भारत में 12 साल से ऊपर के बच्चों के लिए पहली कोरोना वैक्सीन को मिल गई मंजूरी, दी जाएंगी तीन डोज, नहीं चुभाई जाएगी सुई
अब बच्चों के लिए कोरोना टीकाकरण को लेकर अच्छी खबर आ रही है। दुनिया में पहली डीएनए वैक्सीन Zycov-D को भारत में मंजूरी मिल गई है। जायडस कैडिला (Zydus Cadila) की वैक्सीन Zycov-D को डीसीजीआइ (DCGI)ने शुक्रवार को मंजूरी दी है। वैक्सीन को इमर्जेंसी यूज ऑथोराइजेशन मिलने के बाद इसकी 0, 28 और 56 दिन पर तीनों डोज दी जा सकती हैं। इस वैक्सीन पर अब तक का सबसे बड़ा ट्रायल हुआ है, जिसमें करीब 28000 लोग शामिल हुए थे। इसकी खासियत है कि बच्चों को सुईं नहीं चुभोई जाएगी।
खास बात यह है कि ये इंजेक्शन मुक्त वैक्सीन है। ये फार्मा जेट इंजेक्शन फ्री सिस्टम के द्वारा दिया जाता है। इसे 2 से 8 डिग्री पर स्टोर किया जा सकता है। इससे पहले, Covishield, कोवैक्सीन, स्पूतनिक, Moderna और J and J को भारत में मंजूरी मिल चुकी है। इस वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद 12 साल से ऊपर के बच्चों के कोविड वैक्सीनेशन के रास्ते भी खुल गए हैं। जायडस कैडिला ने इस वैक्सीन का निर्माण डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के साथ मिलकर किया है।
इस वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद देश में अब कोरोना के खिलाफ 6 वैक्सीन से लोगों को सुरक्षा दी जा सकेगी। कंपनी ने कहा कि उसकी सालाना ZyCoV-D की 100 मिलियन से 120 मिलियन खुराक बनाने की योजना है। कंपनी ने वैक्सीन का स्टॉक करना भी शुरू कर दिया है। कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड के रूप में सूचीबद्ध जेनेरिक दवा निर्माता ने 1 जुलाई को ZyCoV-D के प्राधिकरण के लिए आवेदन किया था। वैक्सीन का ट्रायल 28,000 से अधिक स्वयंसेवकों पर किया गया है। परीक्षण में इसकी प्रभावकारिता 66.6 प्रतिशत आकी गई है।
ZyCoV-D कोरोनावायरस के खिलाफ दुनिया का पहला प्लास्मिड डीएनए वैक्सीन है। यह वायरस से आनुवंशिक सामग्री के एक हिस्से का उपयोग करता है। बॉयोटेक्नलॉजी विभाग के साथ साझेदारी में विकसित Zydus Cadila का टीका, भारत बायोटेक के Covaxin के बाद भारत में आपातकालीन प्राधिकरण प्राप्त करने वाला दूसरा घरेलू शॉट है। दवा निर्माता ने जुलाई में कहा था कि उसका COVID-19 वैक्सीन नए कोरोनावायरस म्यूटेंट, विशेष रूप से डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी है। और यह शॉट पारंपरिक सीरिंज के विपरीत सुई-मुक्त ऐप्लिकेटर का उपयोग करके प्रशासित किया जाता है।
इस तरह दी जाएगी वैक्सीन
इस वैक्सीन की खासियत यह भी है कि इसे बिना सुई की मदद से फार्माजेट तकनीक से लगाया जाएगा। इससे साइड इफेक्ट के खतरे कम होते हैं। बिना सुई वाले इंजेक्शन में दवा भरी जाती है, फिर उसे एक मशीन में लगाकर बांह पर लगाया जाता है। मशीन पर लगे बटन को क्लिक करने से टीका की दवा अंदर शरीर में पहुंच जाती है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।