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December 15, 2024

राज्यकर्मियों की बैठक में मांग मत्र पर की गई चर्चा, शासन के रुख पर जताया असंतोष, फिर दी आंदोलन की चेतावनी

उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी, शिक्षक समन्वय समिति की बैठक में 18 सूत्रीय मांग पत्र पर चर्चा की गई। साथ ही इसे लेकर अब तक के आंदोलन की समीक्षा की गई।

उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी, शिक्षक समन्वय समिति की बैठक में 18 सूत्रीय मांग पत्र पर चर्चा की गई। साथ ही इसे लेकर अब तक के आंदोलन की समीक्षा की गई। सीएम के निर्देश पर 26 नवंबर को समिति की मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव आनंद वर्धन से हुई वार्ता के बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं होने पर असंतोष व्यक्त किया गया। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि सरकार व शासन को एक विरोध पत्र प्रेषित किया जाएगा। इसमें तत्काल निर्णय करने की मांग की जाएगी। चेतावनी दी गई है कि यदि कार्मिकों की भावनाओं के अनुरूप निर्णय नहीं होता तो कर्मचारी आंदोलन स्थगित करने के निर्णय को वापस लेते हुए पुन: आंदोलन की राह पर जाएंगे। बैठक के अंत में सीडीएस जनरल बिपिन रावत एवं प्रदेश के लोकप्रिय नेता हरबंस कपूर के निधन पर शोक व्यक्त किया गया। इस दौारन 2 मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई।
समन्वय समिति के प्रवक्ता अरूण पांडे ने जानकारी दी कि पूर्व में शासन और सरकार की ओर से दिए गए आश्वासनों एवं गोल्डन कार्ड व शिथिलीकरण को लेकर किए गए शासनादेशों के क्रम में समन्वय समिति ने अपने घोषित आंदोलन के कार्यक्रम को स्थगित किया था। इसके बावजूद शासन और सरकार की ओर से समन्वय समिति 18 सूत्री मांग पत्र की अन्य मांगों के निराकरण को लेकर वर्तमान तक कोई भी प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई। इससे प्रदेश के कर्मचारियों में रोष है। उन्होंने बैठक में बताया कि पूर्व में सर्वसम्मति से लिये गये निर्णय अनुसार अपर मुख्य सचिव से उनके सचिवालय स्थित कक्ष में मिलकर सुझाव और प्रस्ताव दिये गये थे। इन पर कार्यवाई लंबित है।
इन पर है कार्रवाई लंबित
(1) राज्य कार्मिकों के लिए 10, 16, 26 वर्ष की सेवा पर पदोन्नति न होने की दशा में पदोन्नति वेतनमान अनुमन्य करते हुए इस व्यवस्था में मिनिस्ट्रीयल संवर्ग एंव वैयाक्तिक सहायक संवर्ग को भी अनिवार्य रूप से सम्मिलित किया जाय। क्योंकि 10, 16, 26 वर्ष पर भी यदि इन कार्मिकों की पदोन्नति नहीं होती है और इनको अन्य कार्मिकों की भांति एमएसीपी का लाभ भी नहीं दिया जाता है तो यह इन कार्मिकों के साथ अन्यायपूर्ण होगा। क्योंकि यदि इन कार्मिकों की पदोन्नति 10, 16, व 26 वर्ष से पूर्व हो जाती है तो स्वत ही इनको एमएसीपी का लाभ अनुमन्य नहीं होगा।
