शिक्षक श्याम लाल भारती की कविता-मेहनत करना सीख ले
जीना है यदि इस जीवन में तो,
आंसू बहाना छोड़ दे।
पथ पर आगे बढ़ना है यदि तो,
कुछ मेहनत करना सीख ले।।
यदि हौंसले हैं तनिक भी तुझमें,
काँटों भरी राहों में चलना सीख ले।
मंजिल पा सकेगा जरूर एक दिन तू,
खून पसीना बहाना तो सीख ले।।
खुद को सबल बना जीवन में इतना,
जो जमाना तेरी निंदा करना छोड़ दे।
पीछे मुड़कर देखना छोड़ दे अब,
खुद का सहारा बनना सीख ले।।
अभिमान नफरत घृणा छोड़ सभी,
प्रेम की रस धार बहाना सीख ले।
कुछ भी नहीं मिलता इनसे हमको,
ऊँच नीच का भेद करना छोड़ दे।।
सुख दुःख तो आते रहते जीवन में,
दुखों का रोना अब छोड़ दे।
मौसम तो बदलते रहते जीवन में,
आँखो में सावन बहाना छोड़ दे।।
कर्म अच्छे कर पथ पर बढ़ता जा,
नसीब को कोसना अब छोड़ दे।
जीवन तो लाभ हानि का एक सौदा है,
इस पर हिसाब लगाना अब छोड़ दे।।
खुश रह खुशी बांट सबको यहाँ,
दिल दुखाना अब छोड़ दे।
हँसी ख़ुशी बिता ले अपनी जिंदगी,
अब जीवन में रोना छोड़ दे।।
कवि का परिचय
श्याम लाल भारती राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं। श्यामलाल भारती जी की विशेषता ये है कि वे उत्तराखंड की महान विभूतियों पर कविता लिखते हैं। कविता के माध्यम से ही वे ऐसे लोगों की जीवनी लोगों को पढ़ा देते हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।