उत्तराखंड भाजपा में सार्वजनिक हो रही नेताओं की लड़ाई, दूसरे विधायकों को पार्टी में लाने से और बढ़ सकती है खींचतान, पढ़िए हालिया विवाद
उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव जैसे जैसे निकट आ रहे हैं, भाजपा के लिए अपना कुनबा संभालना भारी पड़ता दिख रहा है। पार्टी के नेताओं के बीच ही आपसी खींचतान चल रही है।
उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव जैसे जैसे निकट आ रहे हैं, भाजपा के लिए अपना कुनबा संभालना भारी पड़ता दिख रहा है। पार्टी के नेताओं के बीच ही आपसी खींचतान चल रही है। आरोप प्रत्यारोपों के जरिये पार्टी की छवि बिगड़ रही है। वहीं, अब दूसरे विधायकों को पार्टी में शामिल कराने को लेकर भी कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ने की सूचना है। कारण ये है कि अभी तक जहां भाजपा के विधायक नहीं थे, वहां से निर्दल या कांग्रेस विधायकों को पार्टी में शामिल कराया जा रहा है। ऐसे में इन सीटों पर पहले से चुनाव की तैयारी कर रहे भाजपा कार्यकर्ताओं में असंतोष पनप रहा है। वहीं, भाजपा मंत्री हरक सिंह रावत और पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ और क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं के बीच विवाद लगातार सार्वजनिक हो रहे हैं। ऐसे ही विवाद रुड़की में, देहरादून में धर्मपुर विधानसभा में भी सामने आए हैं।दूसरे दलों से आए नेताओं से नहीं बनता है कार्यकर्ताओं की तालमेल
भाजपा में दूसरे दलों से आए नेताओं से कार्यकर्ताओं की पटरी मेल नहीं खाती है। पूर्व में हरीश रावत सरकार से बगावत करके कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए हरक सिंह रावत, उमेश शर्मा काऊ सहित तमाम ऐसे नेताओं को भाजपा कार्यकर्ता सम्मान नहीं देते हैं। हालांकि इससे पहले सतपाल महाराज भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे, उनके साथ ही अन्य कांग्रेस कलचर से जुड़े नेताओं को पार्टी संगठन में कोई तवज्जो तक नहीं दी गई। मौका देखकर कार्यकर्ता इन नेताओं के खिलाफ समय समय पर मोर्चा खोलते रहते हैं।
अब नए विधायकों से भी बढ़ेगी परेशानी
हाल ही में उत्तरकाशी जिले की सुरक्षित सीट पुरोला विधानसभा से कांग्रेस विधायक राजकुमार दिल्ली भाजपा कार्यालय में आयोजित एक समारोह में भाजपा में शामिल हो गए। राजकुमार पहले भाजपा में ही थे और असंतुष्ट होकर कांग्रेस में चले गए थे। इससे पहले भाजपा ने निर्दलीय विधायक प्रीतम पंवार को भाजपा में शामिल कराया था। हालांकि प्रीतम निर्दलीय विधायक हैं, मगर पिछली कांग्रेस सरकार में वह मंत्री रहे हैं। अब छात्र राजनीति से निकले युवा नेता राम सिंह कैड़ा के भाजपा में शामिल होने की चर्चा है। केड़ा कांग्रेस से जुड़े रहे। राजनीतिक महत्वाकांक्षा जताते हुए भीमताल क्षेत्र से 2017 में पार्टी से टिकट भी मांगा। टिकट नहीं मिला तो बगावत कर दी। मोदी लहर के बीच कैड़ा निर्दलीय विधायक चुन लिए गए। जीत के बाद से ही वह भाजपा के एसोसिएट सदस्य हो गए। तब से वह भाजपा के लिए सहयोगी ही नजर आए हैं। अब 2022 के चुनाव आते-आते कैड़ा के भी भाजपा में जाने को चर्चा जोर पकड़ गई है।
बढ़ रहा असंतोष
अब इन विधायकों वाली सीटों में आगामी चुनावों के लिए पहले से तैयारी कर रहे कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ रह है। एक भाजपा समर्थित मीडिया से जुड़े व्यक्ति ने तो इस संबंध में अपनी फेसबुक वाल में पोस्ट डालकर अपनी पीड़ा भी उजागर की। पोस्ट में ऐसे लोगों को पार्टी में शामिल कराने का कड़ा विरोध किया गया। साथ ही कार्यकर्ताओं को ही आगे बढ़ाने के सुझाव दिए। वहीं, अब बड़े नेताओं के बीच विवाद सामने आने लगे हैं।
हरक सिंह और त्रिवेंद्र के बीच विवाद
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को लेकर कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के ताजा बयान ने भाजपा में नया तूफान ला दिया है। रविवार को मीडिया से बातचीत में हरक ने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उन्हें ढैंचा बीज घोटाला मामले में त्रिवेंद्र की गिरफ्तारी को कहा था। हरक उस वक्त हरीश रावत सरकार में कृषि मंत्री थे। हरक ने कहा कि उन्होंने तब हरीश रावत की बात न मानकर त्रिवेंद्र को जेल जाने से बचाया। अगर तब त्रिवेंद्र जेल जाते तो भला मुख्यमंत्री कैसे बन पाते।
