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August 3, 2025

गलती करके चूहे ने लिया सबक, फिर नहीं दोहराई गलती, इंसान भी इससे कुछ सीख पाता

एक बार की बात है। तब कई दिन से घर में चूहों ने उछलकूद मचा रखी थी। इनसे छुटकारा पाने से लिए मैं हर बार नया टोटका इस्तेमाल करता।

एक बार की बात है। तब कई दिन से घर में चूहों ने उछलकूद मचा रखी थी। इनसे छुटकारा पाने से लिए मैं हर बार नया टोटका इस्तेमाल करता। चूहे ही क्यों, कॉकरोच के लिए भी एक फार्मूला कामयाब नहीं होता। यदि पहली बार हिट के छिड़काव से कॉकरोच भागते तो अगली बार कॉकरोच में उसे सहने की शक्ति आ जाती है। ऐसे में हर बार मुझे उनसे छुटकारा पाने के नए तरीके तलाशने पड़ते। इसके लिए कीटनाशक बदलता, लेकिन एक दिन ऐसा आया उन पर कोई भी कीटनाशक कारगार साबित नहीं हुआ। तब मेरी बहन ने बताया कि बोरिक पाउडर में उसके बराबर आटा मिला लो। साथ ही उसमें एक चम्मच हल्दी व एक चम्मच चीनी मिलाकर सब को गूंद लो। इस पेस्ट को कीचन में दीवारों के सभी छिद्रों में भर दो। साथ ही इससे स्लैब व दीवार से सटाकर एक लाइन खींच दो। कम से कम छह माह तक कॉकरोच नजर नहीं आएंगे। यह फार्मूला भी कुछ माह के लिए कारगार साबित हुआ। फिल पहले वाली स्थिति होने लगी। फिर दूसरे फार्मूले की तलाश शुरू हुई, जो अब भी जारी है।
इसी तरह चूहे भी कम शैतान नहीं हैं। तब कॉकरोच से छुटकारा मिला तो चूहे तंग करने लगे। पड़ोसी की एक बिल्ली थी। वह कभी-कभी हमारे घर भी आ जाती थी, लेकिन मजाल है कि चूहे मारे। पड़ोसी उसे पेट भरकर दूध पिलाता और बिल्ली का पेट भरा रहता है। ऐसे में वह क्यों चूहे मारेगी। घर में चहलकदमी करने के बाद वह म्याऊं -म्याऊं करती वापस चली जाती थी। जब कभी मौका मिलता है तो कीचन में रखा दूध इतनी सफाई से चुरा कर पीती कि बर्तन में मलाई की परत तक नहीं टूटती। नीचे से दूध कम हो जाता और ऊपर मलाई की परत पहले की तरह नजर आती। इससे पता तक नहीं चलता कि बिल्ली अपना काम कर गई।
चूहों को मारने का जहर मैं इस्तेमाल नहीं करता। कारण ये है कि यदि उससे चूहा बेहोश हो जाए या मर जाए तो उसे बिल्ली खा सकती है। ऐसे में बिल्ली की मौत भी हो सकती है। कई ऐसी टिकिया भी आती है कि उसे खाकर चूहा मरता नहीं है, लेकिन दूर चला जाता है। ये फार्मूला भी कारगार साबित नहीं हुआ तो ऐसे में एकमात्र उपाय चूहेदानी ही सही नजर आया।
पत्नी ने आटे में असली घी के साथ कुछ चीनी भी मिलाई। फिर एक छोटी सी रोटी बनाकर चूहेदानी में फिट कर दी गई। बच्चों वाले घर में खाने-पीने की काफी चीजें डस्टबीन में फेंकी जाती हैं। ऐसे में चूहे क्यों रूखी रोटी खाने चूहेदानी तक जाएंगे। इसी के मद्देनजर घी व चीनी मिलाकर रोटी को स्वादिस्ट बनाकर चूहेदानी में लगाया गया। एक रात रोटी लगाई और कुछ ही देर बाद चूहेदानी में चूहा फंस गया।
वह चूहा काफी बड़ा था, जिसे छुछुदंर भी कहा जाता है। मैने बेटे को घर से दूर चूहेदानी को खोलकर छुछुंदर को छोड़ने को कहा। इस पर मेरा बेटा चूहेदानी लेकर घर से बाहर निकला। गेट से काफी आगे एक नाली के पास उसने चूहेदानी खोल दी और वापस आ गया। उसके पीछे-पीछे छुछुंदर भी आने लगा। उसे देख बेटे ने भगाने का प्रयास किया तो वह किसी दूसरे के गेट के भीतर घुस गया। खैर हमने राहत की सांस ली कि अब चूहे से छुटकारा मिल गया। चूहा पड़ोस के जिस घर में घुसा वहां बच्चे नहीं रहते। खाना खाने के दौरान उस घर में कोई न तो बच्चो की तरह नखरे ही करता है और न ही थाली में खाना छोड़ता है। ऐसे में जितना पकाया उतना ही खाते हैं।
चूहे को वहां शायद वेस्ट भोजन नहीं मिला और तीन दिन बाद वह हमारे घर पहुंच गया। अब यह चूहा और शातिर हो गया। वह चूहेदानी में लटकी रोटी की तरफ देखता तक नहीं। जब रात को बत्ती बंद की जाती है, तो उसकी आवाज घर में सभी को डराने लगती। इस चूहे को देखकर मुझे यह आश्चर्य भी हुआ कि वह चूहेदानी में दोबारा फंसने की गलती नहीं कर रहा है। पहली गलती से ही उसने सबक ले लिया था। फिर उसने कभी चूहेदानी की तरफ रुख नहीं किया।
चूहेदानी में रोटी का टुकड़ा उसके इंतजार में सूख कर कड़ा हो गया। उसे हटाकर चूहेदानी को धोया गया। फिर उसमें दूसरी रोटी लगाई गई, लेकिन फिर चूहे ने उसमें जाने की गलती नहीं की। काश इस चूहे से इंसान भी सीख लेता। इंसान तो गलती दर गलती करता जा रहा है। साथ ही वह गलती को मानने को भी तैयार नहीं होता। बार-बार लालच में पड़कर वह अपना नुकसान कर बैठता है। जानबूझकर वह काम, क्रोध, लोभ, द्वेष आदि के जाल में अक्सर फंसता चला जाता है।
भानु बंगवाल

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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