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August 5, 2025

परिजनों से कहा-कर दिया अंतिम संस्कार, सवा साल से अस्पताल की मोर्चरी में सड़ रहे थे दो कोविड मरीजों के शव

याद कीजिए कोरोना की पहली लहर के शुरुआती दिन। जब कोरोना मरीज को हाथ लगाने में भी लोग डर रहे थे। मौत होने पर परिजनों को शव देने की बजाय पुलिस या प्रशासन की टीम अंतिम संस्कार कर रही थी।

याद कीजिए कोरोना की पहली लहर के शुरुआती दिन। जब कोरोना मरीज को हाथ लगाने में भी लोग डर रहे थे। मौत होने पर परिजनों को शव देने की बजाय पुलिस या प्रशासन की टीम अंतिम संस्कार कर रही थी। इस अवधि के दो ऐसे मामले अब सामने आए, जिसमें परिजनों से कहा गया कि मृतक का अंतिम संस्कार कर दिया गया। इसके विपरीत अंतिम संस्कार नहीं किया गया और दोनों मृतकों के शव पिछले सवा साल से अस्पताल की मोर्चरी में सड़ रहे थे।
घटना कर्नाटक के बेंगलुरु शहर की है। साथ ही इस घटना से सरकारी महकमे के काम करने के तौर तरीकों पर सवाल उठने लाजमी हैं। सवा साल बाद दो लाशें सड़ी गली हालत में बेंगलुरु के ईएसआइ अस्‍पताल के शवगृह में मिली। इन दोनों की मौत कोरोना की पहली लहर के दौरान पिछले साल जुलाई माह में हुई थी। महानगर पालिका की लापरवाही देखिए कि उसने दोनों का अंतिम संस्कार किए बिना ही घरवालों के सामने अंतिम संस्कार की पुष्टि कर दी। वहीं, दोनों शव मोर्चरी में गलते रहे। दो कोविड मरीज़ों के शवों के साथ लापरवाही के इस गंभीर मामले को लेकर परिजनों ने नाराजगी जताई है। इन शवों का अंतिम संस्कार उन्हें करना है, लेकिन इनके अंतिम संस्कार की पुष्टि महानगर पालिका ने पहले ही कर दी थी।
एक मृतक की बहन ने कहा कि-मेरे भाई की की मौत कोविड-19 से हुई थी। इसलिए उन्होंने पार्थिव शरीर हमें नहीं दिया हम घर वापस आ गए। बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) ने हमें बताया कि अंतिम संस्कार उनका कर दिया गया है। 15 महीनों बाद अब बीबीएमसी की तरफ से कॉल आया था और बताया गया कि उनका अंतिम संस्कार नहीं हुआ है। पिछले साल जुलाई में कोविड से मौत के बाद दुर्गा और मुनिराजु के पार्थिव शरीर ESI अस्पताल के शवगृह में रखे रहे। साफ सफाई के दौरान जब पिछले हफ्ते इनका पता चला तब हड़कंप मचा। इस पर ईएसआइ ने जांच के आदेश दिए। परिवार वालों को अब भी यकीन नही हो रहा है।
मुनिराजु की बेटी चेतना कहती हैं कि-इन्होंने कहा है कि आगे का सारा काम ये ही लोग देख लेंगे। जब तक ये खत्म नहीं होता हम यहीं रहेंगे। हमारे लिए शव को ले जाने के लिए कुछ नहीं बचा है। हमारे दूसरे रिश्तेदार भी यहां आ रहे हैं। इन लोगों की लापरवाही से हम बहुत दुःखी हैं हमें न्याय चाहिए। हालत यह है कि शव बुरी तरह से गल चुके हैं, ऐसे में इनका पोस्टमॉर्टम करना भी किसी चुनोती से कम नहीं है। सीधे तौर पर लापरवाही अस्पताल प्रशासन के साथ साथ महानगर पालिका की है।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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