वहीं, हरक पर पलटवार करते हुए सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि हरक सिंह रावत तो कुछ भी बोलते रहते हैं। उन्हें हरक की बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता। हरीश रावत पर निशाना साधते हुए त्रिवेंद्र ने कहा कि हरीश रावत जब दिल्ली एम्स में भर्ती थे, तो उन्होंने ढैंचा बीज मामले की फाइल अपने सिरहाने दबाए रखी। तब उन्होंने कहा कि हरीश रावत इस फाइल की फोटो स्टेट कराकर सचिवालय के चारों ओर चिपका दें। जनता खुद फैसला कर लेगी कि ढैंचा बीज मामले में कोई भ्रष्टाचार हुआ या नहीं। गौरतलब है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत और हरक सिंह रावत के रिश्तों में खासी तल्खी है। पिछले वर्ष अक्टूबर में सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद से हरक सिंह रावत को हटाए जाने के बाद दोनों के बीच छिड़ी रार सार्वजनिक हो गई थी। अब इस प्रकरण ने भाजपा के समक्ष नई परेशानी खड़ी कर दी है।
विधायक उमेश शर्मा काऊ और कार्यकर्ताओं का विवाद
रायपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक उमेश शर्मा काऊ का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें उनकी कार्यकर्ताओं के साथ तू-तू मैं-मैं देखने को मिली। बीती चार सितंबर को रायपुर विधानसभा क्षेत्र में सीएम के कार्यक्रम के शुरू होने से पहले रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ और एक भाजपा कार्यकर्ता के बीच जोरदार नोकझोंक हो गई थी। इस दौरान विधायक ने औकात दिखाने तक की बात कह दी। वहीं, कार्यकर्ताओं के रवैये से नाराज विधायक उमेश शर्मा काऊ दिल्ली दरबार तक चले गए और उन्होंने कार्यकर्ताओं के रवैये की शिकायत की थी। इस मामले में काऊ के समर्थन में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और सतपाल महाराज भी खड़े नजर आए। इससे पहले भी उमेश काऊ के खिलाफ रायपुर क्षेत्र के कार्यकर्ता समय समय पर नारेबाजी करते रहे हैं। वहीं, उमेश शर्मा और कार्यकर्ताओं के बीच हुई झड़प की भाजपा के प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार जांच कर रहे हैं। जल्द ही इस मामले में कार्रवाई की संभावना है। इसमें विधायक के खिलाफ भी एक्शन लिया जा सकता है।
पंचायत प्रतिनिधियों ने खोला मोर्चा
अपनी ही पार्टी के कार्यकर्त्ताओं के एक धड़े की ओर से खुलकर विरोध किए जाने के बाद अब क्षेत्र के पंचायत प्रतिनिधियों ने रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने बैठक आयोजित कर विधायक के रवैये पर कड़ी नाराजगी जताई है। मालदेवता के एक फार्म में रविवार 12 सितंबर को बैठक आयोजित की गई, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के पंचायत प्रतिनिधियों के साथ बड़ी संख्या में स्थानीय ग्रामीण भी शामिल हुए। बैठक में रायपुर विधायक के ग्रामीणों और पंचायत प्रतिनिधियों के साथ दुर्व्यवहार पर कड़ी आपत्ति जताई गई। बैठक में उन्होंने कहा कि विधायक उनके साथ अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
विधायक विनोद चमोली से भी कार्यकर्ता नाराज
देहरादून में धर्मपुर विधायक विनोद चमोली के खिलाफ भी बगावत देखने को मिली। चुनाव से ठीक पहले धर्मपुर विधानसभा में कार्यकर्ताओं ने विधायक विनोद चमोली के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। श्यामा प्रसाद मुखर्जी मंडल की अध्यक्ष पूनम ममगाईं समेत तीन ने विधायक के रवैये से नाराज होकर अपना इस्तीफा महानगर अध्यक्ष सीताराम भट्ट को सौंप दिया है। श्यामा प्रसाद मुखर्जी मंडल अध्यक्ष पूनम ममगाईं के साथ ही मंडल उपाध्यक्ष अनुज वालिया और महामंत्री जितेंद्र रावत ने भी दिया अपना इस्तीफा सौंपा है। उन्होंने विधायक चमोली पर कार्यकर्त्ताओं से अभद्रता करने का आरोप लगाया है। उनका ये भी कहना है कि विधायक महिलाओं का सम्मान नहीं करते हैं और उनके चरित्र पर गलत टिप्पणी भी करते हैं।
रुड़की में भिड़े थे विधायक समर्थक और मेयर
भाजपा में चल रहा घमासान के बीच हाल ही में रुड़की में भी कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद की उपस्थिति में एक कार्यक्रम में महापौर और झबरेड़ा से भाजपा के विधायक देशराज कर्णवाल के समर्थकों के बीच मंच पर जमकर बवाल हुआ। बीच-बचाव को पहुंचे जिलाध्यक्ष डा. जयपाल सिंह चौहान से भी उनकी तीखी नोकझोंक हुई। इस दौरान यतीश्वरानंद मूक दर्शक बने रहे। बाद में पुलिस के हस्तक्षेप से मामला शांत हुआ। इसके बाद आधे घंटे में कार्यक्रम का समापन भी कर दिया गया।
कार्यक्रम शुरू ही हुआ था कि झबरेड़ा के विधायक देशराज कर्णवाल के प्रतिनिधि और पार्षद सतीश शर्मा समर्थकों के साथ पहुंचे। शर्मा ने आरोप लगाया कि महापौर के इशारे पर प्रतिमा के नीचे लगाए गए शिलापट पर महापौर का नाम विधायक कर्णवाल से ऊपर लिखा गया है। उन्होंने इसे विधायक का अपमान करार दिया। इस पर महापौर गौरव गोयल ने विरोध किया तो दोनों के बीच तीखी नोकझोंक शुरू हो गई। मंच का संचालन कर रहे भाजपा के जिला महामंत्री आदेश सैनी ने दोनों पक्षों को शांत कराने की कोशिश की, लेकिन कोई भी सुनने को तैयार नहीं हुआ। इस बीच जिलाध्यक्ष डा. चौहान ने विधायक समर्थकों को रोकने की कोशिश की तो समर्थक उनसे भी भिड़ गए थे।





