शिक्षिका उषा सागर की कविता- जो नारी का सम्मान न करे

वो नर, नारी विहीन रहे
न कोई कहे पति उसे
न कोई पुत्र कहे
न मिले भगिनी उसे
सदा कलाई सूनी हो
घर आंगन की खुशियां बेटी
कभी न घर उसके आनी हों
मां, पत्नी, भगिनी, सुता
बिन सदा वह दीन रहे
जो नारी का सम्मान न करें
वो नर, नारी विहीन रहें
माता को न मिले सम्मान
पत्नी का हो तिरस्कार जहां
बहिन बेटी को भी न मिले
प्यार और सम्मान जहां
मिलेगी जगह उस नर को
नरक के सिवाय और कहां
कभी न उसके आंगन में
कोई भी बहार रहे
जो नारी का सम्मान न करें
वो नर, नारी विहीन रहें
नारी ही लक्ष्मी कहलाती
घर का साज श्रृंगार वही
नारी अन्नपूर्णा होती है
सबके सुख का आधार वही
जिसे न कभी भान हो इसका
खाली सदा उसका भंडार रहे
जो नारी का सम्मान न करें
वो नर नारी विहीन रहें
कवयित्री का परिचय
उषा सागर
सहायक अध्यापक
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय गुनियाल
विकासखंड जयहरीखाल, जिला पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।