जिस निर्णय पर धामी सरकार लूट रही वाहवाही, कुछ और निकली उसकी हकीकत
आंदोलनरत थे एमबीबीएस इंटर्न
राज्य के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस इंटर्न स्पाइपेंड में वृद्धि को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहे थे। उनकी सुध सरकार ने नहीं ली। उनका कहना था कि उन्हें कोरोना महामारी जैसी ड्यूटी में तो लगाया जा रहा है, लेकिन उत्तराखंड में इंटर्न्स को मिलने वाला स्टाइपेंड बहुत ही मामूली है। दूसरे राज्यों में ये 17500 रुपये से लेकर 25 हजार रुपये तक दिया जा रहा है। इस मामले में आंदोलन को समर्थन देने के लिए कुछ विपक्षी दलों के नेता भी पहुंचे। इसके बावजूद सरकार की ओर से कोई सुनवाई नहीं की गई।
अब सरकार ने लिया ये निर्णय
उत्तराखंड सरकार की ओर से 18 जुलाई को बताया गया है कि राज्य के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस इन्टर्न के स्टाईपेंड में वृद्धि कर दी गई है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने वर्तमान स्टाईपेंड की दर रूपये 7500 प्रतिमाह से बढ़ाकर रूपये 17,000 करने की स्वीकृति प्रदान कर दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी के प्रभाव को कम करने तथा पीड़ितों को त्वरित उपचार एवं आवश्यक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने में हमारे चिकित्सकों एवं पेरामेडिकल स्टॉफ का सराहनीय योगदान रहा है।
ये है हकीकत, सरकार के इस श्रेय पर उठाए सवाल
राज्य आंदोलनकारी, डीएवी कॉलेज छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष एवं आप नेता रविंद्र जुगरान ने उच्च न्यायालय हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। रवीन्द्र जुगरान ने कोरोना की तीसरी संभावित लहर की आशंका के चलते 18 वर्ष से कम उम्र तक के बच्चों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं, ढांचा, ऑक्सीजन सिलेंडर, वेंटीलेटर, बच्चा वार्ड बनाने के लिए जनहित याचिका दायर की थी।
सात जुलाई जुलाई को सुनवाई के दौरान रवीन्द्र जुगरान के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने इंटर्न डाक्टरों को कम मिलने वाले सटाईफंड का उल्लेख न्यायालय के समक्ष किया व अन्य राज्यों का हवाला देते हुए बताया कि अन्य राज्यों में लगभग 17,500 सटाईफंड दिया जा रहा है। वहीं, उत्तराखंड में केवल 7,500 रुपये प्रतिमाह दिया जा रहा है। तत्पश्चात हाईकोर्ट की बैंच ने राज्य सरकार को इस विषय का संज्ञान लेते हुए इस पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने के लिए कहा। साथ ही सरकार से इस विषय पर 26 जुलाई तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा। इस मामले में अगली सुनवाई 28 जुलाई को होनी निश्चित हुई है। हाईकोर्ट के दखल के बाद ही अब मानदेय में 7500 से 17,000 की वृद्धि की गई है। याचिकाकर्ता रवीन्द्र जुगरान ने कहा है कि सरकार फालतू में इसका श्रेय ना ले। सरकार को कोर्ट के दिशा निर्देश के बाद यह निर्णय लेना पड़ा।
कोर्ट के दखल के बाद पलटे कई निर्णय, फिर लूटी वाहवाही
ऐसा पहली बार नहीं है कि हाईकोर्ट के दखल के बाद सरकार ने फैसले पलटे हों। कुंभ यात्रा के दौरान भी हाईकोर्ट ने हरिद्वार में 50 हजार कोरोना टेस्ट हर दिन कराने को कहा था। इसके बाद चारधाम यात्रा शुरू करने का सरकार को फैसले पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। यही नहीं कांवड़ यात्रा के संबंध में सरकार ने हाईकोर्ट में शपथ पत्र दिया कि कांवड़ यात्रा नहीं कराई जा रही है। साथ ही सरकार चारधाम यात्रा मामले को लेकर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। इस बीच यूपी ने कांवड़ यात्रा शुरू कराने का फैसला लिया तो उत्तराखंड में भी इस पर विचार की बात चलने लगी। वहीं, सुप्रीम कोर्ट का सख्त रूख देखते हुए सरकार को फिर दोबारा से कांवड़ यात्रा स्थगित करने की घोषणा करनी पड़ी और इसका श्रेय भी लिया जा रहा है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।