विजय दिवस पर की 50 वीं वर्षगांठ पर नई पीढ़ी को बताई जाएगी भारतीय सेना की वीर गाथाएं
1971 के भारत पाक युद्ध के 50 वर्ष पूरे होने पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की ओर से देश भर में मनाए जा रहे विजय दिवस की श्रृंखला में उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी मुख्यालय में भी कार्यक्रम की रूप रेखा तय की गई।

कार्यक्रम में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी पूर्व सैनिक विभाग के संयोजक कैप्टन प्रवीण डाबर ने भारत पाक युद्ध की स्मृतियों को ताजा करते हुए कहा कि इस युद्ध में दुनिया के इतिहास में पाकिस्तान के विभाजन और बांग्लादेश की आजादी का एक नया अध्याय लिखा गया। उन्होंने कहा कि इस पूरे युद्ध की इतनी वीर गाथाएं हैं, जिनके वर्णन के लिए कई दिन कई महीने लग जाएंगे। उन्होंने कहा कि एआईसीसी ने ये फैसला लिया है कि देश के हर जिले में जा कर इस प्रकार की गोष्ठियां आयोजित कर नई पीढ़ियों को इंदिरा जी के कुशल नेतृत्व में हुए इस ऐतिहासिक घटनाक्रम को बताएं।
इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि देश व दुनिया के इतिहास में 1971 के भारत पाक युद्ध को इसलिए याद किया जाएगा कि उस समय अमेरिका पाकिस्तान के पक्ष में खड़ा हो गया था। अमेरिका ने भारत के खिलाफ सातवां बेड़ा भेज कर कार्यवाही की धमकी दी थी, लेकिन इंदिरा गांधी का फौलादी नेतृत्व उस धमकी के आगे झुका नहीं। उल्टा पाकिस्तान के दो टुकड़े कर बांग्लादेश को ही आजाद करवा दिया। धस्माना ने कहा कि उस समय के जनरल मानिकशॉ और वायुसेना तथा नौ सेना के अध्यक्षों ने जिस बहादुरी का परिचय दिया वो भी काबिले तारीफ है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व अवकाश प्राप्त जनरल बधानी ने कहा कि हम नवंबर में आईएमए से पास आउट हो कर नए नए सेकंड लैफ्टीनैंट बने थे। दस दिन बाद ही युद्ध में जाने के आदेश मिल गए। उन्होंने कहा कि वास्तव में उस समय की राजनैतिक नेतृत्व इतना मजबूत था कि कोई भी निर्णय लेने में कभी हिचकिचाहट नहीं की। गोष्ठी में कर्नल मोहन, कैप्टन बलबीर सिंह रावत, प्रदेश महामंत्री राजेन्द्र शाह, नवीन जोशी, महानगर कांग्रेस अध्यक्ष लालचंद शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
Bhanu Bangwal
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।