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August 26, 2025

शिक्षिका उषा सागर की कविता-नारी, नारी में भेद क्यों?

शिक्षिका उषा सागर की कविता-नारी, नारी में भेद क्यों?

नारी, नारी में भेद क्यों?

एक ही ईश्वर ने बनाया जब नारी को
फिर तुमने क्यों भेदभाव किया
एक का तन ढककर तुमने
दूसरी का चीर क्यों हरण किया
किसी को छिपा पर्दे में तुमने
किसी को निर्वस्त्र कर किया अपमान
किया किस तरह तुमने
ईश्वर की रचना का अपमान
नारी ने ही तुमको जन्म दिया
सौंप दिया सारा संसार
शूद्र समझ नारी का कर अपमान
हुई होगी जननी भी तो शर्मशार
यों तो त्रावणकोर में
हर नारी का अपमान हुआ
किंतु शूद्र नारी पर ही क्यों
भारी अत्याचार हुआ
वाह रे समाज तेरा भी जवाब नहीं
किया अत्याचार तुमने जाति भेदकर
दिखा दिया सभी को अपना रुबाब कहीं
नारी की लज्जा को तुमने छीनकर
क्या उसने कोई अपराध किया
अपना स्तन, तन ढककर
क्यों न स्वीकार किया गया उसे
नारी का सम्मान समझकर
धन्य थी तुम सखी नगेली
दिया तुमने अपना बलिदान
त्रावनकोर की शूद्र महिलाएं
तुमसे ही पा सकी सम्मान

कवयित्री का परिचय
उषा सागर
सहायक अध्यापक
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय गुनियाल
विकासखंड जयहरीखाल, जिला पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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