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March 12, 2025

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिया जवाब, कोरोना से जान गंवाने वालों के परिजनों को नहीं दे सकते चार लाख रुपये

केंद्र सरकार ने कहा है कि कोरोना से जान गंवाने वाले परिवारों को 4 लाख का मुआवजा नहीं दिया जा सकता है। आपदा प्रबंधन कानून के तहत अनिवार्य मुआवजा केवल प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, बाढ़ आदि पर ही लागू होता है।

भारत सरकार ने कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को चार लाख रुपये का मुआवजा देने में असमर्थता जाहीर की। इस संबंध में दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इसे लेकर केंद्र सरकार ने जवाब दिया है। केंद्र सरकार ने कहा है कि कोरोना से जान गंवाने वाले परिवारों को 4 लाख का मुआवजा नहीं दिया जा सकता है। आपदा प्रबंधन कानून के तहत अनिवार्य मुआवजा केवल प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, बाढ़ आदि पर ही लागू होता है। एक बीमारी के लिए अनुग्रह राशि देना और दूसरी के लिए इसे अस्वीकार करना अनुचित होगा। सभी कोरोना पीड़ितों को मुआवजे का भुगतान राज्यों के वित्तीय सामर्थ्य से बाहर है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 24 मई को कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण जान गंवाने वाले लोगों के परिवार को चार लाख रुपये अनुग्रह राशि दिए जाने का अनुरोध करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की थी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मामले को लेकर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। दरअसल, कोर्ट ने कोविड-19 से मरने वालों के डेथ सर्टिफिकेट जारी करने के लिए समान नीति की मांग वाली याचिका पर सरकार से सवाल किया कि क्या कोरोना से पीड़ित लोगों के लिए कोई एक समान पॉलिसी है।
इस याचिका में केंद्र और राज्यों को आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत संक्रमण के कारण जान गंवाने वाले लोगों के परिवार को चार लाख रुपये अनुग्रह राशि देने का अनुरोध किया गया है। अब सुप्रीम कोर्ट मामले में सोमवार को सुनवाई करेगा।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामें में कहा कि कोरोना के प्रसार और प्रभाव के कारण प्राकृतिक आपदाओं के लिए मुआवजे को लागू करना उचित नहीं होगा। इसे कोरोना महामारी पर लागू नहीं किया जा सकता है। केंद्र और राज्य पहले ही टैक्स राजस्व में कमी और स्वास्थ्य खर्च में वृद्धि के कारण गंभीर वित्तीय दबाव में हैं। अनुग्रह राशि देने के लिए संसाधनों का उपयोग महामारी के खिलाफ कार्यवाही और स्वास्थ्य व्यय को प्रभावित कर सकता है। ये अच्छा करने की बजाय नुकसान का कारण बन सकता है। महामारी के कारण 385000 से अधिक मौतें हुई हैं, जिनके और भी बढ़ने की संभावना है।
केंद्र ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के पहले के फैसले ही कहते हैं कि नीतिगत मामलों को कार्यपालिका पर छोड़ देना चाहिए और अदालत कार्यपालिका की ओर से निर्णय नहीं ले सकती। कोरोना पीड़ितों के लिए डेथ सर्टिफिकेट पर केंद्र ने कहा कि कोविड से हुई मौतों को मृत्यु प्रमाणपत्रों में कोविड मौतों के रूप में प्रमाणित किया जाएगा। कोविड मौतों को प्रमाणित करने में विफल रहने पर प्रमाणित करने वाले डॉक्टरों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

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