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November 13, 2025

उत्तराखंड में स्कूल खोलने का प्रकरण हाईकोर्ट पहुंचा, कोर्ट ने 17 अगस्त तक सरकार से मांगा जवाब

उत्तराखंड में स्कूलों में विद्यार्थियों की भौतिक रूप से उपस्थिति का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। इस संबंध में शासनादेश को चुनौती देती याचिका पर आज हाईकोर्ट नैनीताल में सुनवाई हुई।

उत्तराखंड में स्कूलों में विद्यार्थियों की भौतिक रूप से उपस्थिति का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। इस संबंध में शासनादेश को चुनौती देती याचिका पर आज हाईकोर्ट नैनीताल में सुनवाई हुई। कोर्ट ने सरकार से 17 अगस्त तक इस मामले में जवाब पेश करने को कहा है। अगली सुनवाई दो सप्ताह होगी।
बुधवार चार अगस्त को हाईकोर्ट नैनीताल के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हरिद्वार निवासी विजय पाल की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता ने सरकार के 31 जुलाई 2021 के शासनादेश को चुनौती दी। इसमें दो अगस्त से स्कूल खोलने के आदेश जारी किए गए थे। याचिकाकर्ता ने कहा कि इसमें कई तरह की खामियां है। पहाड़ी क्षेत्र के स्कूल इन मानकों को पूरा नही कर सकते है। जीओ में लिखा है कि स्कूल दो पालियों में खोले जाएंगे। पहली पाली में 9 से 12 तक कक्षाओं के बच्चे शामिल होंगे, जिनकी कक्षाएं चार घंटे चलेंगी।
दूसरी पाली में 6 से 8 तक की कक्षाएं चलेंगी। मध्याह्न में कक्षाओं को पूर्ण रूप से सेनेटाइज किया जाएगा। शनिवार व रविवार को जिला प्रशासन, नगर पालिका व स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से स्कूल सेनेटाइज होंगे। इसकी जिम्मेदारी प्रत्येक जिले के मुख्य शिक्षा अधिकारी की होगी, जो करना नामुमकिन है। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में इतनी व्यवस्थाएं नही है। दुर्गम क्षेत्रो में इसका पालन कराना और भी नामुमकिन है। जीओ में यह भी कहा है कि बिना अभिभावकों के सहमति के बच्चों को स्कूल नही बुलाया जाएगा और कक्षाएं ऑनलाइन और भौतिक रूप से चलेंगी। इसमे समस्याएं आएंगी। पिछले डेढ़ साल से बच्चों की स्कूल जाने की आदत छूट चुकी है।
जनहित याचिका दायर कर कहा है कि कैब‍ि‍नेट ने एक निर्णय लेकर दो अगस्त से कक्षा 6 से 12 तक के स्कूलों को खोलने जा रही है। प्रदेश में कोरोना के केस अभी भी मिल रहे है। राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में अभी भी कितने लोगों को वैक्‍सीन की पहली डोज तक नही लगी है। जब शहरों में एसओपी का पालन नही हो पा रहा है तो स्कूलों में कहां से होगा, वहां तो इतने साधन तक नही हैं।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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