लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी के जन्मदिवस की शुभकामना को लेकर विजय प्रकाश रतूड़ी की कविता-गीत आपके यों ही गूंजें
गीत आपके यों ही गूंजें।।
जन्मदिवस की शुभकामना,
मेरी भी श्री नेगी जी को।
निपट डालडे के बीच सुशोभित,
शुद्ध महकते देशी घी को।
गीत पहाड़ी,गढ गौरव को,
गढ भाषा के उस सौरभ को।
गढ पूजक उस भड़ पूजक को,
सौन्दर्य शास्त्र के उद्घोषक को।
नन्हीं बेटी स्नेह सिंचक को,
नन्दा देवी कथा कहक को।
पेड़ मिट्टी के रक्षक को,
वसंत सलौनै के वर्णक को।
सौंण कुरेडी के चित्रक को,
विविध भाव के उस मित्रक को।
भेना स्याली प्रेम अनूठा,
प्रेम पूर्ण पर पाप कहीं ना।
श्रृंगार बिछाया जिसने ऐसा,
देव प्रेम लिखा हो जैसा।
केवल खुशबू जिसने बांटी,
शब्दों से कीचड़ सब छांटी।
खुद गाता धुन खुद ही बनाता,
स्वयं सजाता, स्वयं बजाता।
मधुर धुनों के उस धुनकर को,
प्रेमाखर के उस बुनकर को।
देता हूं शब्दों के गुच्छे,
बिन कीमत जो मन के गूंथे।
स्वस्थ सानन्द रहें नेगी जी,
गीत आपके यों ही गूंजें।
कवि का परिचय
नाम-विजय प्रकाश रतूड़ी
प्रधानाध्यापक राजकीय प्राथमिक विद्यालय ओडाधार, विकासखंड भिलंगना, जनपद टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।