सरकार ने हाईकोर्ट से किया चारधाम यात्रा खोलने का अनुरोध, रोटी रोजी का दिया हवाला, कोर्ट ने दिया सुप्रीम कोर्ट का हवाला
सरकार ने हाईकोर्ट में उपस्थित होकर चारधाम यात्रा खोलने का अनुरोध किया। हाईकोर्ट ने कहा कि ये मामला सुप्रीम कोर्ट में है। इसलिए अब इस पर हाईकोर्ट विचार नहीं कर सकता है।

उत्तराखंड में चारधाम यात्रा मामले में सरकार ने अपनी ही गलतियों से पेच फंसाए हैं। जब कोरोना की दूसरी लहर चरम पर थी, तब जल्दबाजी में चारधाम यात्रा खोलने का निर्णय ले लिया। इस मामले में हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर हुई। क्योंकि सरकार की तैयारियां पूरी तरह से नहीं थी। हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा वाले जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, कोविड संक्रमण पर नियंत्रण को पर्याप्त तैयारियां नहीं होने, डॉक्टरों की कमी और जिला प्रशासन की रिपोर्ट के आधार पर 28 जून को अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी थी। इस आदेश के खिलाफ बीती 6 जुलाई को प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की। बस यहीं कानूनी पेच फंस गया।
अब मामला सुप्रीम कोर्ट में है। सरकार को सुप्रीम कोर्ट में लाखों लोगों की रोजी रोटी के सवाल पर अनुरोध करना चाहिए कि इस मामले में जल्द से जल्द सुनवाई हो। इसके उलट मंगलवार को महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर और मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत ने मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत होकर मौखिक तौर पर भी चारधाम यात्रा पर लगी रोक हटाने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा है कि चारधाम यात्रा से हजारों लोगों की रोजी-रोटी जुड़ी हुई है। कोर्ट ने साफ कहा है कि जब तक मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, हाईकोर्ट रोक हटाने पर विचार नहीं कर सकती है।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।