(2)राज्य कर्मिकों के लिए एसजीएचएस स्कीम के अन्तर्गत लागू गोल्डन कार्ड के लिए जारी शासनादेश के अनुरूप प्रदेश एवं प्रदेश से बाहर के समस्त उच्चकोटि के निजि अस्पतालों के साथ राज्य कार्मिकों की चिकित्सा निशुल्क कराने के लिए अनुबन्ध करते हुए उन अस्पतालों की सूची जारी की जाए।
निम्न विसंगतियों का निराकरण किया जाय
1.शिथिलीकरण नियमावली 2015 में दी गयी व्यवस्थानुसार समूह-ग हेतु शिथिलीकरण किये जाने के लिए विभागाध्यक्ष को अधिकृत किया गया था जो आज भी नियमानुसार लागू होती है। परन्तु कतिपय विभागाध्क्षो द्वारा उक्त नियमावली 2021 जारी होने पर नियमावली 2015 को नजरअंदाज करते हुए समूह-ग के प्रकरणों को भी शिथिलीकरण हेतु शासन को भेजने का प्रयास किया जा रहा है। जिस पर नियमावली 2015 के अनुरूप विभागाध्यक्षों को समूह-ग में अपने स्तर से ही शिथिलीकरण व्यवस्था स्वीकृत करने के निर्देश जारी किये जाय।
2.शिथिलीकरण नियमावली 2021 को 30.6.2022 तक ही लागू किया गया जिसे आगे निरन्तर लागू किया जाय।
3.जारी शिथिलीकरण नियमावली 2021 में शिथिलीकरण दिये जाने पर पारस्परिक ज्येष्ठता एंव वेतन सम्बन्धी विंसगति उत्पन्न न होने की शर्त जोड रखी है जिसके कारण यदि वरिष्ठता क्रम में वरिष्ठ कार्मिक शिथिलीकरण व्यवस्था नहीं लेता है तो उससे कनिष्ठ कार्मिकों जो शिथिलीकरण लेना चाह रहे हैं में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है। अतः इसको पूर्व की भांति स्वेछिक करते हुए यदि वरिष्ठ कार्मिक शिथिलीकरण नहीं लेता है और पदोन्नति के पद रिक्त हैं तो कनिष्ठ कार्मिकों को जो शिथिलीकरण लेना चाह रहे हैं उनको वरिष्ठ कार्मिक को छोडते हुए शिथिलीकरण दिये जाने की व्यवस्था लागू की जाय। उदाहरण स्वरूप जिस प्रकार शासन द्वारा पदोन्नति पर फार्गो (राज्यसात) नियमावली में व्यवस्था दी गयी है कि वरिष्ठ कार्मिक द्वारा फार्गो करने पर उससे कनिष्ठ कार्मिक की पदोन्नति की जायेगी।
4.शिथिलीकरण नियमावली 2021 दिनांक 30.6.2022 तक लागू है इसलिए 30.6.2022 तक जो भी कार्मिक पदोन्नति हेतु पात्रता अवधि की शर्त पूरी करते हो तो उनको भी शिथिलीकरण प्रदान करने की व्यवस्था के आदेश निर्गत किये जाय।
(5)मिनिस्ट्रीयल संवर्ग में दिनांक 27.7.2020 को अपर सचिव राधा रतूडी की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिये गये निर्णयानुसार मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के पद पर पात्रता हेतु निर्धारित अवधि कुल 25 वर्ष के स्थान पर कुल 22 वर्ष करने के आदेश शीघ्र जारी किये जाय। वर्तमान में सीधी भर्ती हेतु निर्धारित आयु सीमा 42वर्ष निर्धारित है यदि कोई कार्मिक 40वर्ष में नियुक्त होता है तो वह 20वर्ष बाद ही सेवा निवृत हो जायेगा इसी प्रकार यदि वह 35वर्ष में नियुक्त होता है तो 25वर्ष की सेवा पर सेवा निवृत हो जाएगा, जबकि पदोन्नति के पद रिक्त पड़े हुए हैं। ऐसी स्थिति में पद रिक्त होने पर भी उसकी पदोन्नति न होना किसी भी दशा में न्यायोचित नहीं हो सकता है। अतः चूकि मुख्य प्रशासनिक अधिकारी पदोन्नति का अन्तिम पद है। इसलिए सेवा निवृत से पूर्व मिनिस्ट्रीयल कार्मिक की पदोन्नति के लिए पात्रता अवधि 25वर्ष के स्थान पर 22वर्ष किया जाना न्यायोचित होगा। अतः निर्णयानुसार शीघ्र आदेश जारी किये जाय।
