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December 15, 2024

विजयदशमी के दिन तय होगी श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि, अन्य धामों के दिन पहले से तय

विश्व प्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि कल शुक्रवार विजयदशमी के दिन विधि-विधान पंचाग गणना के पश्चात तय की जायेगी।

विश्व प्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि कल शुक्रवार विजयदशमी के दिन विधि-विधान पंचाग गणना के पश्चात तय की जायेगी। उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि शीतकाल के लिए श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि प्रत्येक यात्रा वर्ष विजय दशमी के दिन तय की जाती है। कल विजय दशमी को श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि की घोषणा के अलावा पंच पूजाओं का कार्यक्रम, श्री उद्धव जी एवं कुबेर जी के पांडुकेश्वर आगमन तथा श्री आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी के श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ आने का कार्यक्रम भी घोषित होगा। साथ ही आगामी यात्राकाल 2022 के लिए हक हकूकधारियों को पगड़ी भेंट की जायेगी।
इस अवसर पर रावल ईश्वरीप्रसाद नंबूदरी, देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी. डी.सिंह, धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल, सुनील तिवारी,राजेंद्र चौहान, गिरीश चौहान, कृपाल सनवाल सहित वेदपाठी एवं आचार्य गण, हकहकूकधारी, तीर्थयात्रीगण, पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारी मौजूद रहेंगे। बताया कि परंपरागत रूप से श्री केदारनाथ धाम एवं श्री यमुनोत्री मंदिर के कपाट भैया दूज को बंद हो जाते हैं। श्री केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट भैयादूज के अवसर इस यात्रा वर्ष 6 नवंबर को बंद हो जायेंगे। वहीं, श्री गंगोत्री मंदिर के कपाट गोवर्धन पूजा अन्नकूट पर्व के अवसर पर प्रत्येक वर्ष शीतकाल के लिए बंद होते है। इस वर्ष श्री गंगोत्री धाम के कपाट 5 नवंबर को शीतकाल हेतु बंद हो जायेंगे।
इसी तरह द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर जी एवं तृतीय केदार तुंगनाथ जी के कपाट बंद होने की तिथि तथा डोली यात्रा कार्यक्रम तथा श्री मद्महेश्वर मेला की तिथि भी कल विजयदशमी के अवसर पर श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में तय होगी। इस अवसर पर वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल, पुजारी शिवशंकर लिंग, गंगाधर लिंग, वेदपाठी यशोधर मैठाणी, प्रेमसिंह रावत, विदेश शैव मौजूद रहेंगे।प्राप्त जानकारी से शीतकाल हेतु चतुर्थ केदार रुद्रनाथ जी के कपाट बंद होने की तिथि श्री गोपीनाथ मंदिर गोपेश्वर में तय की जाती है।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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