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June 23, 2025

प्रेम की भावना कभी हारने नहीं देती, नफरत की भावना कभी जीतने नहीं देतीः आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं

प्रसिद्ध कथावाचक आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं ने कहा कि प्रेम की भावना कभी हारने नहीं देती, नफरत की भावना कभी जीतने नहीं देती। मानवीय ज़िंदगी तो वास्तव में यह है कि लोग देखते ही खुश हो जाएँ, मिलते ही स्वागत करें, बात करने में आनंद अनुभव करें और संपर्क से तृप्त हो जायें।

देहरादून में सरस्वती विहार विकास समिति अजबपुर खुर्द की ओर से शिव शक्ति मंदिर में आयोजित शिव महापुराण सुनने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। आज दूसरे दिन की कथा में प्रसिद्ध कथावाचक आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं ने कहा कि प्रेम की भावना कभी हारने नहीं देती, नफरत की भावना कभी जीतने नहीं देती। मानवीय ज़िंदगी तो वास्तव में यह है कि लोग देखते ही खुश हो जाएँ, मिलते ही स्वागत करें, बात करने में आनंद अनुभव करें और संपर्क से तृप्त हो जायें। इस प्रकार की मधुर जिंदगी उसी को मिलती है जो मनुष्यता के लक्षण, शिष्टाचार और विनम्रता को अपने व्यवहार में स्थान दे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

शिव क्षेत्र की चर्चा करते हुए ममगाईं ने कहा 50 करोड़ योजन का विस्तार पृथ्वी का है, जहाँ मनुष्य ने लिंग स्थापन किया हो, वहां 100 हाथ तक पुण्य जनक स्थान मानते हैं। जो शिवलिंग ऋषियों ने स्थापित किये हों, वहां 1000 अरन्ति तक पवित्र माना जाता है। देवताओं के द्वारा स्थापित शिवलिंग के चारो ओर 1000 हाथ स्थान पवित्र मानते हैं, व स्वयम्भू कहा जाता है। वहां 1000 धनुष स्थान पवित्र मानते हैं। धनुष का प्रमाण 4 हाथ का एक धनुष होता है। पुण्य क्षेत्र में कुएं बाबड़ी सरोवर ये सब शिव गंगा स्वरूप माने जाते हैं। यहाँ दान व वृक्ष पूजन करने से शिवलोक की प्राप्ति होती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि शिव क्षेत्र में पितृ कर्म सपिंडी कर्म करने से भी मुक्ति हो जाती है। भारतवर्ष ही शिव क्षेत्र माना गया है। यहाँ पर जन्म बड़े पुण्य से मिलता है। मनुष्य देह प्राप्त कर मुक्ति पाने के लिए जप तप की महत्ता बताई गई, लेकिन भारतवर्ष के लोगो मे वैसे ही जप तप का फल प्राप्त हो जाता है। मनुष्य शरीर पाकर एक दूसरे से प्रेम सौहार्द का वातावरण बनाकर रहना ही मनुष्यता है। अंतःकरण की शुद्धि व कर्तब्य बोध होने पर पुण्य पाप दोनों से मुक्ति मिल जाती है। अद्वेत तत्व विशुद्ध चिन्मय आत्मा के बाद प्रभु का साक्षात्कार होता है जीवन मे विषय बिष के समान है। इससे छुटकारा पाने के लिए कथा सत्संग की आवश्यकता होती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं ने कहा कि जब ब्रह्मा जी को अहंकार हुआ था तो उनका सिर भगवान शंकर ने काटकर दुर्भूधि मिटाई। जब सद्बुद्धि हुई तब उन्होंने सृष्टि रचने के लिए विवेकदृष्टि बुद्धि पर सवार होकर सृष्टि सृजन में सफलता प्राप्त की। हंस की तरह क्योंकि हंस नीर क्षीर विवेकी होता है और गुण ग्राही होता है। सुख दुख की चर्चा करते हुए आचार्य ममगाईं ने कहा इनका जन्म बाहर से नही अंदर से होता है। जैसे विचार भावना मन मे हो तमो गुण की प्रधानता दूसरे को दुख देने का भाव तमो गुण होता है। सतो गुण जहां हो, व्यक्ति में तपो भाव सद्गुण सर्व सामर्थ्य आ जाती है। केतकी पुष्प ने असत्य गवाह देकर अपने को पूजा व समाज से दूर किया। पुनः शंकर की प्रीति हुई, पूजा में नही बल्कि सजाव व लेप पर स्थान प्राप्त किया। आदि प्रसंगो पर लोग भाव विभोर हुए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस अवसर पर मंदिर समिति के अध्यक्ष पंचम सिंह बिष्ट, सचिव गजेंद्र भंडारी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष बीएस चौहान, उपाध्यक्ष कैलाश तिवारी, कोषाध्यक्ष विजय सिंह, वरिष्ठ मंत्री अनूप सिंह फर्त्याल, शिव शक्ति मंदिर समिति सयोजक मूर्ति राम बिजल्वाण, सह सयोजक दिनेश जुयाल, प्रचार सचिव सोहन रौतेला, मंगल सिंह कुट्टी, लेखराज सिंह बिष्ट, जय प्रकाश सेमवाल, अनिल गुसाई, दीपक काला, कुलानंद पोखरियाल, किरण सिंह राणा, तिलक रावत, उर्मिला रावत, सारिका, गीता गुसाईं, ऋचा रावत, कर्ण राणा, पुष्कर गुसाईं, सुदेश बाला मित्तल, हेमलता नेगी, उदय नौटियाल, आचार्य सुशान्त जोशी, आचार्य अखिलेश, कैलाश रमोला, नितिन मिश्रा आदि भक्त गण उपस्थित थे।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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