शहीदों के परिजन ही कर रहे सरकार का विरोध, पहले शहीद सम्मान में मिट्टी देने का हुआ विरोध, अब गांधी पार्क में दिया धरना
भले ही सरकार सैनिकों, पूर्व सैनिकों को लेकर बड़ी बड़ी घोषणाएं कर ताली पीटने का काम कर रही हो, लेकिन हकीकत कुछ अलग है। वैसे भी सरकार के विरोध की खबरों को मीडिया की ओर से दबा दिया जाता है

पांच साल से नौकरी के लिए भटक रहे शहीद संदीप सिंह रावत के परिजन इस धरने पर बैठे। इस दौरान उत्तराखंड क्रांति दल (उक्रांद) के कार्यकत्र्ताओं ने धरनास्थल पर पहुंचकर उन्हें अपना समर्थन दिया। उन्होंने इस मामले में सीएम आवास कूच करने की भी चेतावनी दी है। शहीद की मां आशा देवी ने कहा कि राज्य सरकार शहीद के परिवार के साथ ऐसा करेगी, इसकी उम्मीद नहीं थी। परिवार को मजबूर होकर सड़क पर उतरना पड़ा है। उन्होंने कहा कि दुख होता है जब एक शहीद के परिवार को इस तरह से नौकरी के लिए भटकना पड़ता है।
उन्होंने बताया कि सरकार ने उनके परिवार से किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की बात कही थी। इस नौकरी के लिए परिवार पांच साल से भटक रहा है। उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय अध्यक्ष खेल प्रकोष्ठ विरेंद्र सिंह रावत व केंद्रीय अध्यक्ष महिला प्रकोष्ठ प्रमिला रावत ने कहा कि नवादा निवासी संदीप सिंह रावत अक्टूबर 2016 में जम्मू कश्मीर के तंगधार में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए थे। उनके परिवार को नौकरी के लिए चक्कर कटवाकर सरकार उनकी शहादत का अपमान कर रही है।
शहीद के बड़े भाई दीपक सिंह रावत ने नौकरी नहीं मिलने तक आंदोलन जारी रखने की बात कही। इस दौरान मोहन काला, प्रकाश ढौंडियाल, राकेश सिंह, सूरज थापा, मेहरबान सिंह रावत, मीनाक्षी सेमवाल, सृष्टि उनियाल, रूपा यादव,प्रकाश देवी, इंदु देवी, साजन, सजना, तस्लीम, आमना, प्रियंका, आशा रावत आदि उपस्थित रहे।
आप आदमी पार्टी ने लगाए थे ये आरोप
हाल ही में आम आदमी पार्टी ने दावा किया था कि कि वोट की राजनीति के लिए बीजेपी की ओर से निकाली जा रही शहीद सम्मान यात्रा का अब शहीदों के परिजन ही विरोध करने लगे हैं। दावा किया गया कि कई स्थानों पर शहीद के परिजनों ने यात्रा में शामिल लोगों को अपने घर के आंगन की मिट्टी तक नहीं ले जाने दी। आप पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय भट्ट ने प्रेस वार्ता में इस तरह के दावे किए थे। उन्होंने कहा कि एक ओर सैन्य धाम बनाने के नाम पर बीजेपी गांव गांव से शहीदों के आंगन की मिट्टी सैन्य धाम के नाम पर ले रही है, लेकिन दूसरी ओर यही बीजेपी सैनिकों के अपमान पर आमादा है।
उन्होंने कहा कि 2008 में पिथौरागढ के रावलखेत गांव के हवलदार बहादुर सिंह बोहरा देश की सुरक्षा की खातिर शहीद हो गए थे। तब सरकार ने उनके गांव में सडक बनाने का वादा किया था, लेकिन आजतक उनके गांव में सडक नहीं बन पाई। उनके परिजनों ने अपने गांव की मिट्टी बीजेपी कार्यकर्ताओं को नहीं लेने दी। इन लोगों की मांग है कि रावलखेत से मुवानी तक सड़क बनाई जाए। ताकि इन लोगों को गंगोली हाट होते हुए पिथौरागढ बेवजह ना जाना पड़े।
इतना ही नहीं हल्द्वानी के बिन्दुखाता गांव में मरणोपरांत अशोक चक्र सम्मानित शहीद मोहन नाथ गोस्वामी के घर पहुंचे भाजपा नेताओं का शहीद के परिजनों ने मिट्टी उठाने का पुरजोर विरोध किया गया। शहीद के परिवार का कहना था कि सरकार ने उनके शहीद बेटे मोहननाथ गोस्वामी के नाम पर स्टेडियम बनाने, सड़कें बनाने और शहीद की बीवी को सरकारी नौकरी दिये जाने जैसे कई घोषणाएं की थी। जो कि पिछ्ले 6 साल से आज तक अधर में लटकी हैं।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।