(6)जिन विभागों में अभी तक पुर्नगठन एंव पदोन्नतियां नहीं हो पायी है उनको 15दिवस के अन्दर पदोन्नति आदेश निर्गत करने के सख्त निर्देश देते हुए पदोन्नति न करने वाले विभागाध्यक्षों/अधिकारियों का स्पष्टीकरण मांग कर दोषी अधिकारियों को मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा दिये गये निर्देशों की अनुपालना न किये जाने पर दण्डित किया जाय।
(7)स्थानांन्तरण अधिनियम 2017 में निम्न विसंगतियों का निराकरण किया जाय।
ये दिया गया तर्क
अधिनियम में पारस्परिक स्थानांन्तरण हेतु विभागाध्यक्ष स्तर पर ही किये जाने की स्पष्ट व्यवस्था है इसके बाबजूद भी कही विभागों द्वारा पारस्परिक स्थानांन्तरण हेतु प्रकरण शासन को संदर्भित किये जा रहे हैं जो अधिनियम का उल्लंघन है। अतः दो कर्मिकों के स्वेछा से पारस्परिक स्थानांन्तरण हेतु विभाध्यक्ष स्तर पर ही अधिनियम के अनुरूप स्थानांन्तरण किये जाने के पुनः स्पष्ट दिशा निर्देश कार्मिक अनुभाग द्वारा जारी किये जाय।
-अधिनियम में समूह ख को उसके गृह जनपद एंव समूह ग को उसके गृह तहसील में स्थानांन्तरण न किये जाने की व्यवस्था दी गयी है जो व्यवहारिक नहीं है। अतः इस व्यवस्था को समाप्त किया जाय।
-मृतक आश्रित में नियुक्त कार्मिक की नियुक्ति भी स्थानांन्तरण अधिनियम के अन्तर्गत दुर्गम क्षेत्र में अनिवार्य रूप से की जा रही है जो मृतक आश्रित नियमावली के विपरीत तथा मृतक परिवार के साथ मानवीय दृष्टिकोण से उचित नहीं है। अतः मृतक आश्रित में नियुक्ति स्थानांन्तरण अधिनियम की परिधि से बाहर रखते हुए मृतक आश्रित नियमावली के अन्तर्गत ही नियुक्ति प्रदान करने के निर्देश शासन के कार्मिक अनुभाग द्वारा समस्त विभागाध्यक्षों को दिये जाय।
-सेवा निवृत के दो वर्ष शेष रहने पर कार्मिक को उसके स्वेछिक स्थान पर स्थानांन्तरण/पदोन्नति पर पद स्थापना किये जाने हेतु छूट प्रदान की जाय।
-स्थानांन्तरण अधिनियम प्रदेश के समस्त विभागों हेतु लागू किया गया है जो व्यवहारिक एवं कार्यहित में प्रतीत नहीं होता है। अतः अधिनियम उन्हीं विभागों /संवर्गो हेतु लागू किया जाय जिनकी प्रदेश हित/जनहित में दुर्गम क्षेत्रों में तैनाती की जानी नितान्त आवश्यक हो, तथा उन विभागों में भी अधिनियम शतप्रतिशत लागू किये जाने की व्यवस्था हो ताकि अधिनियम के अनुरूप प्रत्येक कार्मिक को दुर्गम/सुगम का लाभ प्रदान हो सके।
-प्रदेश में पूर्व में तदर्थ रूप से नियुक्त कार्मिकों की विनियमीतिकरण से पूर्व तदर्थ रूप से नियुक्ति की तिथि से सेवाओं को जोडते हुए वेतन/सैलेक्शन ग्रेड/एसीपी/पेंशन आदि समस्त लाभ प्रदान किये जाने के आदेश वित विभाग द्वारा जारी किये जाय।
