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December 17, 2024

नई सरकार का जनता को बिजली की दरों में भारी बढ़ोतरी का तोहफा, यूकेडी ने किया विरोध

उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय महामंत्री जयदीप भट्ट ने कहा कि राज्य की जनता ने बीजेपी को स्पष्ट बहुमत देकर पुनः सत्ता सौंपीं, लेकिन भाजपा ने राज्य की जनता को बिजली बिलों में बढ़ोतरी करके मंहगाई का गिफ्ट दिया है।

उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय महामंत्री जयदीप भट्ट ने कहा कि राज्य की जनता ने बीजेपी को स्पष्ट बहुमत देकर पुनः सत्ता सौंपीं, लेकिन भाजपा ने राज्य की जनता को बिजली बिलों में बढ़ोतरी करके मंहगाई का गिफ्ट दिया है। भट्ट ने कहा की उत्तराखंड में अपार जल संपदा है। बावजूद इसके ऊर्जा निगमों में घाटा दिखाकर बिजली दरों में बढ़ोतरी की जा रही है। विद्युत नियामक आयोग ने भी सिर्फ जनसुनवाई का बहाना बनाया और बिजली दरों में बढ़ोतरी का निर्णय देने का फैसला कर दिया। जो राज्य के बिजली उपभोक्ताओं के हितों पर कुठाराघात है।
उन्होंने कहा कि नियामक आयोग ने जनता के हितों मे नही, बल्कि ऊर्जा निगमो के अधिकारियों के द्वारा भेजे गए प्रस्तावों के हित मे फैसला देने का कार्य किया है जो। कोरोना महामारी में बेरोजगार हुए जनता के हितों पर कुठारघात है। भट्ट ने कहा कि विद्युत नियामक आयोग का कार्य था कि ऊर्जा निगमों की कार्यप्रणाली पर विशेष नजर रखते और निगमों में हो रहे भ्रष्टाचार पर ध्यान देकर राजस्व की हानि रुकवाते, जिससे बिजली दरों में बढ़ोतरी की आवश्यकता नही पड़ती। वहीं, आयोग सिर्फ जन सुनवाई करके अपनी ड्यूटी पूरी कर देते हैं। ऊर्जा निगमों के अधिकारियों की कारगुजारियों पर आंख बंद करके रखता है।
भट्ट ने कहा कि वास्तव ऊर्जा निगम को घाटे में दिखाकर बिल बढ़ाने की योजना है, जबकि ऊर्जा निगम के एमडी के पास वर्तमान में चार चार पद हैं। ऐसे में निगम को घाटे से एक एमडी कैसे उभार पायेंगे। इसलिए जनता के ऊपर अतिरिक्त राजस्व का भार डाला जा रहा है। भट्ट ने कहा कि यदि नियामक आयोग व भाजपा की सरकार वास्तव में जनता के हितों की संरक्षण की बात करती है तो ऊर्जा निगमों में किया जा रहे अनावश्यक अनुरक्षण कार्यों की उच्च स्तरीय जांच करवाकर कुछ भ्रष्ट अधिकारियों से राजस्व की वसूली करके ऊर्जा निगमों को घाटे दे उभार दे।
भट्ट ने कहा कि ऊर्जा निगमों का कैग से ऑडिट करवाना चाहिये, जिससे निगमों के घाटे का वास्तविक सत्य जनता को पता चल सके। साथ ही निगम में कई योग्य अधिकारी होने के बावजूद एक व्यक्ति को अनेकों पदों पर क्यों बिठाया गया। इससे साफ जाहिर है कि निगम पर सरकार का नियंत्रण नही है, जिससे निगम को घाटा दिखाकर राज्य के लाखों विद्युत उपभोक्ताओं को मंहगी बिजली दी जा रही है। भट्ट ने कहा कि जब दिल्ली जैसे प्रदेश में सस्ती बिजली मिल रही है। जो कोयला खरीदकर विद्युत उत्पादन कर रहे हैं। वहीं, उत्तराखंड में विद्युत उत्पादन प्राकृतिक जल से हो रहा है। फिर यहां बिजली मंहगी बेची जा रही है। भट्ट ने कहा कि शीघ्र ही उक्रांद की ओर से राज्य के प्रबुद्ध जनों से इस विषय में विचार विमर्श किया जाएगा। इसमे आगे की रणनीति तय की जाएगी। ताकि राज्य के प्राकृतिक संसाधनों जल सम्पदा की लूट को बचाया जा सके।
इस बार 4.5 फीसद बढ़ोत्तरी संभव
इस बार बिजली उपभोक्ताओं को राहत मिलने की उम्मीद कम है। ऊर्जा निगम के विद्युत दर बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग अंतिम मुहर लगाने की तैयारी में है। ऊर्जा निगम ने कुल 4.5 प्रतिशत वृद्धि का प्रस्ताव दिया है। हालांकि, आयोग ने उपभोक्ताओं पर कम से कम भार डाले जाने का दावा किया है। हर साल एक अप्रैल से नए वित्तीय वर्ष शुरू होने के साथ ही बिजली की नई दरें भी लागू हो जाती हैं। इस बार भी ऊर्जा निगम ने बढ़ोतरी का प्रस्ताव भेजा है, जो कि आयोग की ओर से अंतिम मुहर लगने के बाद लागू कर दिया जाएगा। यूपीसीएल की ओर से नए वित्तीय वर्ष से बिजली की दरों में 4.5 प्रतिशत बढ़ोतरी का प्रस्ताव भेजा गया है। इस पर जनसुनवाई भी संपन्न हो चुकी है।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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