॉ. सुजाता संजय ने बताया कि सर्वाइकल कैंसर ह्रयूमन पेपिलोमा वाइरस (एचपीवी) से सरविक्स में संक्रमण के कारण होता है। यह वाइरस अधिकतर यौन सक्रिय महिलाओं को उनके जीवन के प्रजनन चरण के दौरान संक्रमित करता है। अच्छी जनंनाग स्वच्छता तथा शरीर की आत्म रक्षा प्रणाली के कारण अधिकांश महिलाओं में स्पष्ट लक्षण उभर कर नहीं आते तथा शरीर दबा रहता है। यद्यपि 3-10 प्रतिशत महिलाएं जो बार-बार लगातार एचपीवी संक्रमण से प्रभावित रहती हैं, वह अंत में सर्वाइकल कैंसर का शिकार होती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रारंभ में नजर नहीं आते हैं लक्षण
प्रारम्भिक स्तर में बहुत से कैंसरों के कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते। अतः बहुत सी महिलाएं सोचती हैं कि वह सुरक्षित हैं। परन्तु, सावाइकल कैंसर भारतीय महिलाओं को होने वाले कैंसरों में सर्वाधिक पाया जाने वाला रूप है। सवाइकल कैंसर के प्रारम्भिक स्तर से पीडित सभी महिलाएं पूर्णतः स्वस्थ हो सकती हैं। यदि कैंसर, कोशिकाओं व अन्य ऊतकों में भी फैल चुका है, तो इलाज कठिन हो जाता है। अतः शीध्र तथा नियमित स्क्रिींनिंग बहुत महत्तवपूर्ण है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सर्वाइकल कैंसर के कारण
डॉ. सुजाता संजय के मुताबिक, सर्वाइकल कैंसर के कई कारण हो सकते हैं। जैसे-छोटी उम्र में शादी होना या संभोग करना, छोटी उम्र में गर्भधारण या अधिक बच्चे पैदा करना, पति या पत्नी का एक-दूसरे के अतिरिक्त और लोगों से भी यौन सम्बन्ध होना। धूम्रपान या तम्बाकू खाना, बच्चेदानी के मुंह पर मस्से होना। स्वास्थ्य शिक्षा और सफाई का अभाव। आर्थिक स्थिति का निम्न स्तर। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सर्वाइकल कैंसर के लक्षण
डॉ. सुजाता संजय के मुताबिक, सर्वाइकल कैंसर की प्रारम्भिक स्थिति में महिला को किसी प्रकार की तकलीफ नहीं होती। न ही कोई लक्षण दिखाई देते है। जैसे-जैसे रोग बढ़ता है, फिर लक्षण नजर आने लगते हैं। सफेद पानी या खून मिला पानी लम्बे समय तक आना, संभोग के बाद खून आना, मासिक-धर्म की अमियमिता, जैसे-रूककर आना तथा बीच-बीच में खून के धब्बे दिखाई देना, मस्सा या तिल में कोई परिवर्तन, खांसी या लगातार रूखापन, मल विसर्जन की सामान्य प्रक्रिया में जल्दी-जल्दी परिवर्तन। मुँह के अन्दर कोई सफेद दाग आदि। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बच्चेदानी के मुंह के कैंसर का प्रारम्भिक उपचार संभव
पैप टैस्ट- डॉ. सुजाता संजय के मुताबिक, इस जांच में बच्चेदानी के मुख से लिए गए द्रव की जांच के द्वारा कैंसर की शुरूवात होने से काफी समय (लगभग 5-7 वर्ष) पहले ही पता लगाया जा सकता है। यह सुविधा सभी बड़े अस्पतालों में उपलब्ध है। सर्वाइकल कैंसर की जांच में पैप स्मियर टैस्ट सर्वाधिक प्रचलित तरीका है। नमूना संग्रहण के लिए प्रशिक्षित मेडिकल स्टाफ तथा आगे के विश्लेषण के लिए प्रयोगशाला सुविधाओं की आवश्यकता होती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एक साधारण स्क्रिीनिंग तकनीक जिसे वीआईए (विजुअल इन्स्पैक्शन विद एसेटिक एसिडद्) कहते हैं। इसके माध्यम से तत्काल परिणाम जानने के लिए यह जांच कराई जा सकती है। इसके कारक वायरस की लगातार उपस्थिति का पता लगाना, एचपीवी-डीएनए टैस्ट के द्वारा भी संभव है। जिसके द्वारा परिवर्तन प्रारम्भ में ही जांचें जा सकते हैं। सभी यौन सक्रिय महिलाओं तथा रजोनिवृत्ति के पश्चात और प्रौढ महिलाओं को भी प्रतिवर्ष अपनी जाँच करानी चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
2.एचपीवी टीकाकरण
परिवार की सभी किशोर युवतियों तथा अविवाहित युवतियों अर्थात् यौन सक्रिय होने से पूर्व महिलाओं का टीकाकरण करवाकर सर्वाइकल कैंसर से बचाव कर सकते हैं। याद रखें कि टीकाकरण के पश्चात भी नियमित रूप से वीआईए स्क्रीनिंग या पैप स्मियर टैस्ट तथा एचपीवी-डीएनए टैस्ट के द्वारा तीन वर्ष के मध्य एक जाँच कराने की आवश्यकता होती है। 25 वर्ष तक की महिलाओं के लिए यह टीका सर्वाधिक प्रभावशाली है। क्योंकि जितनी जल्दी तथा शादी से पूर्व यह टीका लगाया जाए तो बचाव बेहतर होता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
3.कॉल्पोस्कोप मशीन द्वारा जननांगों की जांच
इन दोनों ही जाँचों में केवल दो-तीन मिनट का समय लगता है। इन जाँचों के लिए न कोइ चीरफाड होती है, बेहोश नहीं किया जाता। सुई नहीं लगाई जाती और न ही भर्ती होने की आवश्यकता होती है। डा. सुजाता संजय ने बताया कि पैंतीस वर्ष से अधिक उम्र की महिला तथा जिस महिला की शादी को लगभग 5-6 वर्ष हो गए हों, प्रतिवर्ष अपनी जांच करवानी चाहिए। इस जांच के द्वारा कोशिकाओं का असामान्य व्यवहार कैंसर होने के काफी समय पहले ही ज्ञात किया जा सकता है। इस तरह के कार्यक्रमों का उद्देश्य समाज को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना है जिससे स्वस्थ समाज का निर्माण हो सके।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।