-इसके अतिरिक्त समन्वय समिति द्वारा मांगी गई थी कि वाहन चालक संघ एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी महासंघ के साथ पूर्व में हुई वार्ता में बनी सहमति के आधार पर कार्यवाही करते हुए उनकी मांग का निराकरण किया जाए एवं तत्काल वेतन विसंगति समिति की रिपोर्ट भी राज्य सरकार को प्रस्तुत की जाए जिससे कि चुनाव आचार संहिता लागू होने से पूर्व उस पर कार्रवाई की जा सके।
ये रहे उपस्थित
बैठक में अरूण पाण्डेय, शक्ति प्रसाद भट्ट, पूर्णानन्द नौटियाल, एचसी नौटियाल, बीएस रावत, दिनेश गुसांई, दिनेश पंत, पीएस बिष्ट ,संदीप मौर्या, निष्कर्ष सिरोही, नाजिम सिद्विकी, हरकेश भारती बनवारी सिंह रावत, चौधरी ओमबीर सिहं एवं दीपचंद बुडलाकोटी आदि कर्मचारी नेता शामिल थे।
चलाया जा रहा है आंदोलन
गौरतलब है कि 18 सूत्रीय मांगों को लेकर उत्तराखंड के कर्मचारियों, शिक्षकों और अधाकारियों ने साझा मंच का गठन किया है। उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति के बैनर तले ही सिलसिलेवार आंदोलन किए जा रहे हैं। आंदोलन के तहत अभी तक गेट मीटिंग, जिला स्तरीय धरने, जिला स्तरीय रैली का आयोजन किया गया है। आंदोलन के चौथे चरण में छह अक्टूबर को देहरादून में प्रदेश स्तरीय हुंकार रैली निकाली गई।
समिति के संयोजक मंडल के प्रवक्ता अरुण पांडे ने बताया कि शासन की वेतन विसंगति समिति की बैठक समिति के साथ 29 सितंबर को हुई थी। इसमें समिति के प्रतिनिधिमंडल ने विभिन्न समस्याओं को वेतन विसंगति समिति के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह के समक्ष बिंदुवार रखा। बैठक में अध्यक्ष की ओर से सार्थक प्रयास का आश्वासन दिया गया। इसके बाद एक अक्टूबर को समन्वय समिति के प्रतिनिधिमंडल की अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी के साथ सचिवालय में मांग पत्र पर विस्तार से वार्ता हुई। इस दौरान अपर मुख्य सचिव ने बिंदुवार चर्चा के दौरान ही कार्मिक विभाग को आवश्यक निर्देश दिए। इस दौरान अपर सचिव ने आंदोलन स्थगित करने का अनुरोध किया था, लेकिन समन्वय समिति ने मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बैठक आयोजित कर समस्त प्रकरणों पर ठोस निर्णय लेने की मांग की। बैठक तय नहीं हुई और इस पर पांच अक्टूबर को हुंकार रैली निकाली गई। कर्मियों ने तय किया था कि 26 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी। तब सीएम से वार्ता के बाद हड़ताल स्थगित कर दी गई थी। अब हड़ताल 22 नवंबर से करने का निर्णय किया गया। इस निर्णय को 21 नवंबर को सीएम से मुलाकात के बाद स्थगित कर दिया गया।
मांग पत्र
1-प्रदेश के समस्त राज्य कार्मिकों/शिक्षकों/निगम/निकाय/पुलिस कार्मिकों को पूर्व की भांति 10, 16, व 26 वर्ष की सेवा पर पदोन्नति न होने की दशा में पदोन्नति वेतनमान अनुमन्य किया जाये।
2-राज्य कार्मिको हेतु निर्धारित गोल्डन कार्ड की विसंगतियों का निराकरण करते हुये केन्द्रीय कर्मचारियों की भांति सीजीएचएस की व्यवस्था प्रदेश में लागू की जाय। प्रदेश एवं प्रदेश के बाहर उच्चकोटि के समस्त अस्पतालों को अधिकृत किया जाये, तथा सेवानिवृत्त कार्मिकों से निर्धारित धनराशि में 50 फीसद कटौती कम की जाये।
