शिक्षिका उषा सागर की कविता-वतन की शान वीर जवान
विवाह के बंधन में
छोड़ गए चन्द दिवस बाद उसे
रोते बिलखते क्रन्दन में।।
सजा जिसका श्रृंगार तुम्हीं से
वो श्रृंगार विहीन हुई
मातृभूमि का श्रृंगार बचाने
खुद की दुनिया वीरान हुई।।
मातृभूमि की रक्षा में
हर मां ने बेटा कुर्बान किया
धन्य हैं वे सुहागनें
जिसने सर्वस्व बलिदान किया।।
मां की गोद सूनी हुई
पत्नी का श्रृंगार गया
नन्हे मासूमों की दुनिया से
पिता का प्यार दुलार गया।।
गर्व हमें है उन बेटों पर
जो सरहदों पर डटे रहे
धिक्कार है उस जीवन को
जो इनका अपमान करे।।
देश का मस्तक ऊंचा है
जब तक सरहदों पर उनका पहरा है
मातृभूमि पर मर मिटने का
उनमें जज्बा गहरा है।।
कोटि-कोटि प्रणाम, उन वीरों को
प्रहरी बन जो डटे रहे
शत्रु पक्ष से लोहा लेने
सीना ताने खड़े रहे।।
भूल न जाना शहादत इनकी
हम सबका ए अभिमान हैं
सम्मान करो सब मिलकर इनका
ए अपने वतन की शान हैं
ए अपने वतन की शान हैं।।
जय हिन्द
वन्देमातरम
कवयित्री का परिचय
उषा सागर
सहायक अध्यापक
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय गुनियाल
विकासखंड जयहरीखाल, जिला पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।