लाटू धाम के खुले द्वार, सीएम धामी ने किया श्रद्धालुओं का स्वागत, आंख पर पट्टी डालकर होता है मंदिर में प्रवेश, बरकरार है रहस्य

उत्तराखंड में चमोली जिले के वांण गांव में मां नंदा के भाई लाटू देवता मंदिर के कपाट सोमवार दोपहर डेढ़ बजे विधि विधान से छह माह के लिए श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। पुजारी खीम सिंह ने आंखों पर पट्टी बांधकर मंदिर में प्रवेश किया। इस मौके पर ग्रामीणों ने पारंपरिक झोड़ा, चांछड़ी की प्रस्तुति दी। साथ ही देव नृत्य किया। कपाटोद्घाटन के मौके पर मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी और पूरा क्षेत्र लाटू देवता के जयकारों से गूंज उठा। इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लाटू धाम पहुंचकर पूजा-अर्चना कर देश और राज्य की सुख समृद्धि और कल्याण की कामना की। उन्होंने कपाट खुलने के अवसर पर लाटू धाम पहुंचे सभी श्रद्धांलुओं का स्वागत और अभिनन्दन किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
लाटू मंदिर में पूजा अर्चना के बाद आयोजित सभा में सीएम धामी ने पहलगाम हमले के बाद भारतीय सेना की ओर से की गई कार्रवाई के लिए सैनिकों का अभिनंदन किया। कहा कि उत्तराखंड में चार धाम के साथ-साथ तुंगनाथ, रुद्रनाथ, जागेश्वर, आदि कैलाश, आदिबद्री जैसे अनेकों महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल हैं। इसके साथ ही राज्य के छोटे-छोटे मंदिर राज्य की सांस्कृति परम्पराओं का संरक्षण करते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुख्यमंत्री ने लाटू धाम के ऐतिहासिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्त्व की सराहना करते हुए कहा कि यह मंदिर हमारे हजारों वर्ष पुरानी परंपरा का प्रतीक है। आज का यह कार्यक्रम केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह आस्था, परम्परा और एकता का प्रतीक है। कहा कि लाटू धाम के मंदिर में आँखों में पट्टी बांध कर दर्शन करने कि परम्परा यह दर्शाती है कि आस्था सिर्फ आंखों से नहीं, बल्कि हृदय से होती है। उन्होंने कहा कि हम उत्तराखंड को भारत ही नहीं सम्पूर्ण विश्व की आध्यात्मिक राजधानी बनाना चाहते है। इसके लिए सरकार पौराणिक मंदिरो का जीर्णाेद्धार, सांस्कृतिक धरोहरों कि पहचान कर सरंक्षण करने के साथ ही मंदिरों के आस-पास सुविधाओं का विकास कर रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मुख्यमंत्री ने कहा राज्य के विकास के लिए जहां ऑल वेदर रोड़ का निर्माण किया गया है। वहीं ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का भी तेजी से निर्माण कार्य किया जा रहा है। इसके साथ ही धामों में यात्री सुविधा जुटाने के लिए बदरीनाथ और केदारनाथ धाम में मास्टर प्लान का कार्य किया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार जनहित के लिए कड़े निर्णय ले रही है। कहा कि हमने राज्य की जनता से समान नागरिक सहिंता लागू करने का वादा किया था। इसे सरकार ने निभाया है। इसके साथ ही राज्य में धर्मान्तरण विरोधी कानून, दंगा रोधी कानून और सख्त भू-कानून लाकर भू माफियाओं पर शिकंजा कसने का काम किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जहां लाटू धाम के विकास के लिए योजना बनाकर कार्य करने का आश्वासन दिया। वहीं कुलसारी में उप जिला चिकित्सालय के निर्माण, बाढ़ सुरक्षा कार्य और हेलीपेड निर्माण को लेकर कार्य करने की बात कही। साथ ही उन्होंने स्थानीय जनता को विधायक की सभी मांगों को दीर्घकालीन, मध्यकालीन और अल्प समयावधि की योजनाओं में शामिल करने की बात कही। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस दौरान उन्होंने आगामी 2026 में आयोजित होने वाली माँ नंदा देवी राजजात यात्रा के लिए सड़कों के साथ ही पार्किंग और यात्री सुविधाओं के विकास करने के लिए योजनाबद्ध कार्य करने की भी बात कही। इस दौरान मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन को मां नंदा देवी राजजात यात्रा के आयोजन को लेकर किए जाने वाले कार्यों को योजनाबद्ध और समयबद्ध तरीके से करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राजजात यात्रा के कार्यों को लेकर सभी स्तरों पर लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। सभी के सहयोग से आगामी 2026 में आयोजित होने वाली राजजात यात्रा को भव्य और दिव्य स्वरुप आयोजित किया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस मौके पर थराली के विधायक भूपाल राम टम्टा, कर्णप्रयाग विधायक अनिल, जड़ी-बूटी सलाहाकार समिति के उपध्यक्ष बलबीर घुनियाल, भाजपा जिलाध्यक्ष गजपाल बर्त्वाल, आयोजन समिति के अध्यक्ष कृष्णा सिंह, ब्लॉक प्रशासक दर्शन दानू, पूर्व जिला पंचायत सदस्य कृष्णा सिंह, जिलाधिकारी संदीप तिवारी, पुलिस अधीक्षक सर्वेश पंवार, अपर जिलाधिकारी विवेक प्रकाश सहित अन्य अधिकारी भी मौजूद थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
श्रद्धालुओं के लिए रहस्य है मंदिर के भीतर का नजारा
लाटू मंदिर की खास बात यह है कि मंदिर के अंदर पुजारी आंख पर पट्टी बांधकर पूजा करते हैं। यह मंदिर आज भी श्रद्धालुओं के लिए रहस्य बना है। मंदिर के अंदर क्या है, किसी को पता नहीं है। माना जाता है कि मंदिर में तेज चमक है। ऐसे में आंखों की सुरक्षा की वजह से पट्टी बांधकर जाया जाता है। यहां मंदिर से करीब दस मीटर दूर से श्रद्धालु पूजा-अर्चना करते हैं। वाण के ग्रामीण लाटू देवता को लोग अपने इष्ट के रूप में पूजते हैं। वाण गांव की एक और विशेष परंपरा है। यहां दुल्हन डोली में नहीं बैठती है। यह मां नंदा की भूमि है। यहां से मां नंदा को डोली से कैलाश के लिए विदा किया जाता है। इसलिए दुल्हन डोली में नहीं बैठती है।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।