उत्तराखंड के देहरादून में खुला प्रदेश का पहला बाल मित्र थाना, सीएम ने किया उद्घाटन
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उत्तराखंड में पहला बाल मित्र थाना खोल दिया गया है। इसका उद्घाटन मुख्मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया। डालनवाला कोतवाली में खोले गए इस बाल मित्र थाने के बाद अब प्रदेश में अन्य स्थानों पर भी इस तरह के थाने खोलने की तैयारी की जा रही है।
बाल मित्र थाने में दो तरह के बच्चों के लिए माहौल बनाया जाएगा। इनमें किसी अपराध में आने वाले बाल अपराधियों को बेहतर माहौल देने का प्रयास होगा। साथ ही किसी अपराध में थाने पहुंचने वाली महिलाओं के छोटे बच्चों को इसमें रखा जाएगा। ऐसे बच्चे यहां खेल सकेंगे।
बाल थाने में बालकों से संबंधित अपराधों और मामलों को देखा जाएगा। बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम भी इस थाने से जुड़ी रहेगी। आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने बताया कि बाल थाने के लिए आयोग 13लाख रुपये जारी कर रहा है। राज्य के सभी 13 जिलों में बाल थाने खोले जाएंगे। बालको के खिलाफ अपराधों और मामलों को हैंडल करने के लिए संवेदनशीलता की अधिक जरूरत होती है। उनके मामलों को हैंडल करने के लिए अलग से थाना खोलकर बालकों के मामलों को प्रभावी और संवेदनशील तरीके से देखा जा सकेगा।
इस अवसर पर उत्तराखंड ते मुख्यमंत्री ने बच्चों की सुरक्षा के लिए 01 करोड़ के राहत कोष की घोषणा की। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड में बाल मित्र थाने के रूप में उत्तराखण्ड में एक नई शुरूआत की गई है। यह पुलिस का एक महत्वपूर्ण सुधारात्मक कदम होगा। उन्होंने कहा कि बच्चों को जिस माहौल में ढ़ालना चाहें, वे उस माहौल में ढ़ल जाते हैं। इसलिए बच्चों को बेहतर माहौल मिलना जरूरी है।
बाल मित्र पुलिस थाने से लोगों को ये लगे कि बच्चों के संरक्षक आ रहे हैं। जो बच्चे अनजाने में अपनी दिशा से भटक जाते हैं, इन थानों के माध्यम से इनको सही दिशा देने के प्रयास किये जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा निराश्रित बच्चों के लिए सरकारी सेवाओं में 05 प्रतिशत तथा दिव्यांगजनों के लिए भी 04 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई है।
पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा कि बाल मित्र पुलिस थाना प्रदेश में नई मुहिम शुरू की गई है। हमारा प्रयास है कि हर थाने को महिला एवं चाइल्ड फ्रेंडली बनाया जाय। इससे थाने के नाम से बच्चों के मन में जो भय रहता है, वह दूर होगा। उन्होंने कहा कि राज्य में ऑपरेशन ‘मुक्ति’ के तहत लगभग 2200 बच्चे चिह्नित किये गये। इनको सड़को से भीख मांगने के प्रचलन से बाहर निकाला गया। इस अभियान के तहत ‘भिक्षा नहीं शिक्षा दो’ की मुहिम चलाई गई। आज इनमें से अधिकांश बच्चे स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं।
इस अवसर पर मेयर श्री सुनील उनियाल गामा, विधायक श्री खजानदास, महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती विजया बड़थ्वाल, सचिव श्री विनोद रतूड़ी, श्री एच.सी सेमवाल, डीआईजी गढ़वाल श्रीमती नीरू गर्ग, जिलाधिकारी देहरादून श्री आशीष श्रीवास्तव, एसएसपी देहरादून डॉ. वाई.एस. रावत आदि उपस्थित थे।
एसएसपी डॉ. योगेंद्र सिंह रावत ने जानकारी देते हुए बताया कि बाल मित्र थाना एक बहुत अच्छा कदम है। थानों में आने वाले बच्चे पुलिस से भयभीत न हों इसके लिए वहां पर माहौल बनाया गया है। डालनवाला के बाद सभी जगह इस तरह की व्यवस्था करने की तैयारियां चल रही हैं। इस मौके पर डीआईजी गढ़वाल नीरू गर्ग, डीएम आशीष श्रीवास्तव, एसएसपी योगेंद्र सिंह रावत समेत अन्य अधिकारी कर्मचारी मौजूद रहे।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।