3-पदोन्नति हेतु पात्रता अवधि में पूर्व की भांति शिथिलीकरण की व्यवस्था बहाल की जाये।
4-प्रदेश में पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू की जाये।
5-मिनिस्टीरियल संवर्ग में कनिष्ठ सहायक के पद की शैक्षिक योग्यता इण्टरमीडिएट के स्थान पर स्नातक की जाये, तथा एक वर्षीय कम्प्यूटर ज्ञान अनिवार्य किया जाये।
6-वैयक्तिक सहायक संवर्ग में पदोन्नति के सोपान बढ़ाते हुये स्टाफिंग पैर्टन के अन्तर्गत ग्रेड वेतन रु0 4800.00 में वरिष्ठ वैयक्तिक अधिकारी का पद सृजित किया जाये।
7-राजकीय वाहन चालकों को ग्रेड वेतन रु0 2400.00 इग्नोर करते हुए स्टाफिंग पैर्टन के अन्तर्गत ग्रेड वेतन रु0 4800.00 तक अनुमन्य किया जाये।
8-चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों को भी वाहन चालकों की भांति स्टाफिंग पैर्टन लागू करते हुए ग्रेड वेतन रु0 4200.00 तक अनुमन्य किया जाये।
9-समस्त अभियन्त्रण विभागों में कनिष्ठ अभियन्ता (प्राविधिक)/संगणक के सेवा प्राविधान एक समान करते हुए इस विसंगति को दूर किया जायें।
10-विभिन्न विभागीय संवर्गो के वेतन विसंगति/स्टापिंग पैर्टड के प्रकरण जो शासन स्तर पर लम्बित हैं, उनका शीघ्र निस्तारण किया जाये।
11-जिन विभागों के ढांचे का पुर्नगठन/एकीकरण शासन स्तर पर किया जाना प्रस्तावित हैं उन विभागों के पूर्व स्वीकृत पदों में कटौती न की जाये, ताकि कार्मिको के पदोंन्नति के अवसर बाधित न हों
12-राज्य सरकार द्वारा लागू एसीपी/एमएसीपी के शासनादेश में उत्पन्न विसंगति को दूर करते हुये पदोन्नति हेतु निर्धारित मापदण्डों के अनुसार सभी लेवल के कार्मिकों के लिये 10 वर्ष के स्थान पर 05 वर्ष की चरित्र पंजिका देखने तथा अति उत्तम के स्थान पर उत्तम की प्रविष्टि को ही आधार मानकर संशोधित आदेश शीघ्र जारी किया जाये।
13-जिन विभागों का पुर्नगठन अभी तक शासन स्तर पर लम्बित है, उन विभागों का शीघ्र पुनर्गठन किया जाये।
14-31 दिसम्बर तथा 30 जून को सेवानिवृत्त होने वाले कार्मिकों को 06 माह की अवधि पूर्ण मानते हुये एक वेतन वृद्धि अनुमन्य कर सेवानिवृत्ति का लाभ प्रदान किया जाये।
15-स्थानान्तरण अधिनियम-2017 में उत्पन्न विसंगतियों का निराकरण किया जाये।
16-राज्य कार्मिकों की भांति निगम/निकाय कार्मिकों को भी समान रूप से समस्त लाभ प्रदान किये जाये।
17-तदर्थ रूप से नियुक्त कार्मिकों की विनियमितिकरण से पूर्वतदर्थ रूप से नियुक्ति की तिथि से सेवाओं को जोड़ते हुये वेतन/सैलेक्शन ग्रेड/ए0सी0पी0/पेंशन आदि समस्त लाभ प्रदान किया जाये।
18-समन्वय समिति से सम्बद्ध समस्त परिसंघों के साथ पूर्व में शासन स्तर पर हुई बैठकों में किये गये समझौते/निर्णयो के अनुरूप शीघ्र शासनादेश जारी कराया जाये।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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